अध्यादेश का सारांश

भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश, 2018

  • भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश, 2018 को 21 अप्रैल, 2018 को जारी किया गया। यह अध्यादेश ऐसे आर्थिक अपराधियों की संपत्ति को जब्त करने का प्रयास करता है जो आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए देश छोड़ चुके हैं। उल्लेखनीय है कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल, 2018 को 12 मार्च, 2018 को लोकसभा में पेश किया गया था और यह वर्तमान में लंबित है।
     
  • भगोड़ा आर्थिक अपराधी: भगोड़ा आर्थिक अपराधी को ऐसे व्यक्ति के रूप में पारिभाषित किया गया है जिसके खिलाफ अनुसूची में दर्ज किसी अपराध के संबंध में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और इस अपराध का मूल्य कम से कम 100 करोड़ रुपए है। इसके अतिरिक्त उस व्यक्ति ने (i) मुकदमे से बचने के लिए देश छोड़ दिया है, या (ii) उसने मुकदमा का सामना करने के लिए देश लौटने से इनकार कर दिया है। अनुसूची में दर्ज अपराधों में कुछ अपराध निम्न हैं: (i) नकली सरकारी स्टाम्प या करंसी बनाना, (ii) पर्याप्त धन न होने पर चेक का भुनाया न जाना, (iii) मनी लॉन्ड्रिंग, और (iv) क्रेडिटर्स के साथ धोखाधड़ी वाले लेनदेन करना। अध्यादेश केंद्र सरकार को अधिसूचना के जरिए इस अनुसूची में संशोधन की अनुमति देता है।
     
  • आवेदन: डायरेक्टर या डेप्युटी डायरेक्टर (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के अंतर्गत नियुक्त) किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के लिए विशेष अदालत (2002 एक्ट के अंतर्गत नामित) में आवेदन दायर कर सकते हैं। इस आवेदन में निम्नलिखित शामिल होगा : (i) किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी मानने के कारण, (ii) भगोड़े अपराधी के ठिकाने की कोई सूचना, (iii) ऐसी संपत्तियों की सूची जिन्हें अपराध की आय माना जा सकता है और जिनकी जब्ती का प्रयास किया जा रहा है, (iv) बेनामी संपत्तियों या विदेशी संपत्तियों की सूची, जिनकी जब्ती का प्रयास किया जा रहा है, और (v) ऐसे लोगों की सूची जिनके हित इन संपत्तियों से जुड़े हुए हैं।
     
  • आवेदन मिलने के बाद विशेष अदालत किसी व्यक्ति को नोटिस जारी करेगी, (i) जिसमें नोटिस जारी होने के छह हफ्ते के भीतर उससे निर्दिष्ट स्थान पर मौजूद होने से अपेक्षा की जाएगी, और (ii) यह कहा जाएगा कि उस स्थान पर मौजूद न होने पर उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया जाएगा। अगर वह व्यक्ति निर्दिष्ट स्थान पर उपस्थित हो जाता है तो विशेष अदालत अध्यादेश के प्रावधानों के अंतर्गत अपनी कार्यवाहियों को पूरा करेगी।
     
  • संपत्ति की कुर्की: डायरेक्टर या डेप्युटी डायरेक्टर विशेष अदालत की अनुमति के साथ आवेदन में उल्लिखित किसी संपत्ति को कुर्क कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त अगर ये अधिकारी 30 दिनों के भीतर अदालत में आवेदन दायर कर दें तो विशेष अदालत की अनुमति लेने से पहले ही किसी संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर सकते हैं। यह कुर्की 180 दिनों तक जारी रहेगी, अगर विशेष अदालत इस अवधि को आगे न बढ़ा दे। अगर कार्यवाही के अंत में व्यक्ति भगोड़ा आर्थिक अपराधी नहीं पाया जाता, तो उसकी संपत्ति को मुक्त कर दिया जाएगा।
     
  • भगोड़ा आर्थिक अपराधी की घोषणा: आवेदन पर सुनवाई के बाद विशेष अदालत किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर सकती है। वह उन संपत्तियो को जब्त कर सकती है: (i) जो अपराध की आय हो, (ii) जो भारत में या विदेश में बेनामी संपत्ति हो, और (iii) इसके अतिरिक्त भारत या विदेशी में कोई अन्य संपत्ति भी जब्त की जा सकती है। जब्ती के बाद संपत्ति के सभी अधिकार और टाइटिल केंद्र सरकार में निहित होंगे लेकिन केंद्र सरकार संपत्ति से जुड़ी सभी देनदारियों से मुक्त होगी (जैसे संपत्ति पर कोई शुल्क)। केंद्र सरकार इन संपत्तियों के प्रबंधन या निस्तारण के लिए एक प्रशासक को नियुक्त करेगी।
     
  • सिविल दावा दायर करने या अपनी सफाई देने पर प्रतिबंध: अध्यादेश सिविल अदालत या ट्रिब्यूनल को इस बात की अनुमति देता है कि वे किसी ऐसे व्यक्ति को सिविल दावा दायर करने या अपनी सफाई देने की अनुमति न दे जिसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है। इसके अतिरिक्त किसी कंपनी या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप, जिसमें ऐसा व्यक्ति बड़ा शेयरहोल्डर, प्रमोटर या मुख्य प्रबंधकीय पद पर है (जैसे मैनेजिंग डायरेक्टर या सीईओ), को भी सिविल दावा दायर करने या सफाई देने से प्रतिबंधित किया जा सकता है।
     
  • डायरेक्टर की शक्तियां: डायरेक्टर या डेप्युटी डायरेक्टर की शक्तियां सिविल अदालत के ही समान होंगी। इन शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) यह मानकर किसी स्थान में प्रवेश करना कि व्यक्ति भगोड़ा आर्थिक अपराधी है, और (ii) यह निर्देश देना कि किसी इमारत की तलाशी ली जाए, या दस्तावेजों को जब्त किया जाए।
     
  • अपील: विशेष अदालत के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी।

 

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