अध्यादेश का सारांश

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 को 19 मई, 2023 को जारी किया गया। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार एक्ट, 1991 में संशोधन करता है। यह एक्ट विधानसभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार के कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है। इसकी मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • सेवाओं पर कानून बनाने की शक्तियां: संविधान के अनुच्छेद 239एए के अनुसार, दिल्ली विधानसभा के पास राज्य सूची और समवर्ती सूची के तहत आने वाले विषयों पर कानून बनाने की शक्तियां हैं। इनमें: (i) पुलिस, (ii) सार्वजनिक व्यवस्था, और (iii) भूमि जैसे विषय अपवाद हैं। संसद दिल्ली के संबंध में राज्य सूची के तहत आने वाले विषयों पर भी कानून बना सकती है, और राज्य के कानूनों के प्रतिकूल होने की स्थिति में ये कानून मान्य होंगे। अध्यादेश निर्दिष्ट करता है कि दिल्ली विधानसभा के पास 'सेवाओं' के विषय में कानून बनाने की शक्ति नहीं होगी, जो राज्य सूची के अंतर्गत आता है। सेवाओं में दिल्ली सरकार के कर्मचारियों की नियुक्ति और तबादले तथा विजिलेंस से संबंधित मामले शामिल हैं।

  • राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण: अध्यादेश राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण की स्थापना करता है जोकि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) को निम्नलिखित के संबंध में सुझाव देगा: (i) तबादले और तैनाती, (ii) विजिलेंस से संबंधित मामले, (iii) अनुशासनात्मक कार्यवाहियां, और (iv) अखिल भारतीय सेवाओं (भारतीय पुलिस सेवा को छोड़कर), और दिल्ली, अंडमान एवं निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एवं दीव, और दादरा एवं नगर हवेली (लोक) सेवाओं के ग्रुप ए की अभियोजन स्वीकृति।

  • प्राधिकरण में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) अध्यक्ष के रूप में दिल्ली के मुख्यमंत्री, (ii) सदस्य सचिव के रूप में दिल्ली सरकार के प्रधान गृह सचिव, और (iii) सदस्य के रूप में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव। केंद्र सरकार प्रधान सचिव और मुख्य सचिव, दोनों की नियुक्ति करेगी। पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि जैसे विषयों के संबंध में सेवारत अधिकारी प्राधिकरण के दायरे में नहीं आएंगे। प्राधिकरण के सभी निर्णय उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत के आधार पर लिए जाएंगे। एक बैठक के लिए कोरम दो व्यक्ति हैं।

  • लेफ्टिनेंट गवर्नर की शक्तियां: एक्ट के तहत ऐसे मामले, जिनमें एलजी अपने विवेक से कार्य कर सकते हैं, वे हैं: (i) दिल्ली विधानसभा की विधायी क्षमता के बाहर के मामले लेकिन जो एलजी को सौंपे गए हैं, या (ii) ऐसे मामले जहां उनसे कानून द्वारा अपने विवेक से कार्य करना या कोई न्यायिक या अर्ध-न्यायिक कार्य करना अपेक्षित है। अध्यादेश निर्दिष्ट करता है कि ऐसे मामलों में एलजी अपने विवेक से कार्य करेंगे। अध्यादेश एलजी की विवेकाधीन भूमिका का दायरा बढ़ाता है, और उन्हें प्राधिकरण के सुझावों को मंजूरी देने या उन्हें पुनर्विचार के लिए वापस लौटाने की शक्तियां भी देता है। अगर एलजी और प्राधिकरण के विचारों में मतभेद होता है तो उस स्थिति में एलजी का निर्णय ही अंतिम होगा।

  • नियुक्तियां और सेवा की शर्तें: संघ लोक सेवा आयोग ग्रुप ए और बी राजपत्रित पदों के लिए नियुक्तियों के संबंध में सुझाव देगा। ग्रुप बी और ग्रुप सी अराजपत्रित पदों पर नियुक्ति के संबंध में दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड सुझाव देगा। ग्रुप ए में वरिष्ठ प्रबंधन भूमिकाएं शामिल हैं, ग्रुप बी में मध्य प्रबंधन भूमिकाएं शामिल हैं, और ग्रुप सी में लिपिक सहायक भूमिकाएं शामिल हैं। केंद्र सरकार सेवाओं में नियुक्त व्यक्तियों की सेवा शर्तों को अधिसूचित करेगी जिसमें उनका कार्यकाल, योग्यता, वेतन, शक्तियां और कार्य एवं निलंबन शामिल हैं।

  • मंत्रियों द्वारा मामलों का निस्तारण: दिल्ली सरकार का कोई मंत्री अपने ध्यान में लाए गए मामलों के निपटान के संबंध में स्थायी आदेश जारी कर सकता है। आदेश संबंधित विभाग के सचिव के परामर्श से जारी किया जाना चाहिए। किसी भी आदेश को जारी करने से पहले कुछ मामलों को मुख्यमंत्री के माध्यम से एलजी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए जिन पर एलजी की राय ली जाएगी। इनमें निम्नलिखित को प्रभावित करने वाले प्रस्ताव शामिल हैं: (i) दिल्ली की शांति, (ii) दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार, सर्वोच्च न्यायालय, या अन्य राज्य सरकारों के बीच संबंध, (iii) विधानसभा को बुलाना, सत्रावसान और भंग करना, और (iv) वे मामले जिन पर एलजी को अपने विवेकाधिकार से आदेश देना है।

  • इसके अतिरिक्त संबंधित विभाग के सचिव को कुछ मामलों को एलजी, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के ध्यान में लाना चाहिए। इनमें ऐसे मामले शामिल हैं जो दिल्ली सरकार को केंद्र या किसी राज्य सरकार, सर्वोच्च न्यायालय या दिल्ली उच्च न्यायालय के साथ विवाद में ला सकते हैं।

 

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