अध्यादेश का सारांश

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट्स पर प्रतिबंध (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, स्टोरेज और विज्ञापन) अध्यादेश, 2019

  • इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट्स पर प्रतिबंध (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, स्टोरेज और विज्ञापन) अध्यादेश, 2019 को 18 सितंबर, 2019 को जारी किया गया। अध्यादेश इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट्स के उत्पादन, व्यापार, स्टोरेज, परिवहन और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है।
     
  • इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट्स: इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (ई-सिगरेट्स) एक बैटरी चालित उपकरण होता है जोकि किसी पदार्थ को गर्म करता है ताकि कश लेने के लिए वाष्प पैदा हो। ई-सिगरेट्स में निकोटिन और फ्लेवर हो सकते हैं और इनमें इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम के सभी प्रकार, हीट-नॉट बर्न उत्पाद, ई-हुक्का और ऐसे ही दूसरे उपकरण शामिल हैं।
     
  • ई-सिगेट्स पर प्रतिबंध: अध्यादेश भारत में ई-सिगरेट्स के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है। इस प्रावधान का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को एक वर्ष तक का कारावास भुगतना पड़ेगा या एक लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ेगा या दोनों सजा भुगतनी होगी। एक बार से अधिक बार अपराध करने पर तीन वर्ष तक का कारावास भुगतना पड़ेगा और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।
     
  • ई-सिगेट्स का स्टोरेज: ई-सिगरेट्स के स्टॉक के स्टोरेज के लिए कोई व्यक्ति किसी स्थान का प्रयोग नहीं कर सकता। अगर कोई व्यक्ति ई-सिगेट्स का स्टॉक रखता है तो उसे छह महीने तक का कारावास भुगतना होगा या 50,000 रुपए तक का जुर्माना भरना होगा, या दोनों सजा भुगतनी पड़ेगी।
     
  • अध्यादेश के लागू होने के बाद (यानी 18 सितंबर, 2019) ई-सिगरेट का मौजूदा स्टॉक रखने वालों को इन स्टॉक्स की घोषणा करनी होगी और उन्हें अधिकृत अधिकारी के निकटवर्ती कार्यालय में जमा कराना होगा। यह अधिकृत अधिकारी पुलिस अधिकारी (कम से कम सब इंस्पेक्टर स्तर का) या केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत कोई अन्य अधिकारी हो सकता है।
     
  • अधिकृत अधिकारियों के अधिकार: अगर अधिकृत अधिकारी यह मानता है कि अध्यादेश के किसी प्रावधान का उल्लंघन हुआ है तो वह ऐसे किसी भी स्थान की तलाशी ले सकता है जहां ई-सिगरेट्स का व्यापार, उत्पादन, स्टोरेज या विज्ञापन किया जाता है। इस तलाशी के दौरान अधिकृत अधिकारी ई-सिगरेट्स से संबंधित किसी भी रिकॉर्ड या संपत्ति को जब्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त वह इस अपराध से संबंधित किसी व्यक्ति को हिरासत में ले सकता है।
     
  • अगर तलाशी के दौरान मिली संपत्ति या रिकॉर्ड्स को जब्त करना संभव न हो तो अधिकृत अधिकारी इस संपत्ति, स्टॉक्स या रिकॉर्ड्स को जब्त करने के आदेश दे सकता है।
     
  • कंपनियों के अपराध: अध्यादेश के अंतर्गत अगर अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया है तो कंपनी के पर्सन्स इन-चार्ज को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसके अतिरिक्त अगर यह साबित हो जाता है कि यह अपराध किसी निदेशक, प्रबंधक या सचिव की सहमति से या उसकी लापरवाही के कारण हुआ है तो उसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उसी के अनुसार सजा दी जाएगी।

 

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