अध्यादेश का सारांश

इनसॉल्वेसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2020
 

  • इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 5 जून, 2020 को जारी किया गया। यह अध्यादेश इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता, 2016 में संशोधन करता है। संहिता कंपनियों और व्यक्तियों के बीच इनसॉल्वेंसी को रिजॉल्व करने की समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करती है। इनसॉल्वेंसी वह स्थिति हैजब व्यक्ति या कंपनियां अपना बकाया ऋण नहीं चुका पाते। अध्यादेश कुछ कंपनियों को कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन की प्रक्रिया को शुरू करने से संबंधित संहिता के प्रावधानों से छूट देता है। 
     
  • कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन को शुरू करना: जब डीफॉल्ट होता है तो कंपनी के क्रेडिटर्स (फाइनांशियल या ऑपरेशनल) या कंपनी खुद कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया (सीआईआरपी) को शुरू करने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के मंजूर होने पर कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) का गठन किया जाता है जिसमें फाइनांशियल क्रेडिटर्स शामिल होते हैं। सीओसी एक रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल को नियुक्त करती है जो रेज़ोल्यूशन की प्रक्रिया को प्रबंधित करता है और सीओसी के सामने एक रेज़ोल्यूशन प्लान पेश करता है। रेज़ोल्यूशन प्लान के मंजूर होने के बाद रेज़ोल्यूशन की प्रक्रिया 180 दिनों में पूरी हो जानी चाहिए (जिसे 90 दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है)।
     
  • धोखाधड़ी से किया जाने वाला व्यापार: रेज़ोल्यूशन के दौरान अगर यह पाया जाता है कि कंपनी का कारोबार अपने क्रेडिटर्स के साथ धोखाधड़ी करने के उद्देश्य से किया जा रहा है तो एनसीएलटी ऐसे कारोबार करने वाले लोगों को कंपनी के एसेट में योगदान करने के आदेश दे सकता है। इसके अतिरिक्त रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल एनसीएलटी में यह आवेदन कर सकता है कि वह कंपनी के निदेशक या पार्टनर को योगदान देने का आदेश दे, अगर (i) इनसॉल्वेंसी की तारीख से पहले निदेशक या पार्टनर को यह पता था या उसे पता होना चाहिए था कि सीआईआरपी से बचने की कोई उचित संभावना नहीं है, या (ii)  निदेशक या पार्टनर ने कंपनी के क्रेडिटर्स के संभावित नुकसान को कम करने के लिए ज्यादा कोशिश नहीं की।
     
  • अध्यादेश के प्रावधान: अध्यादेश कुछ कंपनियों को सीआईआरपी को शुरू करने के प्रावधानों से छूट देता है। इसमें कहा गया है कि अगर 25 मार्च, 2020 के बाद छह महीने की अवधि के दौरान कोई डीफॉल्ट हुआ है तो उस अवधि के लिए सीआईआरपी को शुरू करने का आवेदन नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार अधिसूचना के जरिए इस अवधि को एक वर्ष कर सकती है। अध्यादेश स्पष्ट करता है कि इस अवधि के दौरान होने वाले डीफॉल्ट के लिए कभी भी कोई कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती।
     
  • अध्यादेश के अनुसार, रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल ऐसी कंपनियों के लिए एनसीएलटी में इस संबंध में आवेदन नहीं कर सकता कि वह कंपनी के पार्टनर्स या निदेशकों को कंपनी के एसेट में योगदान देने का निर्देश दे।  

                         

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।