ज्वाइंट कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

वक्फ (संशोधन) बिल, 2024

  • वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पर ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी (अध्यक्ष: श्री जगदंबिका पाल) ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की। यह बिल वक्फ एक्ट, 1995 में संशोधन करने का प्रयास करता है। यह एक्ट भारत में वक्फ संपत्ति को रेगुलेट करता है। एक्ट में वक्फ को मुस्लिम कानून के तहत पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ माने जाने वाले उद्देश्यों के लिए संपत्ति की बंदोबस्ती के रूप में परिभाषित किया गया है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ: एक्ट में निम्नलिखित के जरिए वक्फ के निर्माण की अनुमति है: (i) घोषणा, (ii) उत्तराधिकारी न रहने पर बंदोबस्ती, और (iii) दीर्घकालिक उपयोग के आधार पर मान्यता। उपयोग के आधार पर वक्फ का निर्माण, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ कहलाता है। बिल में उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को हटा दिया गया है। कमिटी ने कहा कि बिल में इस बात को लेकर अस्पष्टता है कि क्या मौजूदा उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ संपत्तियां, वक्फ नहीं रहेंगी। कमिटी ने सुझाव दिया कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को हटाना, सिर्फ भावी रूप से लागू किया जाए।

  • इस्लाम का पालन करने का सबूत: एक्ट के तहत किसी को भी वक्फ के निर्माण की अनुमति है। बिल में कहा गया है कि कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन करने वाला व्यक्ति ही वक्फ की घोषणा कर सकता है। कमिटी ने यह जोड़ने का भी सुझाव दिया कि जो लोग यह दिखाते या प्रदर्शित करते हैं कि वे कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हैं, वे ही वक्फ का निर्माण कर सकते हैं।

  • सरकारी संपत्ति की पहचान: बिल में कहा गया है कि वक्फ के रूप में घोषित सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं रहेगी। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, सितंबर 2024 तक 25 राज्यों में 5,973 सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया गया है। बिल कलेक्टर को संपत्ति के स्वामित्व का निर्धारण करने और राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का अधिकार देता है। कमिटी ने कलेक्टर को ये अधिकार दिए जाने पर कई आपत्तियां दर्ज कीं। इनमें यह आपत्ति भी शामिल है कि कलेक्टर की परिभाषा बहुत व्यापक है। इसके कारण इस परिभाषा में डिप्टी कलेक्टर के बराबर के अधिकारी भी शामिल हो जाते हैं। कमिटी ने कलेक्टर की जगह, उसके पद से ऊपर के अधिकारी को नियुक्त करने का सुझाव दिया जिसे राज्य द्वारा चुना जाए।

  • वक्फ के पंजीकरण का आवेदन: एक्ट में निर्धारित तरीके से वक्फ के पंजीकरण के लिए आवेदन करने का प्रावधान है। बिल में पोर्टल और डेटाबेस के जरिए बोर्ड के पास पंजीकरण के आवेदन को अनिवार्य किया गया है। अगर छह महीने में बिल के प्रावधानों के तहत पंजीकरण नहीं कराया जाता है, तो ऐसे वक्फ से संबंधित किसी भी अधिकार को लागू करने के लिए कोई कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है। कमिटी ने कहा कि सभी स्टेकहोल्डर्स के प्रतिनिधित्व के लिए यह समय काफी नहीं है। उसने सुझाव दिया कि अगर अदालत को लगता है कि आवेदक के पास इस निर्धारित अवधि में आवेदन न करने के पर्याप्त कारण थे, तो छह महीने के बाद कानूनी कार्यवाही की अनुमति दी जाए।

  • वक्फ ट्रिब्यूनल की संरचना: एक्ट में वक्फ से संबंधित विवादों पर निर्णय लेने के लिए एक ट्रिब्यूनल का प्रावधान है। इसमें तीन सदस्य होते हैं, जिनमें से एक मुस्लिम कानून का विशेषज्ञ होता है। बिल इस विशेषज्ञ को ट्रिब्यूनल से हटाता है और इसे दो सदस्यीय निकाय बनाता है। कमिटी ने मुस्लिम कानून के विशेषज्ञ को शामिल करने का सुझाव दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ट्रिब्यूनल तीन सदस्यीय निकाय बना रहे।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।