बिल का सारांश

कर्मचारी कंपनसेशन (संशोधन) बिल, 2016

  • श्रम और रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने 5 अगस्त, 2016 को लोकसभा में कर्मचारी कंपनसेशन (संशोधन) बिल, 2016 पेश किया।
     
  • यह बिल कर्मचारी कंपनसेशन एक्ट, 1923 में संशोधन का प्रस्ताव रखता है। एक्ट कर्मचारियों और उनके आश्रितों को औद्योगिक दुर्घटनाओं, खासकर व्यवसायगत बीमारियों की स्थिति में मुआवजे (कंपनसेशन) का भुगतान करने का प्रावधान करता है।
     
  • मुआवजे के अधिकार के संबंध में कर्मचारी को सूचित करने का कर्तव्य : बिल के एक नए प्रावधान के अनुसार, नियोक्ता (इंप्लॉयर) से अपेक्षा की जाती है कि वह कर्मचारी को एक्ट के तहत मुआवजा पाने के उसके हक के बारे में सूचित करेगा। ऐसी सूचना कर्मचारी को नियुक्त करने के समय लिखित में दी जानी चाहिए (अंग्रेजी, हिंदी या अन्य संबंधित आधिकारिक भाषा में)।
     
  • सूचना न देने के स्थिति में जुर्माना : अगर नियोक्ता अपने कर्मचारी को मुआवजा हासिल करने के उसके अधिकार के बारे में सूचित नहीं करता तो बिल कहता है कि इस स्थिति में नियोक्ता पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना 50,000 से लेकर एक लाख रुपए तक के बीच हो सकता है।
     
  • आयुक्त के आदेश के खिलाफ अपील : एक्ट मुआवजे, मुआवजे के वितरण, जुर्माने या ब्याज इत्यादि से संबंधित आयुक्त के आदेशों के खिलाफ अपील की अनुमति देता है। लेकिन यह तभी संभव है जब विवाद से संबंधित राशि कम से कम 300 रुपए हो। बिल में इस राशि को बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, बिल केंद्र सरकार को इस राशि को और बढ़ाने की अनुमति देता है।
     
  • लंबित अपील की स्थिति में भुगतान पर रोक : एक्ट के तहत, अगर नियोक्ता ने आयुक्त के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है तो कर्मचारी को किया जाने वाला किसी भी किस्म का भुगतान अस्थायी रूप से रोका जा सकता है। आयुक्त उच्च न्यायालय के आदेश के जरिये ऐसा कर सकता है, जब तक कि अदालत द्वारा इस मामले को हल नहीं किया जाता। बिल में इस प्रावधान को हटाया गया है।

  

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