बिल का सारांश

भारतीय न्याय संहिता, 2023

  • भारतीय न्याय संहिता, 2023 को लोकसभा में 11 अगस्त, 2023 को पेश किया गया। यह बिल भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) को निरस्त करता है। आईपीसी दंडनीय अपराधों पर प्रमुख कानून है। इसके अंतर्गत आने वाले अपराधों की श्रेणियों में निम्नलिखित को प्रभावित करने वाले अपराध शामिल हैं: (i) मानव शरीर, जैसे हमला और हत्या, (ii) संपत्ति जैसे जबरन वसूली और चोरी, (iii) सार्वजनिक व्यवस्था जैसे गैरकानूनी सभा और दंगा, (iv) सार्वजनिक स्वास्थ्यसुरक्षाशालीनतानैतिकता और धर्म, (iv) मानहानिऔर (v) राज्य के विरुद्ध अपराध।

  • बिल आईपीसी के कई हिस्सों को बरकरार रखता है। जो बदलाव किए गए हैं, उनमें संगठित अपराध और आतंकवाद जैसे अपराधों को शामिल किया गया है, साथ ही कुछ छोटे अपराधों के लिए सजा के तौर पर सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है। कुछ मौजूदा अपराधों के लिए सजा में बढ़ोतरी भी की गई है। आईपीसी के तहत कुछ अपराध जिन्हें अदालतों द्वारा निरस्त कर दिया गया है या अवैध बना दिया गया है, उन्हें हटा दिया गया है। इनमें व्यभिचार और सेम-सेक्स इंटरकोर्स (सेक्शन 377) के अपराध शामिल हैं।

बिल में प्रस्तावित मुख्य परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • राजद्रोह: आईपीसी राजद्रोह को सरकार के प्रति घृणा या अवमाननाया उत्तेजित असंतोष उत्पन्न करने या उत्पन्न करने के प्रयास के रूप में परिभाषित करती है। इसमें तीन साल से लेकर आजीवन कारावास और/या जुर्माने की सजा हो सकती है। बिल इस अपराध को हटाता है। इसके बजाय यह निम्नलिखित को दंडित करता है: (i) अलगावसशस्त्र विद्रोहया विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करना या उत्तेजित करने का प्रयास करना, (ii) अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करनाया (iii) भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालना। इन अपराधों में शब्दों या संकेतों का आदान-प्रदानइलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन या वित्तीय साधनों का उपयोग शामिल हो सकता है। इनमें सात साल तक की कैद या आजीवन कारावास और जुर्माना होगा।

  • आतंकवादबिल आतंकवाद को एक ऐसे कृत्य के रूप में परिभाषित करता है जिसका उद्देश्य देश की एकताअखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालनाआम जनता को डराना या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना है। आतंकवादी कृत्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) मौत देने, जीवन के लिए खतरा पैदा करने या भय का संदेश फैलाने के लिए बंदूकों (फायरआर्म्स)बमोंया खतरनाक पदार्थों (जैविक या रासायनिक) का उपयोग, (ii) संपत्ति को नष्ट करना या आवश्यक सेवाओं को बाधित करनाऔर (iii) गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) एक्ट, 1967 की दूसरी अनुसूची में सूचीबद्ध संधियों में शामिल गतिविधियां, जैसे कि विमान को गैरकानूनी तौर से कब्जे में लेना या बंधक बनाना। आतंकवाद का प्रयास करने या यह कृत्य करने पर निम्नलिखित दंड का प्रावधान है: (i) मौत या आजीवन कारावासजहां अपराध के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो, (ii) अन्य मामलों में पांच साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा। अपराधी को कम से कम पांच लाख रुपए का जुर्माना भी देना होगा।

  • बिल किसी भी आतंकवादी कृत्य की साजिश रचनेउसे आयोजित करने या तैयारी में सहायता करने के लिए पांच साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और कम से कम पांच लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान करता है।

  • संगठित अपराधबिल संगठित अपराध को इस प्रकार परिभाषित करता है: (i) निरंतर गैरकानूनी गतिविधि जैसे अपहरणजबरन वसूलीकॉन्ट्रैक्ट लेकर हत्या करनाभूमि पर कब्ज़ावित्तीय घोटाला और साइबर अपराध, (ii) हिंसाधमकी या अन्य गैरकानूनी तरीकों के अपराध करना, (iii) भौतिक या वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए अपराध करनाऔर (iv) अपराध सिंडिकेट के सदस्यों के रूप में या उसकी ओर से अकेले या संयुक्त रूप से कार्य करने वाले व्यक्तियों द्वारा अपराध। संगठित अपराध का प्रयास करने या अपराध करने पर निम्नलिखित सजा होगी: (i) मौत या आजीवन कारावासजहां अपराध के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैऔर (ii) अन्य मामलों में पांच साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा। अपराधी को जुर्माना भी देना होगा।

  • छोटे-मोटे संगठित अपराध: बिल छोटे-मोटे संगठित अपराध का प्रयास करने या अपराध करने पर एक से सात साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान करता है। छोटे-मोटे संगठित अपराध वे होते हैं जो नागरिकों में असुरक्षा की आम भावना पैदा करते हैं और संगठित आपराधिक समूहों/गिरोहों द्वारा किए जाते हैं। इनमें संगठित जेब कतरनाझपटमारी और चोरी शामिल हैं।

  • जाति या नस्ल के आधार पर व्यक्ति समूहों द्वारा हत्या: बिल निर्दिष्ट आधार पर पांच या अधिक लोगों द्वारा की गई हत्या के लिए अलग-अलग दंड निर्दिष्ट करता है। इन आधारों में नस्लजातिलिंगजन्म स्थानभाषा या व्यक्तिगत विश्वास शामिल हैं। प्रत्येक अपराधी को सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा दी जाएगी। इनमें जुर्माना भी चुकाना होगा। 

  • नाबालिग के सामूहिक बलात्कार पर मृत्यु दंड: आईपीसी 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड देने की अनुमति देती है। बिल 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड देने की अनुमति देता है।

  • धोखेबाजी से सेक्सुअल इंटरकोर्स: बिल किसी महिला के साथ धोखेबाजी से या शादी के वादे को पूरा करने के इरादे के बिना सेक्सुअल इंटरकोर्स करने (बलात्कार की श्रेणी में नहीं) पर दंड का प्रावधान करता है। इसमें 10 वर्ष तक की साधारण या कठोर कैद और जुर्माना होगा।

  • कानून को लड़कों पर लागू करना: आईपीसी के तहत, 21 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध संबंध के लिए आयात (इंपोर्ट) करना एक अपराध है। बिल निर्दिष्ट करता है कि 18 वर्ष से कम उम्र के लड़कों को किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध संबंध के लिए आयात करना भी अपराध होगा।

 

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