बिल का सारांश

दूरसंचार बिल, 2023

  • दूरसंचार बिल, 2023 को 18 दिसंबर, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया। यह दूरसंचार से संबंधित गतिविधियों को रेगुलेट करने का प्रयास करता है। यह भारतीय टेलीग्राफ एक्ट, 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट, 1933 और टेलीग्राफ वायर्स (गैरकानूनी कब्ज़ा) एक्ट, 1950 को निरस्त करता है। यह भारतीय दूरसंचार रेगुलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) एक्ट, 1997 में भी संशोधन करता है।

  • दूरसंचार से संबंधित गतिविधियों के लिए ऑथराइजेशन: निम्नलिखित के लिए केंद्र सरकार से पहले ऑथराइजेशन की जरूरत होगी: (i) दूरसंचार सेवाएं देना, (ii) दूरसंचार नेटवर्क की स्थापनासंचालनरखरखाव या विस्तार करनाया (iii) रेडियो उपकरण रखना। मौजूदा लाइसेंस उस अवधि तक वैध रहेंगे, जिसके लिए उन्हें प्रदान किया गया है। अगर अवधि निर्दिष्ट नहीं है तो वे पांच वर्ष तक वैध रहेंगे।

  • स्पेक्ट्रम का आवंटन: स्पेक्ट्रम को नीलामी द्वारा आवंटित किया जाएगासिवाय निर्दिष्ट उपयोगों को छोड़कर, जहां इसे प्रशासनिक आधार पर आवंटित किया जाएगा। इनमें निम्नलिखित उद्देश्य शामिल हैं: (i) राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा, (ii) आपदा प्रबंधन, (iii) मौसम की भविष्यवाणी, (iv) परिवहन, (v) सैटेलाइट सेवाएं जैसे डीटीएच और सैटेलाइट टेलीफोनीऔर (vi) बीएसएनएलएमटीएनएल और सार्वजनिक प्रसारण सेवाएं। केंद्र सरकार किसी भी फ्रीक्वेंसी रेंज का उद्देश्य दोबारा तय कर सकती है या उसे दोबारा आवंटित कर सकती है। केंद्र सरकार किसी भी स्पेक्ट्रम की शेयरिंग, ट्रेडिंग, लीजिंग और उसे सरेंडर करने की अनुमति दे सकती है।

  • इंटरसेप्शन और तलाशी का अधिकार: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संदेशों या संदेशों की एक श्रेणी को कुछ आधारों पर इंटरसेप्टमॉनिटर या ब्लॉक किया जा सकता है। ऐसी कार्रवाइयां सार्वजनिक सुरक्षा या सार्वजनिक आपातकाल के हित में आवश्यक या उचित होनी चाहिएऔर निर्दिष्ट आधारों के हित में होनी चाहिए जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) राज्य की सुरक्षा, (ii) अपराधों को उकसाए जाने से रोकनाया (iii) सार्वजनिक व्यवस्था। इसी आधार पर दूरसंचार सेवाओं को निलंबित किया जा सकता है। सरकार किसी भी सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा की स्थिति में किसी भी दूरसंचार अवसंरचनानेटवर्क या सेवाओं को अस्थायी रूप से अपने कब्जे में ले सकती है। सरकार द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी अनाधिकृत दूरसंचार नेटवर्क या उपकरण रखने के लिए परिसरों या वाहनों की तलाशी ले सकता है।

  • मानक निर्दिष्ट करने की शक्तियांकेंद्र सरकार दूरसंचार उपकरणअवसंरचनानेटवर्क और सेवाओं के लिए मानक और मूल्यांकन निर्धारित कर सकती है।

  • राइट टू वेसुविधा प्रदाता दूरसंचार अवसंरचना स्थापित करने के लिए सार्वजनिक या निजी संपत्ति में राइट टू वे की मांग कर सकते हैं। जहां तक संभव हो, राइट टू वे भेदभावरहित और गैर-विशिष्ट आधार पर दिया जाना चाहिए।

  • उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा: केंद्र सरकार उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए उपाय प्रदान कर सकती है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) विज्ञापन जैसे निर्दिष्ट संदेश प्राप्त करने के लिए पूर्व सहमति, (ii) डू नॉट डिस्टर्ब रजिस्टर्स का निर्माण और (iii) मालवेयर या निर्दिष्ट संदेशों की रिपोर्ट करने के लिए उपयोगकर्ताओं को एक व्यवस्था प्रदान करना। दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने वाली इकाइयों को शिकायतों के पंजीकरण और निवारण के लिए एक ऑनलाइन व्यवस्था स्थापित करनी होगी।

  • ट्राई की नियुक्तियां: बिल ट्राई एक्ट में संशोधन करता है, जिससे निम्नलिखित संभव हो सकता है: (i) कम से कम 30 वर्ष के पेशेवर अनुभव वाला व्यक्ति अध्यक्ष के रूप में काम कर पाए, और (ii) कम से कम 25 वर्ष के पेशेवर अनुभव वाले व्यक्ति सदस्य के रूप में काम कर पाएं।

  • डिजिटल भारत निधि1885 के एक्ट के तहत वंचित क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड की स्थापना की गई है। बिल इस प्रावधान को बरकरार रखता है और इस फंड का नाम बदलकर डिजिटल भारत निधि करता है। इसके अलावा अनुसंधान और विकास के लिए इसके उपयोग की अनुमति देता है।

  • अपराध और दंडबिल विभिन्न क्रिमिनल और सिविल अपराधों को निर्दिष्ट करता है। ऑथराइजेशन के बिना दूरसंचार सेवाएं प्रदान करनाया दूरसंचार नेटवर्क या डेटा तक अनाधिकृत पहुंच प्राप्त करनातीन साल तक की कैददो करोड़ रुपए तक के जुर्माने या दोनों से दंडनीय है। ऑथराइजेशन के नियमों और शर्तों का उल्लंघन करने पर पांच करोड़ रुपए तक का सिविल जुर्माना लगाया जा सकता है। अनाधिकृत उपकरण रखने या अनाधिकृत नेटवर्क या सेवा का उपयोग करने पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

  • एडजुडिकेशन की प्रक्रियाकेंद्र सरकार बिल के तहत सिविल अपराधों की जांच करने और आदेश पारित करने के लिए एक एडजुडिकेटिंग अधिकारी की नियुक्ति करेगी। अधिकारी संयुक्त सचिव और उससे उच्च पद का होना चाहिए। एडजुडिकेटिंग अधिकारी के आदेशों के खिलाफ 30 दिनों के भीतर निर्दिष्ट अपील समिति के समक्ष अपील की जा सकती है। इस समिति के सदस्य कम से कम अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी होंगे। नियमों और शर्तों के उल्लंघन के संबंध में समिति के आदेशों के खिलाफ अपील 30 दिनों के भीतर टीडीएसएटी में दायर की जा सकती है।

 

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