बिल का सारांश

तेल क्षेत्र (रेगुलेशन और विकास) संशोधन बिल, 2024

  • तेल क्षेत्र (रेगुलेशन और विकास) संशोधन बिल, 2024 को 5 अगस्त, 2024 को राज्यसभा में पेश किया गया। बिल तेल क्षेत्र (रेगुलेशन और विकास) एक्ट, 1948 में संशोधन करता है। एक्ट प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम की खोज और निकासी को रेगुलेट करता है।

  • खनिज तेल की परिभाषा में विस्तार: एक्ट पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस को शामिल करने के लिए खनिज तेलों को परिभाषित करता है। बिल में इस परिभाषा का विस्तार करते हुए उसमें निम्नलिखित को जोड़ा गया है: (i) प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला कोई भी हाइड्रोकार्बन, (ii) कोल बेड मीथेन, और (iii) शेल गैस/तेल। बिल स्पष्ट करता है कि खनिज तेलों में कोयला, लिग्नाइट या हीलियम शामिल नहीं होंगे।

  • पेट्रोलियम लीज़ की पेशकश: एक्ट खनन लीज़ से संबंधित प्रावधान करता है। लीज़ में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का प्रावधान किया गया है, जैसे अन्वेषण (एक्सप्लोरेशन), पूर्वेक्षण (प्रॉस्पेक्टिंग), उत्पादन, मर्चेंटेबल बनाना और खनिज तेलों का निस्तारण। पूर्वेक्षण तेल और गैस क्षेत्रों की खोज का प्रारंभिक चरण होता है, जिसमें बड़े क्षेत्रों में संभावित पेट्रोलियम संचय का आकलन शामिल है। बिल खनन लीज़ को पेट्रोलियम लीज़ से बदलता है जिसमें समान गतिविधियों को भी शामिल किया गया है। एक्ट के तहत प्रदत्त मौजूदा खनन लीज़ वैध बनी रहेंगी।

  • केंद्र सरकार की नियम बनाने की शक्तियां: एक्ट केंद्र सरकार को कई मामलों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) लीज़ देने से संबंधित मामलों को रेगुलेट करना, (ii) लीज़ के नियम और शर्ते, जिसमें न्यूनतम और अधिकतम क्षेत्र और लीज़ की अवधि शामिल हैं, (iii) खनिज तेलों का संरक्षण और विकास, (iv) तेल उत्पादन की विधियां, और (v) रॉयल्टी, शुल्क और टैक्स के कलेक्शन का तरीका। बिल इन प्रावधानों को बरकरार रखता है और उसमें जोड़ता है कि केंद्र सरकार निम्नलिखित पर भी नियम बना सकती है: (i) पेट्रोलियम लीज़ का विलय और संयोजन, (ii) उत्पादन और प्रसंस्करण सुविधाओं को साझा करना, (iii) लीज़ी को पर्यावरण की रक्षा और उत्सर्जन को कम करने के लिए क्या करना होगा, (iv) वैकल्पिक पेट्रोलियम लीज़ देने से संबंधित विवादों को हल करने की व्यवस्था।

  • अपराधों को अपराधमुक्त करना: एक्ट में प्रावधान है कि नियमों का उल्लंघन करने पर छह महीने तक की कैद, 1,000 रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा भुगतनी होगी। इसके बजाय बिल में प्रावधान है कि उपरोक्त अपराध 25 लाख रुपए के जुर्माने से दंडनीय होगा। बिल में निम्नलिखित अपराध भी जोड़े गए हैं: (i) वैध लीज़ के बिना खनिज तेलों से संबंधित गतिविधियां जैसे खोज, पूर्वेक्षण और उत्पादन, और (ii) रॉयल्टी का भुगतान न करना। इन पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। उपरोक्त सभी अपराधों के मामले में निरंतर उल्लंघन पर प्रति दिन 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगेगा।

  • दंड पर फैसला: केंद्र सरकार दंड के निर्णय के लिए संयुक्त सचिव या उससे उच्च स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त करेगी। इस अधिकारी के फैसलों के खिलाफ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस रेगुलेटरी बोर्ड एक्ट, 2006 में निर्दिष्ट अपीलीय ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील की जाएगी। 2006 का एक्ट, बिजली एक्ट, 2003 के तहत गठित विद्युत अपीलीय ट्रिब्यूनल को अपीलीय ट्रिब्यूनल के रूप में नामित करता है।

 

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