बिल का सारांश

कोस्टल शिपिंग बिल, 2024

  • कोस्टल शिपिंग बिल, 2024 को लोकसभा में 2 दिसंबर, 2024 को पेश किया गया। यह बिल भारतीय तटीय जल में व्यापार करने वाले जहाजों को रेगुलेट करता है। बिल के तहत कोस्टल वॉटर्स यानी तटीय जल का अर्थ, भारत का क्षेत्रीय जल और निकटवर्ती समुद्री क्षेत्र है। क्षेत्रीय जल तट से 12 नॉटिकल माइल यानी समुद्री मील (लगभग 22 किलोमीटर) तक फैला हुआ है। निकटवर्ती समुद्री क्षेत्र 200 समुद्री मील (लगभग 370 किलोमीटर) तक फैला है। 

  • बिल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 के भाग XIV को निरस्त करता है। इस भाग के प्रावधान तटीय जल के भीतर व्यापार करने वाली पाल नौकाओं को छोड़कर बाकी सभी जहाजों को रेगुलेट करते हैं। बिल सभी प्रकार के जहाजों को रेगुलेट करने का प्रयास करता है जैसे जहाज, नाव, पाल वाली नाव और मोबाइल ड्रिलिंग यूनिट्स, भले ही वे स्वचालित यानी सेल्फ प्रोपेल्ड हों या नहीं।     

  • तटीय व्यापार के तहत आने वाली सेवाएं: एक्ट के तहत तटीय व्यापार का अर्थ है, भारत में एक स्थान या बंदरगाह से दूसरे स्थान तक माल और यात्रियों की ढुलाई। बिल सेवाओं के प्रावधान को इसमें शामिल करने के लिए इसकी परिभाषा में विस्तार करता है। सेवाओं में मछली पकड़ने को छोड़कर एक्सप्लोरेशन, अनुसंधान और कोई अन्य व्यावसायिक गतिविधि शामिल है।

  • तटीय व्यापार और अन्य उद्देश्यों के लिए लाइसेंस: एक्ट के तहत तटीय व्यापार करने वाले सभी जहाजों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है। बिल में कहा गया है कि पूरी तरह से भारतीय व्यक्तियों के स्वामित्व वाले जहाजों को लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।

  • तटीय व्यापार के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए, बिल के तहत कुछ ऐसे जहाजों को लाइसेंस लेना होगा जो पूरी तरह से भारतीय व्यक्तियों के स्वामित्व में नहीं हैं। ये ऐसे जहाज हैं जो: (i) भारतीय व्यक्तियों, अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) या भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) द्वारा किराए पर लिए जाते हैं, और (ii) भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों के बीच, या अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों के बीच संचालित होते हैं। भारत के बाहर विशेष रूप से संचालन के लिए जहाजों को किराए पर लेने वाले ओसीआई को लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।

  • शिपिंग महानिदेशक द्वारा लाइसेंस जारी किए जाएंगे। केंद्र सरकार महानिदेशक की नियुक्ति करेगी। महानिदेशक इनलैंड वेसल्स एक्ट, 2021 के तहत पंजीकृत जहाज (अंतर्देशीय जल में संचालित होने वाले) को तटीय व्यापार करने की अनुमति दे सकते हैं।

  • लाइसेंस को रद्द करना: एक्ट महानिदेशक को यह अधिकार देता है कि वह लाइसेंस में संशोधन कर सकता है या उसे रद्द कर सकता है। बिल में लाइसेंस के संशोधन, उसे निरस्त या रद्द करने के आधार दिए गए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) लाइसेंस की शर्तों या मौजूदा कानून का उल्लंघन, या (ii) महानिदेशक के निर्देशों का पालन न करना।

  • दंड में बदलाव: एक्ट के तहत लाइसेंस के बिना तटीय व्यापार करने या समुद्र में जहाज ले जाने पर छह महीने तक की कैद, या 1,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। बिल इसमें बदलाव करता है। इसके तहत अधिकतम 15 लाख रुपए तक या लाइसेंस के बिना यात्रा से प्राप्त होने वाले लाभ का चार गुना, इनमें से जो भी अधिक होगा, जुर्माना भरना होगा।

  • एक्ट महानिदेशक को निम्नलिखित विषयों पर निर्देश जारी करने का अधिकार देता है: (i) किन श्रेणियों के यात्रियों या कार्गो की ढुलाई की जा सकती है, और (ii) मार्गों में परिवर्तन। इसके निर्देशों का पालन न करने पर छह महीने तक की कैद, 1,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। बिल में कैद की जगह पांच लाख रुपए तक की सिविल पैनेल्टी या उल्लंघन से प्राप्त लाभ के दो गुना, जो भी अधिक हो, का प्रावधान किया गया है।

  • महानिदेशक लेनदेन रिकॉर्ड और किराए जैसे विषयों पर जानकारी मांग सकता है। विवरण सही ढंग से या समय पर उपलब्ध न कराने पर छह महीने तक की कैद, 500 रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। बिल में जुर्माना बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया है।

  • कुछ अपराध करने पर जहाज को जब्त (डीटेन) किया जा सकता है: बिल कुछ अपराधों के लिए सजा के रूप में जहाजों को डीटेन करने का भी प्रावधान करता है, जैसे बिना लाइसेंस के संचालन, महानिदेशक के निर्देशों का उल्लंघन और गलत जानकारी प्रदान करना।

  • अपराधों की कंपाउंडिंग: एक्ट सभी पहले अपराधों पर कंपाउंडिंग की अनुमति देता है। बिल के तहत सिर्फ निम्नलिखित अपराधों की कंपाउंडिंग की जा सकती है: (i) लाइसेंस के बिना या एक्सपायर हो चुके लाइसेंस के साथ तटीय व्यापार करना, (ii) लाइसेंस के बिना समुद्र में जहाज ले जाना, (iii) जानकारी न देना, और (iv) डिटेंशन के आदेश का उल्लंघन करना।

  • तटीय और अंतर्देशीय शिपिंग रणनीति योजना: बिल के तहत एक्ट को लागू करने के दो साल के भीतर केंद्र सरकार को राष्ट्रीय तटीय और अंतर्देशीय शिपिंग रणनीति योजना बनानी होगी।

  • छूट देने की शक्ति: केंद्र सरकार जहाज की किसी भी श्रेणी को बिल के क्रियान्वयन से छूट दे सकती है। 

 

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