बिल का सारांश

स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर बिल, 2025

 

  • स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर बिल, 2025 को 1 दिसंबर, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। इस बिल में पान मसाला और केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी भी अन्य वस्तु के उत्पादन पर उपकर लगाने का प्रस्ताव है। उपकर से प्राप्त राशि का उपयोग जन स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा पर खर्च के लिए किया जाएगा।
  • उपकर की वसूली और उसे जमा करना: यह उपकर उस व्यक्ति को चुकाना होगा जो निर्दिष्ट वस्तुओं का निर्माण करने वाली मशीनों का स्वामी या उसका कंट्रोलर है या उन पर काम करता है। उपकर की गणना प्रति स्थापित मशीन या मैन्युअल उत्पादन की प्रति इकाई के आधार पर की जाएगी और मासिक रूप से वसूल की जाएगी। बाध्य व्यक्तियों को देय उपकर का स्वयं आकलन करना होगा और रिटर्न प्रस्तुत करना होगा। बिल में प्रावधान है कि देय तिथि के बाद भुगतान न किए गए किसी भी उपकर पर ब्याज चुकाना होगा।

मशीन-आधारित उत्पादन के लिए उपकर प्रत्येक मशीन की अधिकतम निर्धारित गति और प्रत्येक पाउच या कंटेनर में पैक किए गए उत्पाद के वजन पर आधारित होगा। उदाहरण के लिए, अधिकतम निर्धारित गति 500 ​​पाउच तक और प्रत्येक पाउच का वजन 2.5 ग्राम तक होने पर प्रति मशीन प्रति माह 1.01 करोड़ रुपए उपकर लगेगा। अधिकतम निर्धारित गति 1,001 से 1,500 पाउच के बीच और प्रत्येक पाउच का वजन 10 ग्राम से अधिक होने पर प्रति मशीन उपकर बढ़कर 25.47 करोड़ रुपए प्रति माह हो जाएगा। पूर्णतः मैनुअल उत्पादन के लिए, प्रति कारखाना 11 लाख रुपए का एक निश्चित मासिक उपकर लगाया जाएगा। अगर सरकार को लगता है कि जनहित में ऐसी वृद्धि आवश्यक है, तो वह उपकर की दरों को निर्धारित राशि से दोगुना तक बढ़ा सकती है। बढ़ी हुई दरें एक निश्चित अवधि के लिए लागू होंगी।

  • ऑडिट: आयुक्त के पद से नीचे के पद के निर्दिष्ट अधिकारी, भुगतान किए गए उपकर के सही होने की पुष्टि के लिए ऑडिट कर सकते हैं। उपकर का भुगतान न करने या भुगतान में विसंगतियों की स्थिति में, अधिकारी उपकर, ब्याज और दंड वसूलने की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं।
  • अपराध और दंड: बिल के अंतर्गत अपराधों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) किसी ऐसी मशीन या प्रक्रिया का स्वामी होना या उसका संचालन करना जो किसी निर्दिष्ट वस्तु का उत्पादन करती है, बिना उसकी घोषणा किए, (ii) निर्दिष्ट अवधि के भीतर उपकर का भुगतान न करना, (iii) पंजीकरण न करवाना, और (iii) वैध रूप से ज़ब्त की गई किसी वस्तु का निपटान या उससे छेड़छाड़ करना। ऐसे उल्लंघनों के लिए जुर्माना 10,000 रुपए या देय उपकर या चोरी की गई राशि के बराबर राशि, जो भी अधिक हो, है। इन उल्लंघनों में मदद करने या बढ़ावा देने पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। एक करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयानी, या कर चोरी या कर चोरी से जुड़े अपराधों के लिए, बिल में आपराधिक मुकदमा चलाने का प्रावधान है। ऐसे अपराधों के लिए एक वर्ष से पांच वर्ष तक का कारावास, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  • अपील की प्रक्रिया: बिल प्राधिकृत अधिकारियों द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध त्रिस्तरीय अपील व्यवस्था प्रदान करता है। कोई भी पीड़ित व्यक्ति आदेश के तीन महीने के भीतर किसी अपीलीय अथॉरिटी (आयुक्त के पद से नीचे का नहीं) के समक्ष अपील दायर कर सकता है। अपीलीय अथॉरिटी के निर्णयों के विरुद्ध सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकती है। महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्नों से संबंधित मामलों में, ट्रिब्यूनल के आदेशों के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
  • निरीक्षण, तलाशी और जब्ती का अधिकार: बिल संयुक्त आयुक्त या उससे उच्च पद के अधिकारियों को यह अधिकार देता है कि वे (i) किसी ऐसे स्थान का निरीक्षण करें जहां निर्दिष्ट वस्तुओं का निर्माण या भंडारण किया जाता है, और (ii) जहां चोरी का संदेह हो, वहां वस्तुओं, मशीनों, दस्तावेजों या रिकॉर्ड्स की तलाशी लें और उन्हें जब्त करें।

 

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