बिल का सारांश

बैंकिंग रेगुलेशन (संशोधन) बिल, 2017

  • वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 24 जुलाई, 2017 को लोकसभा में बैंकिंग रेगुलेशन (संशोधन) बिल, 2017 को पेश किया। यह बिल बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 में संशोधन करता है और इसमें स्ट्रेस्ड एसेट्स से संबंधित मामलों से निपटने के लिए प्रावधानों को सम्मिलित करता है। स्ट्रेस्ड एसेट्स वे लोन होते हैं जिनमें उधारकर्ता ने रीपेमेंट में डीफॉल्ट किया हो या जिनमें लोन को रीस्ट्रक्चर किया गया हो (जैसे रीपेमेंट शेड्यूल को बदलना)। यह बिल बैंकिंग रेगुलेशन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 का स्थान लेगा।
     
  • इनसॉल्वेंसी की कार्रवाई शुरू करना: लोन रीपेमेंट में डीफॉल्ट होने की स्थिति में केंद्र सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अधिकृत कर सकती है कि वह बैंकों को कार्रवाई शुरू करने के लिए निर्देश जारी करे। यह कार्रवाई इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता, 2016 के अंतर्गत की जाएगी।
     
  • स्ट्रेस्ड एसेट्स पर निर्देश जारी करना: आरबीआई स्ट्रेस्ड एसेट्स से निपटने के लिए बैंकों को समय-समय पर निर्देश जारी कर सकता है।
     
  • बैंकों को सलाह देने के लिए कमिटी : आरबीआई अथॉरिटीज या कमिटियों को विनिर्दिष्ट कर सकता है कि वे स्ट्रेस्ड एसेट्स से निपटने के लिए बैंकों को सलाह दें। इन कमिटियों के सदस्यों की नियुक्ति या मंजूरी आरबीआई द्वारा की जाएगी।
     
  • स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर लागू : बिल में एक प्रावधान सम्मिलित किया गया है जिसमें कहा गया है कि वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, उसकी सबसिडिरीज और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर भी लागू होगा।

 

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