बिल का सारांश

वेतन संहिता, 2017

  • श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रय ने 10 अगस्त, 2017 को लोकसभा में वेतन संहिता, 2017 को पेश किया। यह वेतन संबंधी कानूनों को सम्मिलित करते हुए निम्नलिखित कानूनों का स्थान लेती है : (i) वेतन का भुगतान एक्ट, 1936, (ii) न्यूनतम वेतन एक्ट, 1949, (iii) बोनस का भुगतान एक्ट, 1965, और (iv) समान पारिश्रमिक एक्ट, 1976।
     
  • संहिता उन इस्टैबलिशमेंट्स में लागू होगी, जहां कोई उद्योग, व्यापार, कारोबार, मैन्यूफैक्चरिंग या व्यवसाय चलाया जाता है। इसमें सरकारी इस्टैबलिशमेंट्स भी शामिल होंगे।
     
  • केंद्र सरकार अपनी अथॉरिटीज और रेलवे, खनन और तेल क्षेत्रों इत्यादि से जुड़े इस्टैबलिशमेट्स के वेतन संबंधी फैसले लेगी। राज्य सरकारें अन्य इस्टैबलिशमेंट्स के लिए फैसले लेंगी।
     
  • वेतन में पारिश्रमिक, भत्ते या मौद्रिक परिभाषा में व्यक्त होने वाले सभी घटक शामिल हैं। इसमें कर्मचारियों को मिलना वाला बोनस या यात्रा भत्ता, इत्यादि शामिल नहीं हैं।

न्यूनतम वेतन

  • राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन : केंद्र सरकार देश के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन अधिसूचित कर सकती है। वह विभिन्न राज्यों या भौगोलिक क्षेत्रों के लिए भिन्न-भिन्न न्यूनतम वेतन निर्धारित कर सकती है। केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन से कम नहीं होगा। अगर केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन, राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन से अधिक होगा तो वे न्यूनतम वेतन को कम नहीं करेंगी।
     
  • न्यूनतम वेतन का निर्धारण : संहिता में नियोक्ताओं (इंप्लॉयर्स) से यह अपेक्षा की गई है कि वे अपने कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन का भुगतान करेंगे। इस वेतन को केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। यह समय, या उत्पादित होने वाले पीस की संख्या इत्यादि पर आधारित होगा। संहिता यह स्पष्ट करती है कि केंद्र या राज्य सरकारें प्रत्येक पांच वर्षों में न्यूनतम वेतन की समीक्षा या उसमें संशोधन करेंगी।
     
  • काम के घंटे : केंद्र या राज्य सरकारें उन घंटों की संख्या निर्धारित करेंगी जिनसे कोई कार्य दिवस बनता है। इसके अतिरिक्त वे प्रत्येक सप्ताह कर्मचारियों को विश्राम का एक दिन (अ डे ऑफ रेस्ट) देंगी। किसी भी दिन कार्य दिवस से अधिक देर तक काम करने पर कर्मचारी को ओवरटाइम मिलेगा। यह राशि कर्मचारी के सामान्य वेतन का कम से कम दोगुना होगी।

वेतन का भुगतान

  • वेतन निम्नलिखित में प्रदान किया जाएगा (i) सिक्के, (ii) करंसी नोट, (iii) चेक द्वारा, या (iv) डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से। वेतन की अवधि नियोक्ता द्वारा निम्नलिखित में से किसी एक के आधार पर निर्धारित की जाएगी: (i) दैनिक, (ii) साप्ताहिक, (iii) पाक्षिक, या (iv) मासिक।
     
  • कटौतियां : संहिता के अंतर्गत एक कर्मचारी का वेतन कुछ निश्चित आधारों पर ही काटा जा सकता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) जुर्माना, (ii) ड्यूटी से अनुपस्थित रहना, (iii) नियोक्ता द्वारा आवास उपलब्ध कराना, या (iv) कर्मचारी को दिए गए एडवांस की रिकवरी, इत्यादि। ये कटौतियां कर्मचारी के कुल वेतन के 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए।

बोनस का भुगतान

  • बोनस का निर्धारण : नियोक्ता प्रत्येक कर्मचारी को वार्षिक बोनस देगा, जोकि कम से कम : (i) वेतन का 8.33%,या (ii) 100 रुपए, इनमें से जो भी अधिक हो, होना चाहिए। इसके अतिरिक्त नियोक्ता कर्मचारियों के बीच सकल लाभ का एक हिस्सा बांटेगा (एलॉकेलबल सरप्लस)। कर्मचारी के एक वर्ष के वेतन के अनुपात में इसका आबंटन किया जाएगा।
     
  • अधिकतम बोनस : एक कर्मचारी अपने वेतन का अधिकतम 20% बोनस प्राप्त कर सकता है। इसमें एलॉकेबपल सरप्लस के रूप में वितरित की गई राशि शामिल होगी। अगर यह सरप्लस एक वर्ष में सभी कर्मचारियों को देय अधिकतम बोनस से अधिक होता है तो एक निश्चित राशि अगले वर्ष में कैरी फॉरवर्ड हो जाएगी (चार वर्ष तक)। कैरी फॉरवर्ड होने वाली राशि, वर्ष के दौरान सभी कर्मचारियों को मिलने वाले कुल वेतन के 20% से अधिक नहीं होगी।

अन्य मुख्य विशेषताएं

  • सलाहकार बोर्ड : केंद्र और राज्य सरकारें अपने सलाहकार बोर्डों का गठन करेंगी। इन बोर्डों में निम्नलिखित शामिल होंगे : (i) कर्मचारियों के प्रतिनिधि, (ii) नियोक्ता के प्रतिनिधि, और (iii) स्वतंत्र व्यक्ति। इसके अतिरिक्त कुल सदस्यों का तिहाई महिलाएं होंगी। बोर्ड निम्नलिखित पहलुओं पर संबंधित सरकारों को सलाह देगा : (i) न्यूनतम वेतन का निर्धारण, और (ii) महिलाओं के लिए रोजगार अवसरों को बढ़ाना।
     
  • अपराध : संहिता में नियोक्ता द्वारा निम्नलिखित अपराध करने पर सजा विनिर्दिष्ट की गई है, (i) देय से कम वेतन देने पर, या (ii) संहिता के किसी प्रावधान का उल्लंघन करने पर। अपराध की प्रकृति के आधार पर सजा भिन्न-भिन्न हो सकती है। अधिकतम सजा तीन महीने की कैद के साथ एक लाख रुपए तक का जुर्माना होगी।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है