बिल का सारांश

मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) बिल, 2018

  • महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 18 जुलाई, 2018 को लोकसभा में मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) बिल, 2018 पेश किया। बिल तस्करी के शिकार लोगों के निवारण, बचाव और पुनर्वास का प्रावधान करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • राष्ट्रीय तस्करी रोधी ब्यूरो : बिल तस्करी के मामलों की जांच और विभिन्न प्रावधानों को लागू करने के लिए राष्ट्रीय तस्करी रोधी ब्यूरो (नेशनल एंटी ट्रैफिकिंग ब्यूरो) की स्थापना करता है। ब्यूरो में पुलिस अधिकारियों के अतिरिक्त दूसरे अधिकारी भी शामिल होंगे, जैसी जरूरत होगी। यह ब्यूरो बिल के अंतर्गत आने वाले ऐसे किसी भी अपराध की जांच कर सकता है जिसे दो या उससे अधिक राज्यों ने रेफर किया हो। इसके अतिरिक्त ब्यूरो: (i) राज्य सरकारों से जांच में सहयोग देने का अनुरोध कर सकता है, या (ii) केंद्र सरकार की अनुमति से जांच और ट्रायल के लिए किसी मामले को राज्य सरकार को ट्रांसफर कर सकता है।
     
  • ब्यूरो के कार्य : ब्यूरो के मुख्य कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं : (i) जिन रूट्स के बारे में जानकारी है, (नोन रूट्स) उनकी निगरानी और मॉनिटरिंग करना, (ii) सोर्स, ट्रांसिज और डेस्टिनेशन प्वाइंट्स पर निगरानी रखना, एनफोर्समेंट और बचाव संबंधी कदम उठाना, (iii) कानून का प्रवर्तन करने वाली एजेंसियों और गैर सरकारी संगठनों तथा दूसरे स्टेकहोल्डर्स के बीच समन्वय स्थापित करना, और (iv) खुफिया सूचनाओं को साझा करने और परस्पर कानूनी सहायता के लिए विदेशी अथॉरिटीज़ के साथ अंतरराष्ट्रीय समन्वय बढ़ाना।
     
  • राज्य स्तरीय एंटी ट्रैफिकिंग अधिकारी : बिल के अंतर्गत राज्य सरकार राज्य नोडल अधिकारी को नियुक्त करेगी। उसकी निम्नलिखित जिम्मेदारियां होंगी : (i) राज्य एंटी ट्रैफिकिंग कमिटी के निर्देशों के अनुसार बिल के अंतर्गत फॉलो अप की कार्रवाई करना, और (ii) राहत और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करना। राज्य सरकार राज्य एवं जिला स्तरों पर पुलिस नोडल अधिकारी को भी नियुक्त करेगी। राज्य सरकार हर जिले में एंटी ट्रैफिकिंग पुलिस अधिकारियों को भी नामित करेगी, जोकि जिले में ट्रैफिकिंग से संबंधित सभी मामलों से निपटेंगे।
     
  • एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट्स : बिल में जिला स्तर पर एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट्स (एटीयूज़) बनाने का भी प्रावधान है। एटीयू तस्करी को रोकेगी और लोगों का बचाव करेगी। पीड़ितों एवं गवाहों को सुरक्षा देगी। तस्करी के अपराधों में जांच एवं कानूनी कार्रवाई करेगी। जिन जिलों में एटीयू फंक्शनल नहीं है, वहां स्थानीय पुलिस स्टेशन द्वारा यह कार्य किया जाएगा।
     
  • एंटी ट्रैफिकिंग राहत और पुनर्वास कमिटी : बिल राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरों पर एंटी ट्रैफिकिंग राहत और पुनर्वास कमिटी (एटीसीज़) के गठन का प्रावधान करता है। कमिटी निम्नलिखित के लिए जिम्मेदार होगी : (i) पीड़ितों को मुआवजा देना, (ii) पीड़ितों को अपने देश भेजना, और (iii) समाज में पीड़ितों को दोबारा एकीकृत करना, इत्यादि।
     
  • सर्च और बचाव : एंटी ट्रैफिकिंग पुलिस अधिकारी या एटीयू उन लोगों का बचाव कर सकते हैं जिनके तस्करी का शिकार होने की आशंका है। मेडिकल जांच के लिए उन्हें मेजिस्ट्रेट या बाल कल्याण कमिटी के सामने पेश किया जाएगा। जिला एटीसी बचाए गए लोगों को राहत और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करेगी।
     
  • संरक्षण और पुनर्वास : बिल केंद्र या राज्य सरकार से यह अपेक्षा करता है कि वे प्रोटेक्शन हाउस बनाएंगी। यहां पीड़ितों को शेल्टर, खाना, काउंसिलिंग और मेडिकल सेवाएं दी जाएंगी। इसके अतिरिक्त केंद्र या राज्य सरकार हर जिले में रीहैबलिटेशन होम्स का रखरखाव करेंगी जिससे पीड़ितों का लंबे समय के लिए पुनर्वास किया जा सके। पीड़ितों का पुनर्वास इस बात पर निर्भर नहीं होगा कि आरोपी के खिलाफ क्रिमिनल कार्यवाही शुरू की गई है या उस कार्यवाही का क्या परिणाम निकला है। केंद्र सरकार एक रीहैबलिटेशन फंड बनाएगी जिसे इन प्रोटेक्शन और रीहैबलिटेशन होम्स को बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा।
     
  • एक निश्चित समय में ट्रायल : बिल में हर जिले में ऐसी नामित अदालतों को गठित करने का प्रावधान है जोकि एक साल में ट्रायल पूरा करने का प्रयास करेंगी।
     
  • सजा : बिल विभिन्न अपराधों, जैसे (i) लोगों की तस्करी, (ii) तस्करी को बढ़ावा देने, (iii) पीड़ित की पहचान का खुलासा करने, और (iv) तस्करी के गंभीर रूप (एग्रेवेटेड ट्रैफिकिंग) (जैसे बंधुआ मजदूरी या भीख मंगवाने के लिए तस्करी करने) के लिए सजा निर्दिष्ट करता है। उदाहरण के लिए एग्रेवेटेड ट्रैफिकिंग के लिए 10 साल के सश्रम कारावास की सजा दी जाएगी जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही न्यूनतम एक लाख रुपए का जुर्माने लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त ऐसी किसी सामग्री को प्रकाशित करने पर, जिसका परिणाम मानव तस्करी हो सकता है, पांच से 10 वर्ष के बीच के कारावास की सजा हो सकती है और 50,000 रुपए से एक लाख रुपए के बीच का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

 

 

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