बिल का सारांश

ट्रिब्यूनल सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा की शर्तें) बिल, 2021

 

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 13 फरवरी, 2021 को लोकसभा में ट्रिब्यूनल सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा की शर्तें) बिल, 2021 को पेश किया। यह बिल कुछ मौजूदा अपीलीय ट्रिब्यूनल्स को भंग करने और उनके कार्यों (जैसे अपीलों पर न्यायिक निर्णय लेना) को दूसरे मौजूदा न्यायिक निकायों को ट्रांसफर करने का प्रयास करता है (देखें तालिका 1)।

तालिका 1: बिल के अंतर्गत प्रस्तावित मुख्य अपीलीय निकायों के कार्यों का ट्रांसफर 

एक्ट

अपीलीय निकाय

प्रस्तावित अदालत

सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952

अपीलीय ट्रिब्यूनल

उच्च न्यायालय

ट्रेड मार्क्स एक्ट, 1999

अपीलीय बोर्ड

उच्च न्यायालय

कॉपीराइट एक्ट, 1957

अपीलीय बोर्ड

कमर्शियल अदालत या उच्च न्यायालय की कमर्शियल डिविजन*

कस्टम्स एक्ट, 1962

अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स 

उच्च न्यायालय

पेटेंट्स एक्ट, 1970

अपीलीय बोर्ड

उच्च न्यायालय

एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्ट, 1994

एयरपोर्ट

अपीलीय ट्रिब्यूनल

  • अनाधिकृत निवासियों द्वारा एयरपोर्ट परिसर में छोड़ी गई संपत्तियों के निपटारे संबंधी विवाद के लिए केंद्र सरकार 
  • निष्कासन अधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील के लिए उच्च न्यायालय

राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और ट्रैफिक) एक्ट, 2002

एयरपोर्ट

अपीलीय ट्रिब्यूनल

सिविल अदालत # 

वस्तुओं के भौगोलिक चिन्ह (पंजीकरण और संरक्षण) एक्ट, 1999

अपीलीय बोर्ड

उच्च न्यायालय

नोट: * कमर्शियल अदालत एक्ट, 2015 के अंतर्गत स्थापित; # जिले में मूल न्यायक्षेत्र की सिविल अदालत, और इसमें अपने मूल सामान्य सिविल न्यायक्षेत्र का उपयोग करने वाली उच्च न्यायालय शामिल है। 

SourceThe  Tribunals Reforms (Rationalisation and Conditions of ServiceBill, 2021; PRS

  • फाइनांस एक्ट 2017 केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह 19 ट्रिब्यूनल्स (जैसे कस्टम्स, एक्साइज और सेवा कर अपीलीय ट्रिब्यूनल) के सदस्यों की क्वालिफिकेशंस, उनकी सेवा की अवधि और शर्तों तथा सर्च कम सिलेक्शन कमिटी के संयोजन से संबंधित नियमों को अधिसूचित कर सकती है। बिल 2017 के एक्ट में संशोधन करता है ताकि सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी के संयोजन और सदस्यों के कार्यकाल की अवधि के प्रावधानों को उसमें शामिल किया जा सके। 
     

  • सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी: केंद्र सरकार सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी के सुझाव पर ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन और सदस्य की नियुक्ति करेगी। कमिटी में निम्नलिखित सदस्य होंगे: (i) भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जोकि कमिटी के चेयरपर्सन होंगे (कास्टिंग वोट के साथ), (ii) केंद्र सरकार द्वारा नामित दो सेक्रेटरी, (iii) वर्तमान या निवर्तमान चेयरपर्सन, या सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्ति मुख्य न्यायाधीश, और (iv) जिस मंत्रालय के अंतर्गत ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है, उसका सेक्रेटरी (वोटिंग अधिकार के बिना)। 
     

  • कार्यकाल: बिल में निर्दिष्ट किया गया है कि ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन का कार्यकाल चार वर्ष होगा, या उसकी आयु 70 वर्ष होने तक (इसमें से जो भी पहले हो)। ट्रिब्यूनल के सदस्यों के लिए यह कार्यकाल चार वर्ष होगा या उनकी आयु 67 वर्ष होने तक (इनमें से जो भी पहले हो)। 

     

  • इसके अतिरिक्त बिल उपभोक्ता संरक्षण एक्ट, 2017 के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग को फाइनांस एक्ट, 2017 के दायरे में लाता है। बिल (i) एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्ट, 1994 के अंतर्गत गठित एयरपोर्ट अपीलीय ट्रिब्यूनल, (ii) ट्रेड मार्क्स एक्ट, 1999 के अंतर्गत स्थापित अपीलीय बोर्ड, (iii) इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंतर्गत स्थापित अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स, और (iv) सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 के अंतर्गत स्थापित फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलीय अथॉरिटी को फाइनांस एक्ट, 2017 के दायरे में लाता है।

 

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