बिल का सारांश

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) बिल, 2021

 

  • दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) बिल, 2021 को लोकसभा में 15 मार्च, 2021 को पेश किया गया। बिल दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन एक्ट, 1991 में संशोधन करता है। एक्ट दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) की विधानसभा और शासन के कामकाज के लिए फ्रेमवर्क प्रदान करता है। बिल विधानसभा और लेफ्टिनेंट गवर्नर की कुछ शक्तियों और जिम्मेदारियों में संशोधन करता है।
     
  • विधानसभा के पारित किए गए कानूनों पर प्रतिबंध: बिल में प्रावधान है कि विधानसभा द्वारा बनाए किसी भी कानून में ‘सरकार’ शब्द का अर्थ लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) होगा।
     
  • विधानसभा की कार्य प्रक्रिया के नियम: एक्ट विधानसभा को इस बात की अनुमति देता है कि वह विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन को रेगुलेट करने के लिए नियम बना सकती है। बिल में प्रावधान किया गया है कि ये नियम लोकसभा की कार्य प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के अनुरूप होने चाहिए।  
     
  • प्रशासनिक निर्णयों की विधानसभा द्वारा जांच: बिल कहता है कि (i) दिल्ली एनसीटी के रोजमर्रा के प्रशासन से संबंधित मामलों पर विचार करने और (ii) प्रशासनिक निर्णयों के संबंध में किसी जांच के लिए विधानसभा न तो खुद को सशक्त करने का कोई नियम बना सकती है और न ही किसी कमिटी को नियम बनाने का अधिकार दे सकती है। इसके अतिरिक्त बिल में प्रावधान है कि इस कानून के लागू होने से पहले बनाए गए सभी नियम अमान्य होंगे।
     
  • बिल्स पर सम्मति: एक्ट में एलजी से अपेक्षित है कि वह विधानसभा द्वारा पारित कुछ बिल्स को राष्ट्रपति के विचार के लिए रिजर्व कर लेगा। जैसे (i) जो बिल्स दिल्ली उच्च न्यायालय की शक्तियों को कम करते हैं, (ii) जिन्हें राष्ट्रपति रिजर्व करने का निर्देश दें, (iii) विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों तथा मंत्रियों के वेतन और भत्तों से संबंधित बिल्स, या (iv) विधानसभा या दिल्ली एनसीटी की आधिकारिक भाषा से संबंधित बिल। बिल में एलजी से अपेक्षित है कि वह उन बिल्स को भी राष्ट्रपति के लिए रिजर्व करेगा जो विधानभा की शक्तियों के दायरे से बाहर आने वाले मामलों से संबंधित हों।  
     
  • कार्यकारी कार्रवाई पर एलजी की राय: एक्ट में निर्दिष्ट किया गया है कि सरकार के सभी कार्यकारी कार्य, चाहे मंत्रियों की सलाह से किए जाएं या अन्यथा, एलजी के नाम पर किए जाएंगे। बिल कहता है कि कुछ मामलों में, जैसा कि एलजी द्वारा निर्दिष्ट हो, मंत्रियों/मंत्रिपरिषद के फैसलों पर कार्यकारी कार्रवाई से पहले एलजी की राय ली जाएगी।


 

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