बिल का सारांश

जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) संशोधन बिल, 2021

  • जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) संशोधन बिल, 2021 को 30 जुलाई, 2021 को लोकसभा में पेश किया गया। बिल जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) एक्ट, 1972 में संशोधन करता है। भारत में जनरल इंश्योरेंस बिजनेस करने वाली सभी निजी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करने के लिए इस कानून को लागू किया गया था। बिल इस कानून के अंतर्गत रेगुलेट होने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास करता है।  
     
  • 1972 के एक्ट के अंतर्गत भारतीय जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (जीआईसी) की स्थापना की गई थी। एक्ट के अंतर्गत राष्ट्रीयकृत कंपनियों के कारोबार को जीआईसी की चार सबसिडियरी कंपनियों में पुनर्गठित किया गया था। ये कंपनियां हैं: (i) नेशनल इंश्योरेंस, (ii) न्यू इंडिया इंश्योरेंस, (iii) ओरिएंटल इंश्योरेंस और (iv) युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस। 2002 में इस एक्ट में संशोधन किया गया ताकि जीआईसी की चार सबसिडियरी कंपनियों का नियंत्रण केंद्र सरकार को हस्तांतरित किया जा सके। इससे ये स्वतंत्र कंपनियां बन गई हैं। 2000 से जीआईसी विशेष रूप से रीइंश्योरेंस बिजनेस करता है।
     
  • सरकार की शेयरहोल्डिंग की सीमा: एक्ट में अपेक्षित है कि निर्दिष्ट बीमा कंपनियों (उपरोक्त पांच कंपनियों) में केंद्र सरकार की शेयरहोल्डिंग की सीमा कम से कम 51% होनी चाहिए। बिल इस प्रावधान को हटाता है।
     
  • जनरल इंश्योरेंस बिजनेस की परिभाषा में परिवर्तन: एक्ट में जनरल इंश्योरेंस बिजनेस की परिभाषा के दायरे में आग, मैरीन या विविध इंश्योरेंस बिजनेस शामिल हैं। लेकिन इसमें कैपिटल रिडेम्पशन और एन्युटी सर्टेन बिजनेस शामिल नहीं। कैपिटल रिडेम्पशन में लाभार्थी समय-समय पर प्रीमियम का भुगतान करता है और उसके बाद बीमाकर्ता एक विशिष्ट तिथि पर राशि का भुगतान करता है। एन्युटी सर्टेन इंश्योरेंस के अंतर्गत बीमाकर्ता लाभार्थी को एक निश्चित अवधि में भुगतान करता है। बिल इस परिभाषा को हटाता है और इसके बजाय बीमा एक्ट, 1938 में दी गई परिभाषा को संदर्भित करता है। बीमा एक्ट के अंतर्गत कैपिटल रिडेम्पशन और एन्युटी सर्टेन जनरल इंश्योरेंस बिजनेस में शामिल हैं।
     
  • सरकार के नियंत्रण का हस्तांतरण: बिल में प्रावधान है कि जिस तारीख को केंद्र सरकार निर्दिष्ट बीमा कंपनी से अपना नियंत्रण छोड़ती है, उस तारीख से एक्ट उस कंपनी पर लागू नहीं होगा। नियंत्रण का अर्थ है: (i) निर्दिष्ट बीमा कंपनी के डायरेक्टर्स के बहुमत को नियुक्त करने की शक्ति, या (ii) उसके प्रबंधन या नीतिगत निर्णयों पर नियंत्रण।
     
  • एक्ट केंद्र सरकार को निर्दिष्ट बीमाकर्ताओं के कर्मचारियों की सेवा के नियम और शर्तों को अधिसूचित करने की शक्ति देता है। बिल में प्रावधान है कि इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई योजनाओं को बीमाकर्ता द्वारा अपनाया गया माना जाएगा। बीमाकर्ता के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स इन योजनाओं में बदलाव कर सकते हैं या नई नीतियां बना सकते हैं। इसके अतिरिक्त इन योजनाओं के अंतर्गत केंद्र सरकार की शक्तियां (एक्ट के अंतर्गत तैयार) बीमाकर्ता के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को हस्तांतरित हो जाएंगी। 
     
  • डायरेक्टर्स की जवाबदेही: बिल में निर्दिष्ट है कि बीमाकर्ता का डायरेक्टर, जोकि पूर्णकालिक डायरेक्टर नहीं है, की जवाबदेही कुछ ही कार्यों के लिए होगी। इनमें ऐसे कार्य शामिल हैं जिन्हें (i) बोर्ड की प्रक्रिया के माध्यम से उसकी जानकारी के साथ, और (ii) उसकी सहमति या मौन सहमति या जहां उसने सावधानीपूर्वक काम नहीं किया था, के साथ किया गया था।

 

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