बिल का सारांश

टैक्सेशन कानून (संशोधन) बिल, 2021

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 5 अगस्त, 2021 को लोकसभा में टैक्सेशन कानून (संशोधन) बिल, 2021 को पेश किया। बिल इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (आईटी एक्ट) और फाइनांस एक्ट, 2012 में संशोधन करता है। 2012 के एक्ट ने आईटी एक्ट में संशोधन किया था ताकि विदेशी कंपनी के शेयरों की बिक्री से अर्जित आय पर पूर्वव्यापी (रेट्रोस्पेक्टिव) आधार पर टैक्स लायबिलिटी को लागू किया जा सके (यानी 28 मई, 2012 से पहले किए गए लेनदेन पर टैक्स लायबिलिटी लागू की जा सके)। बिल टैक्सेशन के लिए पूर्वव्यापी आधार को रद्द करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • भारत के बाहर शेयर्स की बिक्री से मिलने वाली आय पर टैक्स: आईटी एक्ट के अंतर्गत गैर निवासियों को भारत में स्थित किसी भी व्यावसायिक कनेक्शन, संपत्ति, एसेट या आय के स्रोत के जरिए या उससे होने वाली आय पर टैक्स का भुगतान करना जरूरी है। 2012 के एक्ट द्वारा किए गए संशोधनों में स्पष्ट था कि अगर कंपनी भारत के बाहर रजिस्टर्ड या निगमित है तो उसके शेयरों को हमेशा भारत में स्थित माना जाएगा, अगर वे भारत में स्थित एसेट्स से अपना काफी अधिक मूल्य प्राप्त करते हैं। परिणाम के तौर पर एक्ट के लागू होने से पहले (यानी 28 मई, 2021) विदेशी कंपनी के शेयर्स को बेचने वाले व्यक्ति भी इस बिक्री से होने वाली आय पर टैक्स देने के लिए उत्तरदायी हो गए थे।
     
  • मौजूदा बिल प्रस्ताव रखता है कि ऐसे लोगों पर टैक्स लायबिलिटी रद्द हो जाएगी, अगर वे निम्नलिखित शर्तों को पूरा करते है:

(i) अगर व्यक्ति ने इस संबंध में कोई अपील या याचिका दायर की है, तो उसे वापस लेना होगा या इसे वापस लेने की अंडरटेकिंग देनी होगी,

(ii) यदि व्यक्ति ने इस संबंध में किसी आर्बिट्रेशन, सुलह या मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की है या नोटिस दिया है, तो ऐसी कार्यवाही के अंतर्गत नोटिस या दावों को वापस लेना होगा या इसे वापस लेने की अंडरटेकिंग देनी होगी,

(iii) व्यक्ति को इस संबंध में किसी भी उपाय या दावे की मांग करने या उसके आग्रह करने के अधिकार को छोड़ने के लिए एक अंडरटेकिंग देनी होगी, जो अन्यथा किसी भी कानून या किसी द्विपक्षीय समझौते के अंतर्गत उपलब्ध हो सकता है, और

(iv) अन्य शर्तें, जिन्हें निर्दिष्ट किया जा सकता है।

  • बिल में प्रावधान है कि अगर संबंधित व्यक्ति इन शर्तों को पूरा करता है तो माना जाएगा कि कोई एसेसमेंट या रीएससमेंट ऑर्डर कभी जारी ही नहीं किए गए थे। इसके अतिरिक्त अगर व्यक्ति इन शर्तों को पूरा करने के बाद रीफंड का पात्र होता है तो उसे बिना किसी ब्याज के वह राशि वापस कर दी जाएगी।

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