बिल का सारांश

ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) बिल, 2022

  • ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) बिल, 2022 को 3 अगस्त, 2022 को लोकसभा में पेश किया गया। बिल ऊर्जा संरक्षण एक्ट, 2001 में संशोधन का प्रयास करता है। एक्ट ऊर्जा दक्षता और संरक्षण को बढ़ावा देता है। इसमें उपकरणों, घरेलू उपयोग के उपकरणों, भवनों तथा उद्योगों द्वारा उपभोग की जाने वाली ऊर्जा के रेगुलेशन का प्रावधान है। बिल के मुख्य प्रस्तावों में निम्न शामिल हैं:
     
  • ऊर्जा के नॉन-फॉसिल स्रोतों के इस्तेमाल की बाध्यताएक्ट केंद्र सरकार को अधिकार देता है कि वह ऊर्जा उपभोग के मानकों को निर्दिष्ट करे। बिल इसमें यह जोड़ता है कि सरकार किसी निर्दिष्ट उपभोक्ता से यह अपेक्षा कर सकती है कि वह ऊर्जा की खपत का एक न्यूनतम हिस्सा नॉन-फॉसिल स्रोत से प्राप्त करे। अलग-अलग नॉन-फॉसिल स्रोतों और उपभोक्ताओं की श्रेणियों के लिए उपभोग की अलग-अलग सीमाएं निर्दिष्ट की जा सकती हैं। निर्दिष्ट उपभोक्ताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) उद्योग जैसे खनन, स्टील, सीमेंट, टेक्सटाइल, रसायन और पेट्रोरसायन, (ii) रेलवे सहित परिवहन क्षेत्र, और (iii) व्यावसायिक इमारतें, जैसा कि अनुसूची में निर्दिष्ट है। नॉन-फॉसिल स्रोतों से ऊर्जा के उपभोग की बाध्यता पूरी न करने की स्थिति में 10 लाख रुपए तक के जुर्माने की सजा होगी। इसके अतिरिक्त भी जुर्माना लगेगा। इसके लिए यह देखा जाएगा कि निर्धारित मानदंड से कितने अधिक यूनिट ऊर्जा की खपत की गई। उतने ही यूनिट तेल की जो कीमत होगी, उसका दोगुना जुर्माना वसूला जाएगा। 
     
  • कार्बन ट्रेडिंगबिल केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम निर्दिष्ट करे। कार्बन क्रेडिट का अर्थ कार्बन उत्सर्जन की एक निर्दिष्ट मात्रा का व्यापार योग्य परमिट। केंद्र सरकार या कोई अधिकृत एजेंसी इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत और उसका अनुपालन करने वाली संस्थाओं को कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट्स जारी कर सकती है। संस्थाएं सर्टिफिकेट को खऱीदने या बेचने के लिए अधिकृत होंगी। कोई अन्य व्यक्ति भी स्वेच्छा से कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट खरीद सकता है।
     
  • इमारतों के लिए ऊर्जा संरक्षण संहिता: एक्ट केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह इमारतों के लिए ऊर्जा संरक्षण संहिता निर्दिष्ट करे। संहिता क्षेत्रफल के लिहाज से ऊर्जा उपभोग के मानदंड निर्दिष्ट करती है। बिल इसमें संशोधन करके ऊर्जा संरक्षण और टिकाऊ भवन संहिता का प्रावधान करता है। यह नई संहिता ऊर्जा दक्षता एवं संरक्षण, अक्षय ऊर्जा के उपयोग, और हरित भवनों की अन्य जरूरतों से संबंधित नियमों का प्रावधान करेगी।
     
  • आवासीय भवनों पर एप्लिकेबिलिटीएक्ट के अंतर्गत ऊर्जा संरक्षण संहिता निम्नलिखित इमारतों पर लागू होती है: (i) संहिता की अधिसूचना के बाद निर्मित, और (ii) 100 किलोवॉट (kW) के न्यूनतम कनेक्टेड लोड या 120 किलो वोल्ट एंपियर (kVA) के कॉन्ट्रैक्ट लोड वाली। बिल के अंतर्गत नई ऊर्जा संरक्षण और टिकाऊ भवन संहिता उपरिलिखित मानदंडों को पूरा करने वाले कार्यालयी और आवासीय इमारतों पर लागू होगी। बिल राज्य सरकारों को इस लोड की सीमाओं को कम करने का अधिकार देता है।
     
  • वाहनों और जलयानों (वेसेल्स) के लिए मानदंडएक्ट के अंतर्गत ऊर्जा उपभोग के मानदंड ऐसे उपकरणों और घरेलू उपयोग के उपकरणों के लिए निर्दिष्ट किए जा सकते हैं जोकि ऊर्जा की खपत, उसे उत्पादित, ट्रांसमिट या सप्लाई करते हैं। बिल वाहनों (जैसा मोटर वाहन एक्ट, 1988 में स्पष्ट है) और जलयानों (जहाज और नावों सहित) को शामिल करने के लिए इसके दायरे को बढ़ाता है। मानदंडों का पालन न करने की स्थिति में 10 लाख रुपए तक के जुर्माने की सजा है। जलयानों के मामले में अनुपालन न करने की स्थिति में अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा। निर्धारित मानदंड से जितने यूनिट अधिक ऊर्जा की खपत की गई होगी, उतने ही यूनिट तेल की कीमत का दोगुना जुर्माना वसूला जाएगा। ईंधन खपत के नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन निर्माताओं को बेचे गए प्रत्येक वाहन पर 50,000 रुपए तक का जुर्माना चुकाना होगा।
     
  • एसईआरसी की रेगुलेटरी शक्तियांएक्ट राज्य बिजली रेगुलेटरी आयोगों (एसईआरसीज़) को एक्ट के अंतर्गत दंड पर फैसला सुनाने की शक्ति देता है। बिल इसमें यह जोड़ता है कि एसईआरसीज़ अपने काम करने के तरीके के संबंध में रेगुलेशंस भी बना सकते हैं।
     
  • बीईई की गवर्निग काउंसिल का संयोजनएक्ट में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के गठन का प्रावधान है। ब्यूरो की एक गवर्निंग काउंसिल होती है जिसमें 20 से 26 सदस्य होते हैं। इन सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) छह विभागों के सचिव, (ii) रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ जैसे केंद्रीय बिजली अथॉरिटी और भारतीय मानक ब्यूरो के प्रतिनिधि, और (iii) उद्योग जगत और उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकतम चार सदस्य। इसके स्थान पर बिल सदस्यों की संख्या 31 से 37 के बीच करता है। यह सचिवों की संख्या बढ़ाकर 12 करता है। इसके अतिरिक्त उद्योग जगत और उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों की अधिकतम संख्या सात करता है।  

 

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