बिल का सारांश

जैव विविधता (संशोधन) बिल, 2021 

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 16 दिसंबर, 2021 को लोकसभा में जैव विविधता (संशोधन) बिल, 2021 पेश किया। बिल जैव विविधता एक्ट, 2002 में संशोधन करता है। एक्ट में जैव विविधता के संरक्षण, उसके घटकों के सतत उपयोग और जैविक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों के निष्पक्ष एवं समतामूलक बंटवारे के प्रावधान हैं। बिल शोध और पेटेंट के आवेदनों को सरल बनाने, वन्य औषधीय पौधों की उपज को प्रोत्साहित करने, तथा देसी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। बिल में प्रस्तावित मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • जैविक संसाधनों तक पहुंच और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर): एक्ट में राष्ट्रीय जैवविविधता अथॉरिटी (एनबीए) का प्रावधान है जोकि जैविक संसाधनों तक पहुंच तथा इन संसाधनों पर शोध परिणामों के साझाकरण को रेगुलेट करती है। जैविक संसाधनों में पौधे, पशु, सूक्ष्मजीव या उनके जेनेटिक मैटीरियल शामिल होते हैं जिन्हें मनुष्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है या वे उनके लिए कीमती होते हैं (लेकिन इनमें ह्यूमन जेनेटिक मैटीरियल शामिल नहीं)। कुछ एंटिटीज़ को जैविक संसाधनों को हासिल करने और आईपीआर के लिए आवेदन करने से पहले एनबीए से मंजूरी लेनी होगी। इन एंटिटीज़ में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गैर निवासी, (ii) अनिवासी नागरिक, (iii) संगठन जो भारत में पंजीकृत नहीं हैं, और (iv) भारत में पंजीकृत संगठन, जिसमें गैर भारतीय शेयरहोल्डिंग या मैनेजमेंट है। बिल भारत में पंजीकृत किसी भी विदेशी नियंत्रित कंपनी की आखिरी श्रेणी में संशोधन करता है। बिल यह प्रावधान भी करता है कि इन चार श्रेणियों के आवेदकों को आईपीआर मिलने से पहले एनबीए से मंजूरी हासिल करनी होगी (फिलहाल आईपीआर के लिए आवेदन करने से पहले एनबीए की मंजूरी लेनी होती है)।
     
  • एक्ट के अंतर्गत राज्य सरकारें राज्य जैवविविधता बोर्ड (एसएसबी) का गठन करती हैं। ये बोर्ड राज्य सरकारों को जैवविविधता के संरक्षण के संबंध में सलाह देते हैं। भारतीय नागरिक और भारत में पंजीकृत संगठनों को कमर्शियल इस्तेमाल के लिए किसी जैविक संसाधन को हासिल करने से पहले एसएसबी को सूचना देनी चाहिए। उन्हें आईपीआर के लिए आवेदन करने से पहले एनबीए की मंजूरी लेनी चाहिए। बिल इसमें संशोधन करता है और प्रावधान करता है कि जिन्हें जैविक संसाधनों तक पहुंच के लिए एनबीए से मंजूरी की जरूरत न हो, उन्हें संबंधित एसएसबी को पूर्व सूचना देनी होगी। इसके अतिरिक्त उन्हें: (i) आईपीआर मिलने से पहले एनबीए में पंजीकरण कराना होगा, और (ii) उस आईपीआर को कमर्शियलाइज करने से पहले एनबीए से मंजूरी लेनी होगी।
     
  • छूटएक्ट के अंतर्गत कुछ समुदायों को कमर्शियल उपयोग के लिए किसी जैविक संसाधन को हासिल करने से पहले एसएसबी को सूचना देने की जरूरत नहीं है। इन लोगों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) उस क्षेत्र के स्थानीय लोग और समुदाय, और (ii) देसी चिकित्सा पद्धति का प्रयोग करने वाले लोग (जैसे वैद्य और हकीम)। बिल पंजीकृत आयुष (आयुर्वेद, योग तथा प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) प्रैक्टीशनर्स और औषधीय पौधों तथा उनके उत्पादों को उगाने वालों को भी यह छूट देता है। 
     
  • राष्ट्रीय जैवविविधता अथॉरिटी की संरचना: एक्ट में 16 सदस्यीय राष्ट्रीय जैवविविधता अथॉरिटी का प्रावधान है। इन सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त 10 पदेन सदस्य जोकि विभिन्न मंत्रालयों के साथ अलग-अलग विषयों पर कार्य करते हों (जैसे जैवतकनीक, कृषि, पर्यावरण एवं वन, भारतीय चिकित्सा पद्धति, पृथ्वी विज्ञान), और (ii) पांच गैर सरकारी सदस्य जोकि विशिष्ट विषयों के विशेषज्ञ तथा उद्योग जगत एवं संरक्षकों के प्रतिनिधि हैं। बिल अथॉरिटी में 11 अतिरिक्त सदस्यों का प्रावधान करता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वन्य जीव, वानिकी अनुसंधान और पंचायती राज जैसे क्षेत्रों में कार्य करने वाले छह पदेन सदस्य, (ii) राज्य जैवविविधता बोर्ड्स के चार सदस्य (रोटेशन के आधार पर), और (ii) सदस्य सचिव (उसे जैवविविधता संरक्षण के क्षेत्र का अनुभव होना चाहिए)। सदस्य सचिव एनबीए का मुख्य समन्वयक अधिकारी होगा।
     
  • संकटग्रस्त प्रजातियांएक्ट केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह संबंधित राज्य सरकार से सलाह करके ऐसी किसी भी प्रजाति को संकटग्रस्त प्रजाति अधिसूचित कर सकता है जोकि लुप्तप्राय हो। बिल केंद्र सरकार को इस बात की अनुमति देता है कि वह यह अधिकार राज्य सरकार को सौंप दे। हालांकि किसी प्रजाति को संकटग्रस्त प्रजाति अधिसूचित करने से पहले राज्य सरकार को एनबीए से सलाह लेनी होगी।
     
  • जैवविविधता प्रबंधन कमिटी (बीएमसी): एक्ट स्थानीय निकायों के लिए यह अनिवार्य करता है कि वे प्राकृतिक वासों के संरक्षण को बढ़ावा देने, और पौधों की विशिष्ट किस्मों, पशुओं की नस्लों और सूक्ष्म जीवों के संरक्षण को डॉक्यूमेंट करने के लिए बीएमसी का गठन करे। बिल निर्दिष्ट करता है कि राज्य सरकारें इन कमिटियों की संरचना को निर्दिष्ट करेंगी और इसमें सात से 11 सदस्य होने चाहिए। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार मध्यवर्ती या जिला पंचायत स्तर पर भी बीएमसी का गठन कर सकती है। 
     
  • अपराध: एक्ट के अंतर्गत आने वाले अपराध संज्ञेय और गैर जमानती हैं। संज्ञेय अपराध वह होता है जिसमें पुलिस अधिकारी आरोपी को वॉरंट के बिना गिरफ्तार कर सकता है। बिल में इस प्रावधान को डिलीट कर दिया गया है।

 

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