बिल का सारांश

बहु-राज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) बिल, 2022

  • बहु-राज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) बिल, 2022 को लोकसभा में 7 दिसंबर, 2022 को पेश किया गया। यह बिल बहु-राज्यीय सहकारी समिति एक्ट, 2002 में संशोधन करता है। बहु-राज्यीय सहकारी समितियां एक से अधिक राज्यों में काम करती हैं। बिल के मुख्य प्रावधानों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • बोर्ड के सदस्यों का निर्वाचन: एक्ट के तहत बहु-राज्यीय सहकारी समिति के बोर्ड का निर्वाचन उसके मौजूदा बोर्ड द्वारा किया जाता है। बिल इसमें संशोधन करता है और निर्दिष्ट करता है कि केंद्र सरकार सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण बनाएगी जोकि निम्नलिखित कार्य करेगा: (i) निर्वाचन करना, (ii) मतदाता सूची को तैयार करने से संबंधित मामलों का निरीक्षण, निर्देशन और उसका नियंत्रण करना, और (iii) अन्य निर्दिष्ट काम करना। प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे। केंद्र सरकार चयन समिति के सुझावों के आधार पर इन सदस्यों की नियुक्ति करेगी।

  • इसके अतिरिक्त सिर्फ सक्रिय सदस्य ही सहकारी समिति के बोर्ड के सदस्य या पदाधिकारी के तौर पर चुने जाने के पात्र होंगे। सक्रिय सदस्य वे होते हैं जो समिति के न्यूनतम स्तर के उत्पादों या सेवाओं का लाभ उठाते हैंया जिन्होंने लगातार कम से कम तीन आम बैठकों में भाग लिया है।

  • शिकायतों का निवारण: बिल के अनुसार, केंद्र सरकार प्रादेशिक क्षेत्राधिकार के साथ एक या एक से अधिक सहकारी ऑम्बुड्ज़्मैन की नियुक्ति करेगी। ऑम्बुड्ज़्मैन निम्नलिखित के संबंध में सहकारी समितियों के सदस्यों की शिकायतों की जांच करेगा: (i) उनकी जमा, (ii) समिति के कामकाज के उचित लाभ, या (iii) सदस्यों के व्यक्तिगत अधिकारों को प्रभावित करने वाले मुद्दे। ऑम्बुड्ज़्मैन शिकायत प्राप्त होने के तीन महीनों के भीतर जांच और अधिनिर्णय की प्रक्रिया को पूरी करेगा। ऑम्बुड्ज़्मैन के निर्देशों के खिलाफ एक महीने के भीतर केंद्रीय रजिस्ट्रार (जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार करती है) में अपील दायर की जा सकती है।

  • सहकारी समितियों का एकीकरण: एक्ट में बहु-राज्यीय सहकारी समितियों के एकीकरण और विभाजन का प्रावधान है। आम बैठक में एक प्रस्ताव पारित करके, ऐसा किया जा सकता है। इसके लिए मौजूद और वोट करने वाले कम से कम दो तिहाई सदस्यों की जरूरत होती है। बिल सहकारी समितियों (राज्य कानूनों के तहत पंजीकृत) को मौजूदा बहु-राज्यीय सहकारी समिति में विलय होने की अनुमति देता है। इस विलय के लिए आम बैठक में सहकारी समिति के मौजूदा और वोट देने वाले दो तिहाई सदस्यों को प्रस्ताव पारित करना होगा।

  • बीमारू सहकारी समितियों के लिए कोष: बिल बीमारू बहु-राज्यीय सहकारी समितियों के पुनर्जीवन के लिए सहकारी पुनर्वास, पुनर्निर्माण एवं विकास कोष की स्थापना करता है। बीमारू बहु-राज्यीय सहकारी समिति वह होती है: (i) जिसका संचयी घाटा उसकी चुकता पूंजी (पेड-अप कैपिटल), फ्री रिजर्व और अधिशेष के बराबर या उससे अधिक है, और (ii) जिसने पिछले दो वर्षों में नकद घाटा उठाया है। केंद्र सरकार समिति के पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए योजना तैयार कर सकती है। इस कोष का वित्त पोषण उन बहु-राज्यीय सहकारी समितियों द्वारा किया जाएगा, जो पिछले तीन वित्तीय वर्षों से लाभ में रही हैं। ये समितियां कोष में एक करोड़ रुपए या अपने शुद्ध लाभ का एक प्रतिशत, जो भी कम होगा, जमा करेंगी।

  • निर्दिष्ट सहकारी समितियां: एक्ट के तहत केंद्र सरकार निर्दिष्ट सहकारी समितियों के बोर्ड्स को निर्देश दे सकती है या उनका स्थान ले सकती है। ये ऐसी बहु-राज्यीय सहकारी समितियां हैं जहां केंद्र सरकार की शेयरहोल्डिंग कम से कम 51% है। बिल इस परिभाषा में संशोधन करता है ताकि उन बहु-राज्यीय सहकारी समितियों को इसमें शामिल किया जा सके जिनमें सरकार की शेयरहोल्डिंग है या जिन्हें सरकार ने कोई ऋण, वित्तीय सहायता या गारंटी दी है।

  • निदेशक बोर्ड का संयोजन: एक्ट के तहत बहु-राज्यीय सहकारी समिति के बोर्ड में अधिकतम 21 निदेशक होंगे। बोर्ड दो अतिरिक्त निदेशकों को चुन सकता है। बिल ने बोर्ड के संयोजन में संशोधन किया है ताकि: (i) अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के एक सदस्य, और (ii) दो महिला सदस्यों को उसमें शामिल किया जा सके। इसके अतिरिक्त शामिल किए जाने वाले सदस्यों को बैंकिंग, फाइनांसिंग, सहकारी प्रबंधन के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त या बहु-राज्यीय सहकारी समिति के कामकाज से संबंधित क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त होना चाहिए।

  • दंड को बढ़ाना: एक्ट के तहत बहु-राज्यीय सहकारी समिति या उसके अधिकारियों या सदस्यों के कुछ अपराधों में झूठे रिटर्न भरना, गलत सूचना देना या अपराधों के सम्मन का पालन न करना शामिल है। इन अपराधों के लिए जुर्माना 2,000 रुपए से 10,000 रुपए के बीच है। बिल कहता है कि रिटर्न या सूचना को दायर न करना भी अपराध होगा। इन सभी अपराधों के लिए 5,000 रुपए से एक लाख रुपए के बीच जुर्माना भरना होगा।

 

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