बिल का सारांश

डाकघर बिल, 2023

  • डाकघर बिल, 2023 को राज्यसभा में 10 अगस्त, 2023 को पेश किया गया। यह भारतीय डाकघर एक्ट, 1898 को निरस्त करता है। यह बिल केंद्र सरकार के उपक्रम डाकघर के कामकाज से संबंधित मामलों का भी प्रावधान करता है (जिसे भारतीय डाक के नाम से जाना जाता है)।

  • केंद्र सरकार के विशेष विशेषाधिकार: एक्ट में प्रावधान है कि जहां भी केंद्र सरकार डाकघर स्थापित करती हैउसे डाक द्वारा पत्र भेजने के साथ-साथ पत्र प्राप्त करनेएकत्र करनेभेजने और वितरित करने जैसी आकस्मिक सेवाओं का विशेष विशेषाधिकार होगा। बिल में ऐसे विशेषाधिकार शामिल नहीं हैं। एक्ट केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार डाक टिकट जारी करने का प्रावधान करता है। बिल में यह भी कहा गया है कि डाकघर को डाक टिकट जारी करने का विशेष विशेषाधिकार होगा।

  • निर्दिष्ट सेवाएंएक्ट डाकघर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को निर्दिष्ट करता हैजिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पत्रपोस्टकार्ड और पार्सल सहित पोस्टल आर्टिकल्स की डिलीवरीऔर (ii) मनी ऑर्डर। बिल में प्रावधान है कि डाकघर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सेवाएं प्रदान करेगा।

  • शिपमेंट्स को इंटरसेप्ट करने की शक्तियांएक्ट कुछ आधार पर पोस्ट के माध्यम से भेजे जाने वाले शिपमेंट के इंटरसेप्शन की अनुमति देता है। किसी भी सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति मेंया सार्वजनिक सुरक्षा या शांति के हित में इंटरसेप्शन किया जा सकता है। केंद्र सरकारराज्य सरकारों या उनके द्वारा विशेष रूप से अधिकृत कोई अधिकारी यह इंटरसेप्शन कर सकते हैं। प्रभारी अधिकारी ने जिस शिपमेंट को इंटरसेप्ट किया है, उसे जब्त या निस्तारित किया जा सकता है। अधिकारी के पास एक्ट या किसी अन्य कानून के तहत निषिद्ध वस्तुओं को ले जाने वाले शिपमेंट को खोलनेउसे जब्त करने या नष्ट करने की भी शक्तियां हैं

  • इसके बजाय बिल में प्रावधान है कि डाक के माध्यम से भेजे जाने वाले शिपमेंट को निम्नलिखित आधार पर इंटरसेप्ट किया जा सकता है: (i) राज्य की सुरक्षा, (ii) विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, (iii) सार्वजनिक व्यवस्थाआपातकालया सार्वजनिक सुरक्षाऔर (iv) बिल या किसी अन्य कानून के प्रावधानों का उल्लंघन। एक अधिसूचना के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा अधिकार प्राप्त अधिकारी इंटरसेप्शन को अंजाम दे सकता है।

  • महानिदेशक को सेवाओं के संबंध में नियम बनाने होंगे: एक्टसाथ ही बिलडाक सेवा महानिदेशक की नियुक्ति का प्रावधान करता है। एक्ट के तहतमहानिदेशक के पास डाक सेवाओं की डिलीवरी का समय और तरीका तय करने की शक्तियां हैं। एक्ट के तहतकेंद्र सरकार अधिसूचना के माध्यम से डाक सेवाओं के लिए शुल्क अधिसूचित कर सकती है। बिल में प्रावधान है कि महानिदेशक डाक सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक किसी भी गतिविधि के संबंध में नियम बना सकते हैं। बिल के अनुसारमहानिदेशक शुल्क निर्दिष्ट करने के लिए नियम बना सकते हैं। महानिदेशक डाक टिकटों और डाक स्टेशनरी की आपूर्ति और बिक्री के नियम भी बना सकते हैं।

  • कानून के तहत निषिद्ध शिपमेंट की जांच या शुल्क देयताएक्ट के तहतडाकघर का प्रभारी अधिकारी किसी शिपमेंट की जांच कर सकता है, अगर उसे संदेह है कि इसमें ऐसे सामान हैं जो निषिद्ध हैंया शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। अधिकारी को शिपमेंट के प्राप्तकर्ता (एड्रेसी) को व्यक्तिगत रूप से या एजेंट द्वारा इस जांच में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हुए एक नोटिस भेजना होगा। महानिदेशक एड्रेसी की गैरमौजूदगी में दो गवाहों की मौजूदगी का निर्देश दे सकते हैं। बिल जांच की शक्तियों को हटाता है। इसके बजाय यह प्रावधान करता है कि ऐसे मामलों मेंकेंद्र सरकार डाकघर के एक अधिकारी को कस्टम्स अथॉरिटी या किसी अन्य निर्दिष्ट अथॉरिटी को शिपमेंट पहुंचाने का अधिकार दे सकती है। इसके बाद अथॉरिटी संबंधित वस्तु से निपटेगी।

  • अपराध और सजा को हटानाएक्ट विभिन्न अपराधों और दंडों को निर्दिष्ट करता है। उदाहरण के लिएडाकघर के किसी अधिकारी द्वारा डाक वस्तुओं की चोरीहेराफेरी या नष्ट करने पर सात वर्ष तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। कुछ प्रतिबंधित वस्तुओं को डाक के माध्यम से भेजने पर एक वर्ष तक की कैदजुर्माना या दोनों हो सकते हैं। बिल एक को छोड़कर किसी भी अपराध या परिणाम का प्रावधान नहीं करता है। अगर उपयोगकर्ता किसी राशि का भुगतान नहीं करता या उसे नजरंदाज करता है, तो वह राशि भू-राजस्व के बकाये के रूप में वसूली योग्य होगी।

  • दायित्व से छूटएक्ट सरकार को डाक सामग्री के नुकसानगलत डिलीवरीदेरी या क्षति से संबंधित किसी भी दायित्व से छूट देता है। यह वहां लागू नहीं होता जहां दायित्व केंद्र सरकार द्वारा स्पष्ट शब्दों में लिया जाता है। अधिकारियों को भी ऐसे दायित्व से छूट दी गई है जब तक कि उन्होंने धोखाधड़ी या जानबूझकर कार्य नहीं किया हो। बिल इन प्रावधानों को बरकरार रखता है। हालांकि इसमें प्रावधान है कि केंद्र सरकार की बजाय डाकघर अपनी सेवाओं के संबंध में दायित्व निर्धारित कर सकता है।

 

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