बिल का सारांश

नागरिकता (संशोधन) बिल, 2019

  • गृह मामलों के मंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) बिल, 2019 पेश किया। यह बिल नागरिकता एक्ट, 1955 में संशोधन करता है।
     
  • नागरिकता एक्ट, 1955 उन विभिन्न तरीकों को स्पष्ट करता है जिनके आधार पर नागरिकता हासिल की जा सकती है। इसमें जन्म, वंश, पंजीकरण, देशीयकरण (नैचुरलाइजेशन) और भारत में किसी परिक्षेत्र के समावेश द्वारा नागरिकता मिलने की बात कही गई है। इसके अतिरिक्त, यह एक्ट ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया कार्डहोल्डर (ओसीआई) (भारतीय कार्डधारकों वाले विदेशी नागरिकों) के पंजीकरण और उनके अधिकारों को रेगुलेट करता है। भारत के विदेशी नागरिक मल्टीपल-इंट्री, भारत में आने के लिए मल्टी-पर्पज लाइफ लांग वीजा जैसे कुछ लाभ प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं।
     
  • अवैध प्रवासियों की परिभाषा: एक्ट अवैध प्रवासियों द्वारा भारतीय नागरिकता हासिल करने को प्रतिबंधित करता है। यह कहता है कि अवैध प्रवासी वह विदेशी है जोकि (i) वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज के बिना भारत में प्रवेश करता है, या (ii) अनुमत समय (परमिटेड टाइम) के बाद भी भारत में रुका रहता है।
     
  • बिल इस एक्ट में संशोधन करता है और कहता है कि 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में दाखिल होने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोगों के साथ अवैध प्रवासियों के तौर पर व्यवहार नहीं किया जाएगा। इस लाभ को हासिल करने के लिए उन्हें केंद्र सरकार से विदेशी एक्ट, 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) एक्ट, 1920 से छूट दी जानी चाहिए। 1920 के एक्ट में विदेशियों के पास पासपोर्ट होने का निर्देश दिया गया है जबकि 1946 का एक्ट भारत में विदेशियों के प्रवेश और वापसी को रेगुलेट करता है।
     
  • पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा नागरिकता: एक्ट कुछ शर्तों को पूरा करने वाले व्यक्ति को पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा नागरिकता का आवेदन करने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए अगर व्यक्ति भारत में एक साल से रह रहा है और उसके माता-पिता में से कोई एक पूर्व भारतीय नागरिक है, तो वह पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।
     
  • देशीयकरण द्वारा नागरिकता हासिल करने के लिए व्यक्ति की योग्यता यह है कि वह नागरिकता का आवेदन करने से पहले कम से कम 11 वर्षों तक भारत में रहा हो या केंद्र सरकार की नौकरी में हो।
     
  • बिल अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोगों को इस शर्त में कुछ छूट देता है। इन लोगों के लिए 11 वर्ष की शर्त को कम करके पांच वर्ष कर दिया गया है।
     
  • नागरिकता हासिल करने पर (i) इन लोगों को उस तिथि से भारत का नागरिक माना जाना चाहिए जब उन्होंने भारत में प्रवेश किया था, और (ii) उनके खिलाफ गैर कानूनी प्रवास या नागरिकता से संबंधित कानूनी कार्रवाई को बंद कर दिया जाएगा।
     
  • अवैध प्रवासियों के लिए नागरिकता के प्रावधान संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे। इन आदिवासी क्षेत्रों में कर्बी आंगलोंग (असम), गारो हिल्स (मेघालय), चकमा जिला (मिजोरम) और त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र जिला शामिल हैं। यह बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के अंतर्गत अधिसूचित ‘इनर लाइन’ में आने वाले क्षेत्रों में भी लागू नहीं होगा। इन क्षेत्रों में भारतीयों की यात्रा को इस परमिट प्रणाली से रेगुलेट किया जाता है। यह परमिट प्रणाली अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड में लागू है।
     
  • ओसीआईज़ के पंजीकरण को रद्द करना: एक्ट कहता है कि केंद्र सरकार कुछ आधार पर ओसीआई के पंजीकरण को रद्द कर सकती है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अगर ओसीआई ने धोखाधड़ी से पंजीकरण कराया है, या (ii) पंजीकरण से पांच वर्ष के दौरान उसे दो वर्ष या उससे अधिक समय के लिए कारावास की सजा सुनाई गई हो, या (iii) यह भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के हित के लिए आवश्यक हो। बिल पंजीकरण को रद्द करने का एक और आधार प्रदान करता है। वह यह कि अगर ओसीआई ने एक्ट के किसी प्रावधान या देश में लागू किसी कानून का उल्लंघन किया हो। ओसीआई को रद्द करने का आदेश तब तक मंजूर नहीं किया जाएगा, जब तक ओसीआई कार्डहोल्डर को सुनवाई का मौका न दिया जाए।

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