बिल का सारांश

विद्युत (संशोधन) बिल, 2014

  • विद्युत (संशोधन) बिल, 2014 को 19 दिसंबर, 2014 को ऊर्जा मंत्री श्री पीयूष गोयल द्वारा लोक सभा में पेश किया गया था। बिल द्वारा विद्युत अधिनियम (एक्ट), 2003 में संशोधन का प्रयास किया गया है। मुख्य रूप से, इसके द्वारा बिजली आपूर्ति व्यवसाय से डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को अलग करने का प्रयास किया गया है। इसके द्वारा बाज़ार में एक से ज़्यादा सप्लाई लाइसेंसधारियों को लाने का प्रयास किया गया है।
     
  • डिस्ट्रीब्यूशन और सप्लाई को अलग करना: एक्ट के तहत डिस्ट्रीब्यूशन करने वाले लाइसेंसधारी उपभोक्ताओं को बिजली का डिस्ट्रीब्यूशन और सप्लाई दोनों करते हैं। बिल में एक सप्लाई लाइसेंसधारी की बात की गई है जिसे उपभोक्ताओं को बिजली की सप्लाई का अधिकार दिया जाएगा। डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसधारी बिजली का डिस्ट्रीब्यूशन करेगा और बिजली सप्लाई की सुविधा मुहैय्या कराएगा। बिल के तहत डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसधारी सप्लाई लाइसेंसधारी को सप्लाई लाइसेंस ट्रांसफर कर सकता है।
     
  • डिस्ट्रीब्यूशन: एक्ट के तहत, डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसधारी के लिए सप्लाई का आवेदन प्राप्त करने के एक माह के अंदर उपभोक्ता के परिसर में बिजली की सप्लाई करना ज़रूरी है। बिल के तहत, डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसधारी आवेदन का अनुरोध प्राप्त करने के 15 दिन के अंदर बिजली की सप्लाई के लिए कनेक्शन प्रदान करेगा। बिल द्वारा एक इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कोड तैयार किया गया है जिसके बारे में राज्य नियामक आयोग द्वारा निर्देश दिया जाएगा। कोड बिजली शुल्क की रिकवरी, बिजली के बिल के इंटरवल, बिल का भुगतान नहीं होने पर सेवाओं की समाप्ति आदि को तय करेगा।
     
  • सप्लाई: केंद्रीय या राज्य रेगुलेटरी आयोग सप्लाई के एक क्षेत्र में एक से ज़्यादा सप्लाई लाइसेंस की अनुमति दे सकता है। कम से कम एक सप्लाई लाइसेंसधारी को सरकारी कंपनी या सरकार द्वारा नियंत्रित कंपनी होना चाहिए। बिल कहता है कि उपभोक्ता यह चुन सकते हैं कि उन्हें कई सप्लाई लाइसेंसधारियों में से किससे बिजली खरीदनी है। उपभोक्ता नोटिस देकर सप्लायर भी बदल सकते हैं। बिल केवल सप्लाई संबंधी मामलों के सिलसिले में इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड में संशोधन करता है और डिस्ट्रिब्यूशन संबंधी मामलों को कोड से हटाता है।
     
  • टैरिफ: डिस्ट्रीब्यूशन के संदर्भ में, केंद्रीय या राज्य रेगुलेटरी आयोग बिजली के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए टैरिफ का निर्धारण करेगा। सप्लाई के संदर्भ में, राज्य रेगुलेटरी आयोग टैरिफ का निर्धारण करेगा। बिजली सप्लाई के लिए कीमतें संबंधित आयोग द्वारा निश्चित सीलिंग प्राइज के अनुसार बाज़ार द्वारा निर्धारित की जाएंगी।
     
  • अक्षय ऊर्जा: एक्ट ऊर्जा के अक्षय स्रोतों को परिभाषित नहीं करता है। बिल में अक्षय ऊर्जा के स्रोतों को परिभाषित करते हुए हाइड्रो, पवन, सौर, बायो-मास, इन स्रोतों से सह-उत्पादन, जियोथर्मल और केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अनुसार अन्य स्रोत शामिल हैं। एक्ट के तहत नेशनल इलेक्ट्रिसिटी पॉलिसी का प्रस्ताव है। बिल द्वारा एक अतिरिक्त नेशनल रिन्युएबल एनर्जी पॉलिसी को प्रस्तावित किया गया है। बिल द्वारा कर में छूट, उत्पादन संबंधित इन्सेंटिव आदि के माध्यम से अक्षय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है।
     
  • दंड: बिल द्वारा केंद्रीय या राज्य रेगुलेटरी आयोग के निर्देशों का पालन करने में लाइसेंसधारियों की असफलता के लिए दंड को बढ़ाया गया है। एक्ट के तहत, केंद्रीय स्तर पर सभी कंपनियों पर 15 लाख रुपए तक का दंड लगाया जाएगा और राज्य स्तर पर 5 लाख रुपए तक का दंड लगाया जाएगा। बिल द्वारा इसे बढ़ाकर क्रमशः 10 करोड़ रुपए और 1 करोड़ रुपए किया गया है। अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करने वाली कंपनियों के लिए, केंद्रीय और राज्य स्तर पर दंड क्रमशः 1 करोड़ और 10 लाख रुपए होगा।
     
  • सदस्यों की सेवा की शर्तें: बिल द्वारा केंद्रीय या राज्य रेगुलेटरी आयोग के अध्यक्ष या अन्य सदस्यों के लिए नौकरी की अवधि पाँच वर्ष से घटा कर तीन वर्ष कर दी गई है। बिल द्वारा उसी पद पर अध्यक्ष और सदस्यों की दोबारा नियुक्ति की भी अनुमति दी गई है।
     
  • स्मार्ट ग्रिड: बिल द्वारा स्मार्ट ग्रिड को एक इलेक्ट्रिसिटी नेटवर्क के रूप में परिभाषित किया गया है जो कि सही तरीके से बिजली का उत्पादन करने, ट्रांसमिट और डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए सूचना और संचार टेक्नॉलॉजी का प्रयोग करती है। इसके द्वारा स्मार्ट ग्रिड के माध्यम से बिजली देने के प्रावधान को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। बिल में बिजली के उपभोग और मीटरिंग का उचित हिसाब और माप करने के लिए स्मार्ट मीटर लगाने की भी योजना है।

 

यह सारांश मूल रूप से अंग्रेज़ी में तैयार की गयी थी। हिन्दी में इसका अनुवाद किया गया है। हिन्दी रूपान्तर में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेज़ी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

 

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