बिल का सारांश

नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज़ यूनिवर्सिटी बिल, 2020

  • गृह मामलों के मंत्री अमित शाह ने 23 मार्च, 2020 को लोकसभा में नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज़ यूनिवर्सिटी बिल, 2020 पेश किया। बिल नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज़ यूनिवर्सिटी की स्थापना का प्रयास करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • यूनिवर्सिटी की स्थापना: बिल गुजरात फॉरेंसिक साइंसेज़ यूनिवर्सिटी, गांधीनगर (गुजरात फॉरेंसिक साइंसेज़ यूनिवर्सिटी एक्ट, 2008 के अंतर्गत स्थापित) और लोक नायक जन प्रकाश नारायण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंसेज़, नई दिल्ली को गुजरात स्थित नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज़ यूनिवर्सिटी के रूप में स्थापित करता है। बिल इस यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करता है। बिल 2008 के एक्ट को रद्द करता है। यूनिवर्सिटी के कैंपस में दोनों यूनिवर्सिटीज़ के कैंपस शामिल होंगे।
     
  • यूनिवर्सिटी के उद्देश्य और कार्य: यूनिवर्सिटी के उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भारत में आपराधिक न्याय संस्थानों को मजबूत करने के लिए एप्लाइड बिहेवियरल साइंस स्टडीज़, कानून और दूसरे संबद्ध क्षेत्रों के सहयोग से फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में एकैडमिक लर्निंग को आसान बनाना और उसे बढ़ावा देना, (ii) फॉरेंसिक साइंस, एप्लाइड बिहेविलयल साइंस स्टडीज़ और कानून में अनुसंधान और एप्लाइड एप्लीकेशंस को बढ़ावा देना, (iii) केंद्र और राज्य सरकारों के साथ सहयोग करना ताकि अनुसंधानों के जरिए जांच, अपराध की पहचान करने और उसकी रोकथाम में सुधार किया जा सके, और (iv) अपराध की जांच के लिए नेशनल फॉरेंसिक डेटाबेस बनाने और उसके रखरखाव में केंद्र सरकार की सहायता करना जिसमें डीएनए, फिंगरप्रिंट्स और साइबर सिक्योरिटी शामिल हैं।
     
  • यूनिवर्सिटी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) फॉरेंसिक साइंस, एप्लाइड बिहेवियरल साइंस, कानून और क्रिमिनोलॉजी में प्रशिक्षण और अनुसंधान का प्रावधान करना, (ii) कॉलेज, स्कूल और अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना और उनका संचालन, और (iii) पाठ्यक्रम निर्धारित करना, परीक्षाएं संचालित करना और डिग्री एवं अन्य उपाधियां प्रदान करना।
     
  • अथॉरिटीज़: बिल यूनिवर्सिटी के अंतर्गत अनेक अथॉरिटीज़ का प्रावधान करता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) यूनिवर्सिटी का चांसलर, जोकि यूनिवर्सिटी का प्रमुख होगा, (ii) कोर्ट, जोकि यूनिवर्सिटी की व्यापक नीतियों और प्रोग्राम्स की समीक्षा करेगी, (iii) बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, जोकि मुख्य एग्जीक्यूटिव बॉडी होगी, और (iv) एकैडमिक काउंसिल, जोकि यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक नीतियों को निर्दिष्ट करेगी।
     
  • बोर्ड ऑफ गवर्नर्स: बोर्ड ऑफ गवर्नर्स यूनिवर्सिटी के सभी प्रशासनिक मामलों के लिए जिम्मेदार होगा। इसके सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वाइस चांसलर (केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त), (ii) वित्तीय सलाहकार, गृह मामलों का मंत्रालय, पदेन, और (iii) फॉरेंसिक और क्रिमिनोलॉजी जैसे क्षेत्रों के पांच प्रतिष्ठित व्यक्ति। नामित व्यक्ति तीन साल के लिए अपने पद पर रहेंगे।
     
  • बोर्ड के मुख्य कार्य: बोर्ड के मुख्य कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) यूनिवर्सिटी के कार्यों से संबंधित नीतिगत फैसले करना, (ii) यूनिवर्सिटी में अध्ययन के लिए पाठ्यक्रम शुरू करना, और (iii) विधान बनाना, उनमें संशोधन करना या उन्हें रद्द करना जोकि यूनिवर्सिटी की विभिन्न अथॉरिटीज़ की स्थापना, संयोजन, और शक्तियों को निर्दिष्ट करेंगे। यूनिवर्सिटी के पहले विधान को केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी।
     
  • फंड: यूनिवर्सिटी एक फंड बनाएगी जिससे उसका खर्च चलाया जाएगा। फंड में निम्नलिखित से राशि जमा की जाएगी: (i) केंद्र या राज्य सरकार के योगदान, (ii) अनुदान, उपहार और चंदा, (iii) फीस से प्राप्त आय, और (iv) किसी अन्य स्रोत से प्राप्त राशि। इस राशि का निवेश वित्त कमिटी के सुझावों के आधार पर किया जाएगा।
     
  • अपील: अगर किसी विद्यार्थी या उम्मीदवार का नाम यूनिवर्सिटी के रोल्स से हटा दिया जाता है और उसे एक साल से अधिक वर्ष तक परीक्षाओं में बैठने से रोका जाता है तो वह इस फैसले की समीक्षा के लिए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के समक्ष अपील कर सकता है। किसी विद्यार्थी के खिलाफ यूनिवर्सिटी की अनुशासनात्मक कार्रवाई से उत्पन्न विवाद को ट्रिब्यूनल ऑफ आर्बिट्रेशन के सुपुर्द किया जा सकता है (विद्यार्थी के आग्रह पर)। किसी कर्मचारी और यूनिवर्सिटी के बीच कॉन्ट्रैक्ट से उत्पन्न होने वाले विवाद को भी ट्रिब्यूनल ऑफ आर्बिट्रेशन के सुपुर्द किया जा सकता है।

 

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