बिल का सारांश

किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल, 2020

  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 14 सितंबर, 2020 को किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल, 2020 को पेश किया। यह बिल जून 2020 में जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेता है। बिल राज्यों के कृषि उत्पाद मार्केट कानूनों (राज्य एपीएमसी एक्ट्स) के अंतर्गत अधिसूचित बाजारों के बाहर किसान उपज के निर्बाध व्यापार का प्रावधान करता है। इस बिल के प्रावधान राज्यों के एपीएमसी एक्ट्स के प्रावधानों के होते हुए भी लागू रहेंगे।
  • किसान उपज का व्यापार: बिल के अंतर्गत किसान उपज में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) खाद्य सामग्री जैसे अनाज, दालें, सब्जियां, फल, खाद्य तिलहन, तेल, गन्ना, मसाले, गिरियां और पोल्ट्री, पिगरी, गोटरी, फिशरी और डेयरी उत्पाद, (ii) कच्चा कपास और जूट, और (iii) मवेशियों का चारा जिसमें खली और दूसरे कॉन्सेनट्रेट्स शामिल हैं। बिल एपीएमसी एक्ट्स के अंतर्गत अधिसूचित किसान उपज के तौर पर अन्य कृषि उत्पादों को भी परिभाषित करता है। 
  • निर्बाध व्यापार: बिल अनुमति देता है कि उपज का राज्यों के बीच और राज्य के भीतर व्यापार निम्नलिखित के बाहर भी किया जा सकता है: (i) राज्य एपीएमसी एक्ट्स के अंतर्गत गठित मार्केट कमिटी द्वारा संचालित मार्केट यार्ड्स के भौतिक परिसर, और (ii) राज्य एपीएमसी एक्ट्स के अंतर्गत अधिसूचित अन्य बाजार, जैसे निजी मार्केट यार्ड्स और मार्केट सब यार्ड्स, प्रत्यक्ष मार्केटिंग कलेक्शन सेंटर्स और निजी किसान उपभोक्ता मार्केट यार्ड्स। बिल के अंतर्गत उपज के उत्पादन, उसे जमा और एकत्र करने वाली किसी भी जगह पर व्यापार किया जा सकता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) फार्म गेट्स, (ii) कारखाने के परिसर, (iii) वेयरहाउस, (iv) सिलो, और (v) कोल्ड स्टोरेज।
  • किसान: किसान को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जोकि किसान उपज के उत्पादन में खुद या भाड़े के मजदूरों के जरिए संलग्न है। इसमें किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) भी शामिल है। एफपीओ का अर्थ किसानों का ऐसा संगठन या समूह है जोकि: (i) कानून के अंतर्गत पंजीकृत है, या (ii) केंद्र/राज्य सरकार की किसी योजना के अंतर्गत प्रमोट किया गया है।
  • व्यापार के लिए पात्रता: बिल किसानों, किसान उत्पादक संगठनों और किसान उपज की खरीद करने वालों को राज्यों के बीच और राज्य के भीतर व्यापार में निम्नलिखित की अनुमति देता है: (i) थोक व्यापार, (ii) रीटेल, (iii) एंड यूज, (iv) मूल्य संवर्धन, (v) प्रोसेसिंग, (vi) मैन्यूफैक्चरिंग, (vii) निर्यात, या (viii) उपभोग।
  • अधिसूचित किसान उपज में व्यापार: अधिसूचित किसान उपज का व्यापार करने के लिए एंटिटी को निम्नलिखित में से एक होना चाहिए: (i) एक किसान उत्पादक संगठन या कृषि सहकारी संघ, या (ii) एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंतर्गत परमानेंट एकाउंट नंबर हो या ऐसा कोई दस्तावेज जिसे केंद्र सरकार ने अधिसूचित किया हो। अधिसूचित किसान उपज के व्यापार से संबंधित प्रावधान का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को 25,000 रुपए से पांच लाख रुपए के बीच जुर्माना भरना पड़ सकता है। निरंतर उल्लंघन करने पर ऐसे व्यक्ति से प्रति दिन 5,000 रुपए के हिसाब से जुर्माना लिया जा सकता है।
  • किसानों को भुगतान: किसानों से लेनदेन करने वाले व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अधिसूचित किसान उपज के लेनदेन पर उसी दिन या कुछ शर्तों के साथ, तीन कार्यदिवसों के भीतर भुगतान करे।
  • इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म: बिल निर्दिष्ट व्यापार क्षेत्र में किसान उपज की इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की अनुमति देता है ताकि किसान उपज को सीधे या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और इंटरनेट के जरिए खरीदा-बेचा जा सके तथा उसकी फिजिकल डिलिवरी की जा सके। इन प्लेटफॉर्म्स को निम्न एंटिटीज़ बना और संचालित कर सकती हैं: (i) कंपनियां, पार्टनरशिप फर्म्स या पंजीकृत सोसायटियां, जिसके पास इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंतर्गत परमानेंट एकाउंट नंबर हो या ऐसा कोई दस्तावेज जिसे केंद्र सरकार ने अधिसूचित किया हो, और (ii) एफपीओ, और (iii) कृषि सहकारी संघ।
  • केंद्र सरकार ऐसे प्लेटफॉर्म्स के लिए मोडैलिटी तय कर सकती हैं, जैसे (i) प्रक्रिया, नियम और पंजीकरण का तरीका, और (ii) आचार संहिता, गुणवत्ता का आकलन, और भुगतान का तरीका। अगर कोई ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म केंद्र सरकार की मोडैलिटी का उल्लंघन करता है या अनुचित तरीके से व्यापार करता है तो उसका प्लेटफॉर्म को संचालित करने का अधिकार निरस्त या रद्द किया जा सकता है। प्लेटफॉर्म से संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन करने पर उसे संचालित करने वाले व्यक्ति को 50,000 से लेकर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। निरंतर उल्लंघन करने पर ऐसे व्यक्ति से प्रति दिन 10,000 रुपए के हिसाब से जुर्माना लिया जा सकता है।
  • राज्यों द्वारा कोई फीस नहीं वसूली जाएगी: बिल के अंतर्गत कोई भी व्यापार करने पर राज्य सरकार और एपीएमसी, अधिसूचित बाजार के बाहर किसान उपज का व्यापार करने पर किसानों, व्यापारियों और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स से कोई बाजार फीस, सेस या प्रभार नहीं वसूलेगी।
  • विवाद निवारण तंत्र: अगर किसी किसान और व्यापारी के बीच कोई विवाद होता है तो विवाद से संबंधित पक्ष सुलह के माध्यम से राहत के लिए सब डिविजनल मेजिस्ट्रेट को आवेदन कर सकता है। मेजिस्ट्रेट एक कंसीलिएशन बोर्ड नियुक्त करेगा और दोनों पक्षों को उस बोर्ड में बराबर प्रतिनिधित्व देगा। अगर विवाद 30 दिनों बाद भी नहीं सुलझता तो सभी पक्ष विवाद को निपटाने के लिए मेजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकते हैं। पक्षों के पास यह अधिकार है कि वे मेजिस्ट्रेट के फैसले के खिलाफ अपीलीय अथॉरिटी (कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा नामित एडीशनल कलेक्टर) में अपील कर सकते हैं।

 

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