बिल का सारांश

व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) बिल, 2015

  • कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मामलों के मंत्री जीतेंद्र सिंह ने 11 मई, 2015 को लोकसभा में व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण (संशोधन) बिल, 2015 पेश किया। इसे 13 मई, 2015 को लोकसभा में पारित कर दिया गया। यह बिल व्हिसल ब्लोअर्स संरक्षण एक्ट, 2014 को संशोधित करता है।
     
  • जनहित में सूचना को सार्वजनिक करने से छूटः एक्ट ऐसी व्यवस्था प्रदान करता है जिसके माध्यम से जन सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार, पद या निर्णय लेने की शक्ति का दुरुपयोग की जनहित में जानकारी हासिल की जा सकती है या जांच की जा सकती है। बिल एक्ट में संशोधन करता है जिसके तहत किसी व्यक्ति को सूचना सार्वजनिक करने से प्रतिबंधित किया जा सकता है, अगर वह सूचना निम्नलिखित 10 श्रेणियों से संबंधित हैः

(i) भारत की संप्रभुता, सामरिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हित या किसी अपराध के लिए बढ़ावा;

(ii) मंत्रिपरिषद की मंत्रणा का रिकॉर्ड;

(iii) जिसके प्रकाशन की न्यायालय द्वारा मनाही की गई हो या जिसके कारण न्यायालय की अवमानना हो सकती हो;

(iv) विधायिका के विशेषाधिकार का उल्लंघन;

(v) वाणिज्यिक गोपनीयता, व्यापारिक भेद, बौद्धिक संपदा (अगर यह तीसरे पक्ष को प्रभावित करता हो);

(vi) विश्वसनीय पद पर प्राप्त सूचना;

(vii) विदेशी सरकार से प्राप्त;

(viii) किसी के लिए घातक होने की आशंका;

(ix) जांच में बाधा बनने की आशंका;

(x) निजी मामले अथवा निजता में हस्तक्षेप।

  • सूचना सार्वजनिक करने से प्रतिबंधित मामलों के निर्धारण की प्रक्रियाः बिल कहता है कि अगर उपरिलिखित 10 श्रेणियों की सूचनाओं में से किसी सूचना का खुलासा किया जाता है तो सक्षम प्रशासन इस मामले को सरकार द्वारा प्राधिकृत अथॉरिटी को भेजेगा। यह अथॉरिटी तय करेगी कि खुलासा प्रतिबंधित श्रेणी में आता है अथवा नहीं। यह फैसला प्रशासन के लिए बाध्यकारी होगा।
     
  • व्हिसल ब्लोइंग की शिकायत की जांच के दौरान छोड़े जाने वाले मुद्देः एक्ट के तहत व्हिसल ब्लोइंग की शिकायत की जांच के दौरान किसी व्यक्ति से सूचना देने या सहायता प्रदान करने की अपेक्षा नहीं की जाती, अगर वह सूचना की पांच श्रेणियों में से किसी एक से संबंधित है। ये श्रेणियां निम्नलिखित हैः

(i) भारत की सुरक्षा;

(ii) विदेशी संबंध;

(iii) लोक आदेश और नैतिकता;

(iv) अदालत की अवमानना, मानहानि या अपराध को बढ़ावा देना;

(v) कैबिनेट की कार्यवाही।

  • बिल में इस प्रावधान में संशोधन किया गया है और इन पांच श्रेणियों के स्थान पर सूचना की उपरिलिखित 10 श्रेणियों को प्रस्तावित किया गया है।

 

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