बिल का सारांश

भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार (दूसरा संशोधन) बिल, 2015

  • ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने 11 मई, 2015 को लोकसभा में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार (दूसरा संशोधन) बिल, 2015 पेश किया। बिल भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार एक्ट, 2013 (एलएआरआर एक्ट, 2013) को संशोधित करता है।
     
  • बिल भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार (संशोधन) अध्यादेश, 2015 के स्थान पर लाया गया है जो 4 जून, 2015 को अप्रभावी हो रहा है। बिल 31 दिसंबर, 2014 से लागू माना जाएगा।
     
  • एक्ट उस प्रक्रिया को रेखांकित करता है जिसका अनुपालन सार्वजनिक उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान किया जाता है। बिल द्वारा किए गए प्रमुख बदलाव निम्नलिखित हैं:
     
  • पांच प्रकार की परियोजनाओं को विशिष्ट प्रावधानों से छूटः बिल निम्नलिखित पांच श्रेणियों को एक्ट के विशिष्ट प्रावधानों से छूट देने का प्रयास करता हैः (i) रक्षा,(ii) ग्रामीण अवसंरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर), (iii) सस्ते आवास, (iv) औद्योगिक परिक्षेत्र (सरकार द्वारा बनाए गए), और (v) अवसंरचना परियोजनाएं।
     
  • इन पांच प्रकार की परियोजनाओं पर एक्ट के निम्नलिखित प्रावधान लागू नहीं होंगेः (i) निजी परियोजनाओं के लिए 80% भूस्वामियों और पीपीपी परियोजनाओं के लिए 70% भूस्वामियों की सहमति हासिल करना, (ii) सामाजिक समाघात निर्धारण (सोशल इंपैक्ट असेसमेंट) करना, और (iii) कृषि और बहुफसल वाली भूमि के अधिग्रहण को सीमित करना।
     
  • सरकार द्वारा किसी परियोजना को सामाजिक समाघात निर्धारण से छूट देने से पहले अधिसूचना जारी करने की अपेक्षा की जाती है। इसी प्रकार कृषि तथा बहुफसल वाली भूमि के अधिग्रहण से संबंधित सीमा निर्धारित करने से पहले भी सरकार से अधिसूचना जारी करने की अपेक्षा की जाती है। अधिसूचना जारी करने से पहले सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित भूमि की मात्रा अपेक्षित न्यूनतम भूमि के अनुसार हो।
     
  • 13 अन्य कानूनों के मुआवजा और आरएंडआर प्रावधानः बिल 13 अन्य कानूनों, जो विशिष्ट क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण को शासित करते हैं (जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग एक्ट, 1956 और रेलवे एक्ट, 1989), के मुआवजा तथा पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन (आरएंडआर) प्रावधानों को एक्ट के प्रावधानों के समानुरूप करता है। एक्ट में कहा गया है कि एक्ट के अमल में आने के एक साल के अंदर (1 जनवरी, 2015) एक अधिसूचना के जरिये यह कर दिया जाना चाहिए।
     
  • परिभाषाएं: एक्ट निजी कंपनियों के लिए भूमि अधिग्रहण पर लागू होता था। बिल ने इसे बदलकर ‘निजी इकाई’ के लिए अधिग्रहण कर दिया है। एक निजी इकाई सरकारी इकाई से अलग होती है और इसमें प्रोपराइटरशिप, पार्टनरशिप, कंपनी, निगम, अलाभकारी संगठन या कानून के तहत आने वाली कोई भी इकाई शामिल हो सकती है।
     
  • इस्तेमाल न होने वाली भूमि की वापसीः एक्ट में कहा गया है कि अगर एक्ट के तहत अधिग्रहित की गई भूमि का इस्तेमाल पांच साल तक नहीं किया जाता तो वह भूमि मूल भूस्वामी को या भूमि बैंक में चली जाएगी। बिल कहता है कि इस्तेमाल न होने वाली भूमि को वापस करने की अवधि (i) पांच वर्ष या (ii) परियोजना शुरू करने के समय निर्दिष्ट कोई भी समयावधि होगी। इनमें से जो अवधि बाद की होगी, वही इस स्थिति में लागू होगी।
     
  • पूर्व प्रभाव का विनियोगः 2013 का एक्ट कहता है कि जिन मामलों में भूमि अधिग्रहण एक्ट, 1894 के तहत निर्णय दिए गए हैं, उन मामलों में वही एक्ट लागू रहेगा। फिर भी अगर यह निर्णय 2013 के एक्ट के लागू होने के पांच वर्ष या उससे पहले दिए गए हैं और भूमि का कब्जा नहीं लिया गया है और मुआवजा नहीं दिया गया है, तो 2013 का एक्ट लागू होगा।
     
  • बिल कहता है कि इस समयावधि की गणना करने में, निम्नलिखित को नहीं शामिल किया जाएगाः (i) ऐसी कोई भी अवधि जिसके दौरान अधिग्रहण की कार्यवाही अदालत के स्टे ऑर्डर के कारण रुक गई हो, (ii) ट्रिब्यूनल द्वारा कब्जा लेने के लिए निर्धारित की गई अवधि या (iii) ऐसी कोई भी अवधि जिसमें कब्जा ले लिया गया हो लेकिन मुआवजा अदालत/नामित खाते में जमा हो।
     
  • सरकार द्वारा अपराधः एक्ट कहता है कि अगर सरकारी विभाग द्वारा कोई अपराध होता है, तो विभाग के प्रमुख को अपराधी माना जाएगा, जब तक वह यह नहीं दिखाता कि अपराध बिना उसकी जानकारी के किया गया है या उसने अपराध होने से रोकने के लिए पूरा प्रयास किया। बिल इस प्रावधान को हटाता है। इसमें अपेक्षा की गई है कि किसी लोक सेवक पर मुकदमा चलाने से पहले सरकार की मंजूरी ली जाएगी।
     
  • अन्य परिवर्तनः बिल में प्रावधान है कि एक्ट के तहत दिए गए आरएंडआर अधिकार के अंश के रूप में कृषि मजदूरों के परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोजगार प्रदान किया जाए। इसमें यह भी अपेक्षा की जाती है कि सरकार ऊसर भूमि (वेस्टलैंड) का सर्वेक्षण कराए और इस भूमि का रिकॉर्ड रखे।
     
  • एक्ट भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (एलएआरआर) अथॉरिटी की स्थापना करता है ताकि एक्ट के तहत दिए गए निर्णयों से संबंधित विवादों का निपटारा किया जा सके। बिल में प्रावधान किया गया है कि एलएआरआर अथॉरिटी की सुनवाई उस जिले में की जाएगी जहां भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित है।

 

यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।