सिलेक्ट कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

संविधान (123वां संशोधन) बिल, 2017

  • संविधान (123वां संशोधन) बिल, 2017 की जांच के लिए गठित सिलेक्ट कमिटी (चेयरपर्सन : भूपेंद्र यादव) ने 19 जुलाई, 2017 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। यह बिल 10 अप्रैल, 2017 को लोकसभा में पारित किया गया था और 11 अप्रैल, 2017 को राज्यसभा की सिलेक्ट कमिटी को सौंपा गया था।
     
  • बिल संविधान के तहत पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रयास करता है। बिल आयोग को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों से संबंधित कल्याणकारी उपायों और शिकायतों की जांच करने का अधिकार देता है।
     
  • सिलेक्ट कमिटी ने सुझाव दिया है कि बिल को बिना किसी परिवर्तन के पारित किया जाए। उसने टिप्पणी की है कि प्रस्तावित संशोधन सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के हित में किए जाने वाले सकारात्मक कार्यों को मजबूती देते हैं।
     
  • संघटन : वर्तमान में बिल स्पष्ट करता है कि राष्ट्रीय आयोग के पांच सदस्य होंगे जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा। लेकिन बिल में उन सदस्यों की एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया (योग्यता के मानदंडों) का उल्लेख नहीं है। सिलेक्ट कमिटी के अनुसार, केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों को राष्ट्रीय आयोग में प्रतिनिधित्व दिया जाए (इस बारे में नियम बनाकर)। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि आयोग में कम से कम एक महिला सदस्य होना चाहिए।
     
  • असंतोष के नोट्स और अतिरिक्त सुझाव : सिलेक्ट कमिटी के चार सदस्यों (सुखेंदू शेखर, दिग्विजय सिंह, बी.के हरिप्रसाद, हुसैन दलवाई) ने असंतोष के नोट्स सौंपे और एक सदस्य (शरद यादव) ने अतिरिक्त सुझाव दिए। इन सदस्यों की टिप्पणियों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं :
     
  • पिछड़े वर्गों को चिन्हित करने में राज्य की जो भूमिका है, बिल उसका अतिक्रमण करता है। उदाहरण के लिए बिल राष्ट्रपति को इस बात की अनुमति देता है कि वह किसी राज्य के गवर्नर की सलाह से उस राज्य में पिछड़े वर्गों को विनिर्दिष्ट कर सकते हैं। कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों में गवर्नर की सहमति हासिल करना राष्ट्रपति के लिए अनिवार्य होना चाहिए।
     
  • इसके अतिरिक्त यह सुझाव दिया गया कि पिछड़े वर्गों की सूची में जातियों को शामिल करने या उससे निकालने के संबंध में राष्ट्रीय आयोग की सलाह मानना सरकार के लिए बाध्यकारी होना चाहिए, और बिल कहता है कि राष्ट्रीय आयोग में पांच सदस्य होंगे। सिलेक्ट कमिटी के कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया है कि आयोग में सात सदस्य होने चाहिए जिनमें पांच सदस्य पिछड़े वर्ग के, एक महिला सदस्य और अल्पसंख्यक समुदाय का एक सदस्य होना चाहिए।

 

 

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