स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

महिलाओं का अशोभनीय चित्रण (निषेध) संशोधन बिल, 2014

  • मानव संसाधन विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने महिलाओं का अशोभनीय चित्रण (निषेध) संशोधन बिल, 2012 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस बिल को 13 दिसंबर, 2012 में राज्यसभा में पेश किया गया था। बिल महिलाओं का अशोभनीय चित्रण (निषेध) एक्ट, 1986 को संशोधित करने का प्रयास करता है जिसके तहत विज्ञापनों या प्रकाशनों, लेखन और चित्रों (विशेष रूप से प्रिंट मीडिया में) के जरिए महिलाओं के अशोभनीय चित्रण को प्रतिबंधित किया गया है।
     
  • बिल एक्ट के दायरे को बढ़ाने का प्रयास करता है जिससे संचार के नए साधनों को भी उसमें शामिल किया जा सके और ऐसी किसी सामग्री के प्रकाशन या वितरण को प्रतिबंधित किया जा सके, जिनमें महिलाओं का अशोभनीय चित्रण हो।
     
  • बिल कहता है कि ‘महिलाओं का अशोभनीय चित्रण’ का अर्थ है महिला की आकृति या रूप का इस प्रकार वर्णन करना जोकि अशोभनीय या अपमानजनक प्रतीत होता हो अथवा सार्वजनिक नैतिकता को खराब या प्रभावित करने वाला लगता हो। कमिटी ने कहा कि यह परिभाषा अस्पष्ट है जिसकी सभी अपनी-अपनी तरह से व्याख्या कर सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि इसके लिए एक विशेषज्ञ निकाय होना चाहिए जोकि यह तय करे कि कोई विषयवस्तु/सामग्री आपत्तिजनक है अथवा नहीं।
     
  • बिल विज्ञापन की परिभाषा में संशोधन करता है जिससे सभी प्रकार के मीडिया (प्रकाशन और इलेक्ट्रॉनिक) को उसमें शामिल किया जा सके। कमिटी ने सुझाव दिया कि इस परिभाषा को व्यापक बनाया जाना चाहिए और इसमें विभिन्न प्रकार के माध्यम जैसे डिजिटल, इलेक्ट्रॉनिक, एसएमएस, एमएमएस और होर्डिंग के जरिये दिए जाने वाले विज्ञापनों को शामिल किया जाना चाहिए।
     
  • बिल वितरण की परिभाषा में भी संशोधन करता है और वितरण के सभी प्रकारों, जैसे प्रकाशन, ब्रॉडकास्ट और इलेक्ट्रॉनिक को उसमें शामिल करता है। इस पर कमिटी ने सुझाव दिया कि प्रकाशन, लाइसेंस अथवा कंप्यूटर रिसोर्स का प्रयोग करते हुए अपलोडिंग या कम्यूनिकेशन डिवाइस को भी इसके दायरे में लाया जाना चाहिए।
     
  • फिल्मों में महिलाओ के अशोभनीय चित्रण को इस एक्ट के दायरे में लाए जाने पर कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ सलाह करनी चाहिए और सिनेमैटोग्राफी एक्ट के प्रावधानों को बिल के अनुरूप लाना चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि बोर्ड को महिलाओं के अशोभनीय चित्रण के संबंध में अपने दिशानिर्देशों की समीक्षा करने की जरूरत है।
     
  • कमिटी ने सुझाव दिया कि पोनोग्राफिक सामग्री की उपलब्धता को कड़ाई से रेगुलेट किया जाना चाहिए। ऐसी सामग्री सार्वजनिक स्थल पर नहीं देखी जानी चाहिए और केवल निजी प्रदर्शन के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है।
     
  • कमिटी ने सुझाव दिया कि कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने हेतु महिलाओं के अशोभनीय चित्रण के मामलों को रेगुलेट करने और संबंधित शिकायतों को दर्ज एवं उन पर निर्णय लेने के लिए केंद्रीय प्राधिकरण बनाया जाना चाहिए।
     
  • बिल में विभिन्न अपराधों के लिए दंड को बढ़ाया गया है। कमिटी ने पाया कि बिल और इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 में प्रस्तावित दंड भिन्न-भिन्न हैं, इसलिए दोनों के एक समान किया जाना चाहिए।

 

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