स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2016

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयरपर्सन : प्रोफेसर राम गोपाल यादव) ने 10 अगस्त, 2017 को सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2016 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं :
     
  • कमर्शियल बनाम निस्वार्थ (एलट्रूइस्टिक) सेरोगेसी : सेरोगेसी एक ऐसी पद्धति है जिसमें एक महिला दूसरी महिला के लिए गर्भ धारण करती है, इस उद्देश्य से कि जन्म के बाद बच्चा दूसरी महिला को सौंप दिया जाएगा। बिल कमर्शियल सेरोगेसी को प्रतिबंधित करता है और निस्वार्थ सेरोगेसी की अनुमति देता है। निस्वार्थ सेरोगेसी में सेरोगेट माता को गर्भावस्था से संबंधित मेडिकल खर्चे और बीमा कवरेज के अतिरिक्त कोई मौद्रिक मुआवजा नहीं दिया जाता।
     
  • कमिटी ने निस्वार्थ सेरोगेसी के स्थान पर मुआवजा आधारित सेरोगेसी के मॉडल का सुझाव दिया। इस मुआवजे में अनेक चीजों का ध्यान रखा जाना चाहिए जिनमें गर्भावस्था के दौरान वेतन का नुकसान, मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग और डिलिवरी के बाद देखभाल शामिल है। कमिटी ने टिप्पणी की कि रेगुलेटरी निगरानी और कानूनी सुरक्षा के अभाव में यह संभव है कि सेरोगेट बनने वाली गरीब महिलाओं का शोषण किया जाए। हालांकि यह उल्लेख भी किया गया कि सेरोगेसी की सेवाओं के जरिए सेरोगेट महिलाओं को उपलब्ध आर्थिक सुविधाओं को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त यह कहा गया कि निस्वार्थ सेरोगेसी के अंतर्गत बिना भुगतान किए महिलाओं को रिप्रोडक्टिव लेबर देने की अनुमति प्रदान करना, अनुचित और मनमानी भरा है।
     
  • सेरोगेट माता के ‘निकट संबंधी’ होने के परिणाम : बिल के अंतर्गत केवल ‘निकट संबंधी’ ही इच्छित दंपत्ति के लिए सेरोगेसी कर सकती है। कमिटी ने टिप्पणी की कि निकट संबंधी द्वारा निस्वार्थ सेरोगेसी हमेशा मजबूरी या दबाव में की जाएगी, परोपकार में नहीं। किसी परिवार के भीतर ऐसे अरेंजमेंट का (i) सेरोगेट बच्चे पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक असर हो सकता है, (ii) इससे पेरेंटेज और कस्टडी के मसले उठ सकते हैं, और (iii) पैतृक और संपत्ति संबंधी विवाद हो सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि ‘निकट संबंधी’ होने की शर्त को हटाया जाना चाहिए ताकि संबंधित और असंबंधित महिलाओं को सेरोगेट बनने की अनुमति मिल सके। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि बिल को यह स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि सेरोगेट माता सेरोगेसी के लिए अपने एग्स डोनेट नहीं करेगी।
     
  • व्यक्ति, जो सेरोगेसी सेवाएं हासिल कर सकते हैं : बिल सेरोगेसी के विकल्प को कानूनी रूप से विवाहित भारतीय दंपत्तियों के लिए सीमित करता है। कमिटी ने टिप्पणी की कि यह समाज के उन वर्गों की अनदेखी करता है जो सेरोगेट बच्चे की इच्छा रखते हों। कमिटी ने योग्यता के मानदंडों को व्यापक बनाने और उसमें लिव इन कपल्स, तलाकशुदा महिलाओं और विधवाओं को शामिल करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त अनिवासी भारतीयों (नॉन रेज़िडेंट इंडियंस), भारतीय मूल्य के व्यक्तियों (पर्सन्स ऑफ इंडियन ओरिजिन) और भारत के विदेशी नागरिकता वाले कार्ड होल्डरों को इस सुविधा के दायरे में लाया जाना चाहिए, किंतु विदेशी नागरिकों को नहीं।
     
  • पांच वर्ष की प्रतीक्षा अवधि : बिल के अंतर्गत पांच वर्षों तक असुरक्षित संबंध बनाने के बाद गर्भ धारण करने में अक्षमता या कोई ऐसी मेडिकल स्थिति जो दंपत्ति को गर्भधारण करने से रोकती है, के बाद इच्छुक दंपत्ति सेरोगेसी अरेंजमेंट कर सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल में ‘इनफर्टिलिटी’ की परिभाषा डब्ल्यूएचओ की परिभाषा के अनुसार होनी चाहिए। डब्ल्यूएचओ की परिभाषा में इस समय अवधि को एक वर्ष कहा गया है। कमिटी ने गौर किया कि पांच वर्ष की प्रतीक्षा की अवधि की शर्त रिप्रोडक्टिव ऑटोनॉमी के अधिकार का उल्लंघन है।
     
  • गैमेट (स्पर्म और एग) डोनर : बिल के अंतर्गत इच्छुक दंपत्ति इनफर्टिलिटी को साबित करने के बाद ही सेरोगेसी को कमीशन कर सकते हैं। इस प्रकार संभव है कि इनफर्टिलिटी के कारण दंपत्ति गैमेट दे ही नहीं पाएं। ऐसे मामलों में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा गैमेट डोनेट करने की जरूरत होगी। कमिटी ने कहा कि बिल में एग या स्पर्म डोनर का कोई उल्लेख नहीं है। उसने सुझाव दिया कि बिल में गैमेट डोनेशन का प्रावधान शामिल किया जाना चाहिए।
     
  • गर्भपात : बिल के अंतर्गत सेरोगेसी के दौरान गर्भपात कराने के लिए समुचित अथॉरिटी (केंद्र या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त) की अनुमति लेनी जरूरी है। कमिटी ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 की मौजूदगी में इस शर्त की समीक्षा का सुझाव दिया है। इसके अतिरिक्त यह टिप्पणी की कि गर्भावस्था के दौरान मेडिकल इमरजेंसियां में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे मामलों में संभव है, इतना समय न हो कि सेरोगेट माता का जीवन बचाने के लिए अथॉरिटी से गर्भपात की अनुमति ली जाए।

 

 

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