स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

रोजगार कार्यालय (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) संशोधन बिल, 2013

  • श्रम संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयरपर्सनः दारा सिंह चौहान) ने 7 फरवरी, 2014 को रोजगार कार्यालय (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) संशोधन विधेयक, 2013 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।
     
  • इस बिल को 22 अप्रैल, 2013 को राज्यसभा में पेश किया गया था और 3 मई, 2013 को स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजा गया था।
     
  • बिल रोजगार कार्यालय (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) संशोधन विधेयक, 2013 को संशोधित करता है। यह एक्ट रोजगार कार्यालयों में रिक्तियों की अधिसूचना को अनिवार्य बनाता है।
     
  • कमिटी ने सुझाव दिया कि इस बिल को मंत्रालय को वापस भेज दिया जाना चाहिए जिससे बिल का अधिक व्यापक मसौदा तैयार किया जा सके।
     
  • कमिटी ने कहा कि देश में 956 रोजगार कार्यालय हैं जोकि पंजीकृत चार करोड़ लोगों में से सिर्फ चार लाख को रोजगार दिला पाते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि रोजगार कार्यालयों की कायापलट की जानी चाहिए जिससे वे बेरोजगार व्यक्तियों को वन स्टॉप प्लेसमेंट सॉल्यूशन दे पाएं।
     
  • बिल में रोजगार कार्यालयों का नाम बदलकर नियोजन मार्गदर्शन और संवर्धन केंद्र करने का प्रस्ताव रखा गया है। कमिटी का कहना है कि रोजगार कार्यालयों की परिभाषा तो बदल दी गई है लेकिन उन्हें नियोजन मार्गदर्शन और संवर्धन केंद्र के रूप में परिवर्तित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
     
  • एक्ट कहता है कि कर्मचारी ऐसा व्यक्ति होता है जो पारिश्रमिक पर किसी इस्टैबलिशमेंट में कार्य करने के लिए नियुक्त है। कॉट्रैक्ट पर बढ़ते रोजगार को देखते हुए बिल इस परिभाषा में संशोधन करता है और कहता है कि कर्मचारी वह व्यक्ति होता है जो किसी इस्टैबलिशमेंट में 240 या उससे अधिक दिनों से नियुक्त हो या कॉट्रैक्ट पर कार्य कर रहा हो। कमिटी का कहना है कि : (क) कॉट्रैक्ट पर 240 से कम दिन के लिए रोजगार प्रस्तावित किया जा सकता है, और (ख) नियोक्ता 240 दिन से पहले रोजगार को ब्रेक दे सकते हैं और उन्हीं लोगों को दोबारा काम पर रख सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि कर्मचारियों की परिभाषा को और अधिक समावेशी होना चाहिए।
     
  • कमिटी ने सुझाव दिया कि निजी क्षेत्र की प्लेसमेंट एजेंसियों को रेगुलेट करने के प्रावधानों को बिल के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए। भले ही दिशानिर्देशों को केंद्र द्वारा जारी किया जाए लेकिन रेगुलेशन बनाने का काम राज्य को दिया जाना चाहिए।
     
  • कमिटी ने उच्च श्रेणी की रिक्तियों को रोजगार कार्यालय के दायरे से बाहर रखने का सुझाव दिया। इस प्रकार के पद अनुभवी उम्मीदवारों से संबंधित होते हैं और कमिटी ने सुझाव दिया कि रोजगार कार्यालय बेरोजगार तथा पहली बार नौकरी की तलाश करने वाले व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं।
     
  • इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि बिल में कॉट्रैक्ट पर खेती को शामिल नहीं किया गया है। उसमें ऐसे प्रावधान नहीं किए गए हैं कि नियोक्ता किसी और मीडिया में रिक्ति का विज्ञापन देते समय रोजगार कार्यालय को भी उसकी जानकारी दें ताकि रोजगार कार्यालय में पंजीकृत व्यक्तियों को उनकी जानकारी हो सके।
     
  • करियर काउंसिलर्स को सभी पंजीकृत उम्मीदवारों को शॉर्ट कोर्सेस और व्यावसायिक मागदर्शन प्रदान करने चाहिए। बिल का उद्देश्य यह होना चाहिए कि निजी और सरकारी क्षेत्र के संस्थानों में भर्ती की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जा सके।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च “पीआरएस”) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।