स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय बिल, 2017

  • मानव संसाधन विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयरपर्सन: डॉ. सत्यनारायण जटिया) ने 5 जनवरी, 2018 को राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय बिल, 2017 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। बिल को 10 अगस्त, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था और इसके बाद मानव संसाधन विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी को रेफर किया गया था। बिल निम्नलिखित क्षेत्रों : (i) खेल विज्ञान, (ii) खेल प्रौद्योगिकी, (iii) खेल प्रबंधन, और (iv) खेल की कोचिंग में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मणिपुर में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय को स्थापित और निगमित (इनकॉरपोरेट) करने का प्रयास करता है। संस्थान खेल के चुनींदा पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
     
  • लोकेशन पर विचार : राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय का हेडक्वार्टर मणिपुर में होगा। हालांकि वह भारत के अन्य स्थानों पर दूरस्थ कैंपस, कॉलेज और क्षेत्रीय केंद्र स्थापित कर सकता है या उन्हें चला सकता है। कमिटी ने देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों में भी विश्वविद्यालय के दूरस्थ कैंपस बनाने का समर्थन किया। कमिटी ने कहा कि चूंकि विश्वविद्यालय देश के उत्तर पूर्वी हिस्से में स्थापित किया जा रहा है, इसलिए विद्यार्थियों और खिलाड़ियों की लोकेशन से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए यात्रा संबंधी उपाय किए जाने की जरूरत है।
     
  • संसाधनों की जरूरत: खेल विभाग का कहना है कि आने वाले वर्षो में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय और उसके दूरस्थ कैंपस का विस्तार होगा तो उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधन और फंड्स की व्यवस्था की जाएगी। इस पर कमिटी ने विश्वविद्यालय की संसाधन संबंधी जरूरतों और पर्याप्त फंड्स उपलब्ध न होने पर चिंता जताई। कमिटी ने सुझाव दिया कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि फंड्स का उपयोग उचित तरीके से किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त कमिटी ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने खुद के संसाधन जुटाने में सक्षम होना चाहिए। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि विश्वविद्यालय को कॉरपोरेट सेक्टर से कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के जरिए अन्य संसाधनों की तलाश करनी चाहिए।
     
  • खेलो इंडिया योजना को लागू करना : कमिटी ने कहा कि ‘खेलो इंडिया’ युवा मामलों और खेल मंत्रालय की फ्लैगशिप योजनाओं में से एक है। इसका उद्देश्य खेल प्रतिभाओं को चिन्हित एवं प्रशिक्षित करना और देश में खेल संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है। इस योजना का एक घटक ‘टैलेंट सर्च एंड डेवलपमेंट’ है। कमिटी ने कहा कि प्रतिभाओं को चिन्हित करने के तरीकों और मानदंडों को निर्धारित करने में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय मंत्रालय की बहुत मदद करेगा। विश्वविद्यालय खेल संबंधी विषयों को चुनने के लिए प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य कर सकता है, वह प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को चिन्हित कर सकता है और उन्हें ‘खेलो इंडिया’ के अंतर्गत ग्रूम कर सकता है।
     
  • विश्वविद्यालय की स्वायत्तता : बिल के अंतर्गत केंद्र सरकार विश्वविद्यालय के कार्य और प्रगति की समीक्षा करेगी। इसके लिए केंद्र सरकार समीक्षा करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए एक या उससे अधिक व्यक्तियों को नियुक्त कर सकती है। कमिटी ने कहा कि इस प्रावधान से विश्वविद्यालय के मामलों में अनावश्यक दखल हो सकता है और उसकी स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है। कमिटी ने गौर किया कि विश्वविद्यालय को अपने कामकाज और संबंधित मामलों में स्वायत्तता मिलनी चाहिए। कमिटी ने यह सुझाव दिया कि समीक्षा के प्रावधान को अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अनुरूप होना चाहिए और विश्वविद्यालय की स्वायत्तता (पाठ्यक्रम को निर्धारित करने की स्वतंत्रता और डिग्रियां देने जैसी गतिविधियों के संबंध में) को बाधित नहीं करना चाहिए।
     
  • दूरस्थ कैंपस में इंफ्रास्ट्रक्चर : बिल के अंतर्गत भारत के अन्य स्थानों पर दूरस्थ कैंपस, कॉलेज और क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि देश के ऐसे क्षेत्रों में दूरस्थ कैंपस स्थापित किए जाने चाहिए जो विभिन्न खेलों के हब हैं। उदाहरण के लिए हॉकी और कुश्ती पंजाब और हरियाणा तथा तीरंदाजी और निशानेबाजी मध्य प्रदेश और झारखंड में लोकप्रिय हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि वहां के खिलाड़ियों को पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर, कोचिंग और अन्य सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त यह सुझाव दिया गया कि कुछ इन्सेंटिव्स दिए जाने चाहिए ताकि विश्व स्तरीय कोच इन दूरस्थ कैंपस में फैकेल्टी पोजीशन पर कार्य करने के लिए आकर्षित हो सकें। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि विश्वविद्यालय को देश के अन्य हिस्सों में विद्यार्थियों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना चाहिए।

 

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