स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (दूसरा संशोधन) बिल, 2017

  • मानव संसाधन विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. सत्यनारायण जटिया) ने 9 फरवरी, 2018 को निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (दूसरा संशोधन) बिल, 2017 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।
     
  • इस बिल को 11 अगस्त, 2017 को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था। इसके बाद 22 अगस्त, 2017 को इसे मानव संसाधन विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी को रेफर कर दिया गया था। निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार एक्ट, 2009 बच्चों को पिछली कक्षा में रोकने (डिटेंशन) से प्रतिबंधित करता है, जब तक कि वे प्राथमिक शिक्षा यानी कक्षा 8 पूरी न कर लें। बिल इस प्रावधान में संशोधन करने का प्रयास करता है और कहता है कि कक्षा 5 और कक्षा 8 में प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में नियमित परीक्षा ली जाएगी। अगर बच्चा परीक्षा में फेल हो जाता है तो उसे अतिरिक्त निर्देश दिए जाएंगे और उसकी दोबारा परीक्षा ली जाएगी। अगर बच्चा इस बार भी फेल होता है तो स्कूल बच्चों को पिछली कक्षा में रोकें अथवा नहीं, इस बारे में संबंधित केंद्र या राज्य सरकार फैसला कर सकती है।
     
  • परीक्षाएं लेना: कमिटी ने स्कूली बच्चों में शिक्षा के निम्न स्तर पर गौर किया। उसने टिप्पणी की कि नो डिटेंशन की नीति में बच्चों पर सीखने और शिक्षकों पर सिखाने का कोई दबाव नहीं होता। इसलिए इन नीति में बदलाव की जरूरत है ताकि प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर बच्चों की सीखने की क्षमता में सुधार हो (कक्षा 1 से 8)। इस संबध में कमिटी ने बिल के उस प्रावधान को सही ठहराया जिसमें कहा गया है कि कक्षा 5 और 8 में बच्चों के शिक्षण स्तर का आकलन किया जाना चाहिए।
     
  • राज्यों को फ्लेक्सिबिलिटी : कमिटी ने बिल के उस प्रावधान का समर्थन किया जिसमें राज्य को यह फैसला लेने की स्वतंत्रता दी गई है कि बच्चों को पिछली कक्षा में रोके अथवा न रोकें। अगर स्कूल बच्चों को पिछली कक्षा में रोकना चाहें तो वे कक्षा 5 या कक्षा 8 या दोनों में ऐसा कर सकते हैं। चूंकि विभिन्न राज्यों में भिन्नताएं हैं, इसलिए यह उपयुक्त होगा कि उन्हें अपनी स्थितियों और जरूरतों के अनुसार फैसला लेने की अनुमति दी जाए। राज्यों को फैसला लेने की स्वतंत्रता देने से यह संभव हैं कि वे इस प्रावधान के अंतर्गत भिन्न-भिन्न नियम बनाएं। इसका असर प्राथमिक शिक्षा प्रणाली के परिणामों पर पड़ सकता है। वे अलग-अलग किस्म के हो सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि बच्चों को पिछली कक्षा में रोकने के संबंध में सभी राज्यों को समान दिशानिर्देश जारी किए जा सकते हैं।
     
  • सतत और व्यापक मूल्यांकन को लागू करना : आरटीई एक्ट, 2009 के अंतर्गत, सतत और व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) प्राथमिक शिक्षा की मूल्यांकन प्रणाली है। कमिटी ने टिप्पणी की कि एक्ट के अंतर्गत सीसीई को पर्याप्त रूप से लागू न करने के कारण भी अच्छे शिक्षा परिणाम हासिल नहीं हुए। कमिटी ने सुझाव दिया कि प्राथमिक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए सीसीई को उचित तरीके से लागू किया जाना चाहिए।
     
  • शिक्षकों की क्षमता: कमिटी ने गौर किया कि शिक्षकों को गैर शिक्षण गतिविधियों जैसे जनगणना, निरीक्षण के कार्यों, इत्यादि में बहुत अधिक संलग्न किया जाता है। इस संबंध में शिक्षकों के शिक्षण और पेशेवर स्तर में वृद्धि का सुझाव दिया गया। यह भी कहा गया कि पेशेवर शिक्षा और सेवा से पहले एवं सेवा के दौरान प्रशिक्षण प्रदान करते हुए शिक्षकों का क्षमता निर्माण करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

 

 

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