स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

एचआईवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) बिल, 2014

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (अध्यक्ष: श्री ब्रजेश पाठक) ने 29 अप्रैल, 2015 को ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस और एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम (रोकथाम व नियंत्रण) बिल, 2014 पर अपनी रिपोर्ट दी।
     
  • बिल द्वारा (i) एचआईवी और एड्स को रोकने और नियंत्रण करने; (ii) एचआईवी और एड्स से ग्रसित लोगों के खिलाफ भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने; (iii) उनके उपचार के संबंध में सूचित सहमति और गोपनीयता प्रदान करने; (iv) उनके अधिकारों को सुरक्षा देने के लिए संस्थानों पर दायित्व रखने; और (v) शिकायत निवारण तंत्र तैयार करने का प्रयास किया गया है।
     
  • कमिटी ने बिल का समर्थन किया, लेकिन कुछ सुझाव दिए। कमिटी के मुख्य सुझाव नीचे बताए गए हैं।
     
  • दिशानिर्देश तैयार करना: बिल डेटा की सुरक्षा, परीक्षण, और निदान जैसे कुछ विशेष प्रावधानों पर दिशानिर्देश तैयार करना संभव बनाता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल के तहत तैयार किए जाने वाले सभी दिशानिर्देश इस प्रकार से तैयार किए जाने चाहिए ताकि बिल के प्रावधान असरदार रूप से लागू किए जा सकें। कमिटी ने यह भी सुझाव दिया कि इन दिशानिर्देशों को प्रस्तावित कानून को लागू करने की तिथि से पहले तैयार और उपलब्ध कर दिया जाना चाहिए।
     
  • ओम्बड्स्मन की भूमिका: बिल द्वारा स्वास्थ्यसेवाओं से संबंधित उल्लंघनों की जाँच के लिए ओम्बड्स्मन के पद को तैयार किया गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल के तहत बताए गए भेदभाव के अन्य कार्यों (जैसे रोजगार और शिक्षा से संबंधित) को ओम्बड्स्मन के अधिकार क्षेत्र के अंदर लाया जाना चाहिए।
     
  • बिल में कोई समय सीमा तय नहीं की गई है जिसके अंदर ओम्बड्स्मन को आदेश जारी करना है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मेडिकल इमरजेंसियों के मामले में, 15 दिन के अंदर आदेश जारी किया जाना चाहिए। यदि आदेश का संबंध जान बचाने के उपचार से हो, तो आदेश को 24 घंटों में जारी किया जाना चाहिए।
     
  • इसके अलावा, कमिटी ने गौर किया कि ओम्बड्स्मन की नियुक्ति और कार्यों से संबंधित अनेक मामलों को राज्य सरकारों कसौंप दिया गया है। कमिटी का सुझाव है कि केंद्र को इस संबंध में मॉडल दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए। इसके अलावा, सुझाव दिया कि इन दिशानिर्देशों के प्रमुख प्रावधानों को अधीनस्थ कानून को सौंपने के बजाय बिल में शामिल किया जाना चाहिए।
     
  • बीमा कवर: अगर एचआईवी ग्रसित लोगों के साथ अनुचित व्यवहार बीमांकिक गणना पर आधारित नहीं है, तो बिल एचआईवी ग्रसित लोगों को बीमा कवर प्रदान करने की मनाही या अनुचित व्यवहार पर प्रतिबंध लगाया गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एचआईवी ग्रसित लोगों को बिना किसी भेदभाव के बीमा कवर प्रदान किया जाना चाहिए। ऐसा प्राथमिकता से प्रीमियम की सामान्य दर पर होना चाहिए या सामान्य से थोड़ा अधिक हो सकता है, लेकिन बहुत अधिक दरों पर नहीं होना चाहिए।
     
  • एचआईवी के लिए नैदानिक सुविधाओं का प्रावधान: बिल में प्रावधान है कि केंद्र सरकार जितना संभव हो एचआईवीग्रसित लोगों को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी और अपॉरचुनिस्टिक इनफेक्शन मैनेजमेंट प्रदान करेगी। कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल में यह प्रावधान भी हो कि केंद्र सरकार एचआईवी पॉज़िटिव लोगों के लिए नैदानिक सुविधाएं उपलब्ध कराए।
     
  • शिकायत अधिकारी द्वारा मामलों का निपटारा: बिल में प्रावधान है कि है कि 100 लोगों से अधिक की नियुक्ति वाली संस्थाओं में शिकायत अधिकारी की नियुक्ति की जाए। इसी प्रकार से, उन स्वास्थ्यसेवा संस्थाओं में शिकायत अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए जहाँ 20 से अधिक लोग नियुक्त किए गए हों। बिल द्वारा समय का निर्धारण नहीं किया गया है जिसके अंदर शिकायतों का निपटारा किया जाना चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल द्वारा शिकायतों के शीघ्र निपटारे को संभव बनाया जाए।

 

यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।