स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (संशोधन) बिल, 2021

  • रसायन और उर्वरक संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: कनिमोझी करुणानिधि) ने 4 अगस्त, 2021 को राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (संशोधन) बिल, 2021 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। बिल राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल शिक्षा और अनुसंधान एक्ट, 1998 में संशोधन का प्रयास करता है। 1998 के एक्ट के अंतर्गत पंजाब में राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (नाईपर) की स्थापना की गई थी और उसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था। राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का अर्थ है, किसी एक्ट के अंतर्गत स्थापित एक स्वायत्त संस्थान जिसके पास: (i) परीक्षाएं संचालित करने की शक्ति होती है, (ii) डिग्रियां, डिप्लोमा और दूसरी शैक्षणिक पदवियां या टाइटिल्स देने की शक्ति होती है, और (iiiउसे केंद्र सरकार से वित्त पोषण प्राप्त होता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्न शामिल हैं:
     
  • बोर्ड ऑफ गवर्नर्स1998 के एक्ट में अपेक्षित है कि नाईपर के गवर्नर बोर्ड में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का कम से कम एक पब्लिक पर्सन या सोशल वर्कर होगा। 2021 के बिल में इस आवश्यकता को हटाने का प्रस्ताव है। कमिटी ने सुझाव दिया है कि इस पर पुनर्विचार किया जाए। फार्मास्यूटिकल्स विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का कम से कम एक पब्लिक पर्सन या सोशल वर्कर गवर्नर बोर्ड में शामिल हो ताकि सामाजिक समावेश संभव हो।
     
  • काउंसिल में संसद सदस्यबिल के अंतर्गत सभी संस्थानों की गतिविधियों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए एक काउंसिल की स्थापना का प्रयास किया गया है जिससे फार्मास्यूटिकल शिक्षा और अनुसंधान का विकास तथा मानकों का रखरखाव सुनिश्चित हो। बिल में प्रस्ताव है कि काउंसिल के सदस्यों के रूप में तीन संसद सदस्यों (एमपी) को शामिल किया जाए। कमिटी ने सुझाव दिया कि काउंसिल में सदस्य के रूप में नामित संसद सदस्यों को मेडिकल या फार्मास्यूटिकल क्षेत्रों का पूर्व अनुभव होना चाहिए। इसे बिल में संशोधनों या उसके अंतर्गत निर्धारित नियमों द्वारा अनिवार्य किया जा सकता है।  
     
  • डायरेक्टर्स की नियुक्तिबिल में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को यह अधिकार दिया गया है कि वे भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद नाईपर के डायरेक्टर को नियुक्त करेंगे। कमिटी ने कहा कि नाईपर इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) के मॉडल पर आधारित है जिसके अंतर्गत काउंसिल भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद डायरेक्टर्स को नियुक्त करती है। कमिटी का कहना है कि नाईपर के डायरेक्टर को भी राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद काउंसिल द्वारा नियुक्त किया जा सकता है। 
     
  • नाईपर्स का मानकीकरणकमिटी ने कहा कि हालांकि सभी नाईपर्स को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है लेकिन उनके बीच इंफ्रास्ट्रक्चर, पाठ्यक्रम, कैंपस एरिया और शैक्षणिक एवं शोध संबंधी परिणामों के लिहाज से बहुत अंतर है। कमिटी ने सुझाव दिया कि हर मानदंड के लिए कुछ मानकों को स्थापित किया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित हो कि प्रत्येक नाईपर राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के मानकों को पूरा करता है।
     
  • मंजूरियों में देरीकमिटी ने कहा कि सात नाईपर स्थापित किए गए हैं लेकिन सिर्फ मोहाली स्थित नाईपर का कैंपस पूरा हुआ है। कमिटी ने कहा कि 2012 से पांच और नाईपर बनाने का प्रस्ताव लंबित है (मदुरै, झालावाड़, नागपुर, नया रायपुर और बेंगलुरू)। कमिटी ने कहा कि वित्त मंत्रालय के अंतर्गत इकोनॉमिक फाइनांस कमिटी (ईएफसी) नाईपर्स के लिए स्थायी कैंपस बनाने के लिए अनुमोदन प्रक्रियाओं में तेजी लाए। उसने ईएफसी को यह सुझाव भी दिया कि वह मौजूदा नाईपर्स में लेबोरेट्री सुविधाओं को अपग्रेड करने के अनुरोधों को प्राथमिकता के आधार पर मंजूरी दे। 
     
  • काउंसिल की बैठकबिल में कहा गया है कि काउंसिल को साल में कम से कम एक बार जरूर मिलना चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि नाईपर्स के बीच बेहतर समन्वय और प्रबंधन के लिए हर छह महीने में काउंसिल की बैठक होनी चाहिए। 
     
  • सदस्यों का ट्रांसफरकमिटी ने गौर किया कि बिल में नाईपर्स के डायरेक्टर्स और फैकेल्टी के सदस्यों के ट्रांसफर का प्रावधान नहीं है। कमिटी ने कहा कि इनके ट्रांसफर से नाईपर्स के बीच परस्पर शेयरिंग और लर्निंग को बढ़ावा मिल सकता है। उसने सुझाव दिया कि सदस्यों का एक से दूसरे नाईपर में ट्रांसफर किया जा सके, इसके लिए बिल को फार्मास्यूटिकल्स विभाग को सशक्त करना चाहिए। 
     
  • अतिरिक्त पाठ्यक्रमकमिटी ने कहा कि चार नाईपर प्राकृतिक उत्पादों और परंपरागत औषधि में विशेष पाठ्यक्रमों को पेश करते हैं। उसने सुझाव दिया कि फार्मास्यूटिकल्स विभाग को दूसरे नाईपर में भी ऐसे ही पाठ्यक्रमों को पेश करने पर विचार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि नाईपर में देसी चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने और उन पर शोध करने के लिए आयुष मंत्रालय अलग से बिल पेश कर सकता है। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि फार्मास्यूटिक्स शोध के लिए प्रोफेशनल्स के पूल को बढ़ाया जा सके, इसके लिए फार्मास्यूटिक्स में बैचलर्स डिग्री शुरू की जानी चाहिए।

 

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