स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

डीएनए टेक्नोलॉजी (प्रयोग और लागू होना) रेगुलेशन बिल, 2019
 

  • विज्ञान और तकनीक, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयरजयराम रमेश) ने 3 फरवरी, 2021 को डीएनए टेक्नोलॉजी (प्रयोग और लागू होना) रेगुलेशन बिल, 2019 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस बिल में कुछ लोगों, जैसे पीड़ितों, अपराधियों, संदिग्धों, अंडरट्रायल लोगों और लापता लोगों की पहचान स्थापित करने के लिए डीएनए टेक्नोलॉजी के प्रयोग के रेगुलेशन का प्रावधान है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • टेस्टिंग बनाम प्रोफाइलिंगबिल में प्रावधान है कि लेबोरेट्री डेटा जनरेट और एनालिसिस करने के लिए डीएनए टेस्टिंग, एनालिसिंग कर सकती है या कोई दूसरी कोई तरीका इस्तेमाल कर सकती है। कमिटी ने कहा कि बिल सिर्फ डीएनए प्रोफाइलिंग को रेगुलेट करने तक सीमित है, और दूसरी डीएनए टेस्टिंग को रेगुलेट नहीं करता। उसने सुझाव दिया कि बिल में प्रोफाइलिंग की जगह टेस्टिंग शब्द का इस्तेमाल किया जाए।
     
  • डीएनए प्रोफाइलिंग की परिभाषाबिल के अनुसार, किसी व्यक्ति की पहचान को स्थापित करने के लिए डीएनए सैंपल के एनालिसिस का परिणाम डीएनए प्रोफाइल कहलाता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि डीएनए प्रोफाइल को डीएनए पैटर्न के तौर पर परिभाषित किया जाए जोकि व्यक्ति की सिर्फ जेनेटिक पहचान स्थापित करे, उस व्यक्ति की विशेषताएं, जैसे शारीरिक रूप, व्यवहार या स्वास्थ्य की स्थिति नहीं।
     
  • डीएनए सैंपल जमा करने के स्रोतबिल डीएनए सैंपल जमा करने के स्रोतों की एक सूची प्रदान करता है, जैसे खून का सैंपल, बाल, और मुंह का स्वैब। इसमें शरीर के अंगों के फोटो या वीडियो रिकॉर्डिंग, और हैंडप्रिंट, फिंगरप्रिंट या फुटप्रिंट भी शामिल हैं। कमिटी ने कहा कि इस समय ऐसी कोई तकनीक मौजूद नहीं है जो फोटोग्राफ, वीडियो या शरीर के किसी अंग के प्रिंट से डीएनए प्रोफाइल निकाल सके। इसलिए कमिटी ने सैंपल जमा करने के स्रोतों से इन वस्तुओं को हटाने का सुझाव दिया है।
     
  • राष्ट्रीय डेटा बैंक: बिल में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय डीएनए डेटा बैंकों की स्थापना का प्रावधान है। हर डेटा बैंक और लेबोरेट्री को कुछ खास श्रेणी के डेटा जैसे क्राइम सीन के डेटा के इंडेक्स रखने होंगे। कमिटी ने सुझाव दिया कि क्षेत्रीय डीएनए डेटा बैंक की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वे कोई अतिरिक्त लाभ नहीं पहुंचाते और डीएनए प्रणाली की सटीकता और सुरक्षा को ज्यादा संवेदनशील बनाते हैं। इसके अतिरिक्त लैब्स को इंडेक्स रखने की भी जरूरत नहीं है। उसे राष्ट्रीय डीएनए डेटा बैंक के साथ डीएनए प्रोफाइल को साझा करने के बाद उसे हटा देना चाहिए।  
     
  • डीएनए प्रोफाइल को हटाना: बिल में प्रावधान है कि क्राइम सीन इंडेक्स की डीएनए सूचना को रखा जाएगा। अदालती आदेश पर संदिग्ध या विचाराधीन कैदी के डीएनए प्रोफाइल्स को हटा दिया जाएगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि: (i) बरी किए जाने के 30 दिनों के भीतर व्यक्ति के डीएनए प्रोफाइल को हटा दिया जाए, (ii) संदिग्ध और विचाराधीन कैदी के डेटा को हटाने के प्रावधान को खत्म किया जाए, और (iii) अधिकृत व्यक्तियों या संबंधियों का लिखित अनुरोध मिलने पर अज्ञात मृत व्यक्ति के डीएनए प्रोफाइल को हटाने का प्रावधान बिल में जोड़ा जाए।
     
  • डीएनए रेगुलेटरी बोर्ड का संयोजन: बिल में डीएनए रेगुलेटरी बोर्ड की स्थापना का प्रावधान है जोकि डीएनए डेटा बैंक और डीएनए लेबोरेट्रीज़ को सुपरवाइज करेगा। कमिटी ने कहा कि डीएनए रेगुलेटरी बोर्ड को स्वतंत्र होना चाहिए और उसमें अधिकतर सेवारत सरकारी अधिकारी शामिल नहीं होने चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि बोर्ड का चेयरपर्सन सेवारत सचिव नहीं, बायोलॉजिकल साइंसेज़ या जेनेटिक्स के क्षेत्र का प्रतिष्ठित व्यक्ति होना चाहिए। उसने बोर्ड के दूसरे सदस्यों के संबंध में भी ऐसे ही सुझाव दिए जैसे सदस्य के रूप में राज्य के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को शामिल न किया जाए।
     
  • अपराधों की प्रकृति: बिल में विभिन्न अपराधों के लिए सजा निर्दिष्ट की गई है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (iडीएनए सूचना का जान-बूझकर खुलासा करना, या (iiअनुमति के बिना डीएनए सैंपल का जान-बूझकर इस्तेमाल करना। कमिटी ने कहा कि लापरवाही बरतने से भी स्टोर की गई डीएनए सूचना को नुकसान हो सकता है जिसे सुधारा न जा सके। उसने सुझाव दिया कि डीएनए प्रोफाइल तक जिन लोगों का एक्सेस है, उनमें से प्रत्येक की जवाबदेही तय की जानी चाहिए और अगर अपराध जान-बूझकर नहीं किया गया है, तब भी सजा दी जानी चाहिए।
     
  • नियम/रेगुलेशन बनाने की शक्ति: बिल में कहा गया है कि केंद्र सरकार/डीएनए रेगुलेटरी बोर्ड बिल के प्रावधानों के संबंध में नियम/रेगुलेशन बनाएंगे। कमिटी ने सुझाव दिया कि इनमें से कुछ प्रावधानों में कानून द्वारा संशोधन किया जाना चाहिए। इनमें निम्नलिखित में संशोधन शामिल हैं: (i) डीएनए सबूत को किन किन मामलों में किसी व्यक्ति की पहचान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, उसकी सूची, और (ii) डीएनए सूचना का एक्सेस देने की वजहें।
     
  • असहमतियां: कमिटी के दो सदस्यों ने अपनी असहमतियां जताईं। उन्होंने कहा कि बिल डीएनए प्रोफाइल्स को जमा और स्टोर करने के दौरान व्यक्ति के प्राइवेसी के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं करता।


 

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