स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट और वर्क्स एकाउंटेंट्स तथा कंपनी सचिव (संशोधन) बिल, 2021

  • वित्त संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री जयंत सिन्हा) ने 23 मार्च, 2022 को चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट और वर्क्स एकाउंटेंट्स तथा कंपनी सचिव (संशोधन) बिल, 2021 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। बिल चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एक्ट, 1949, कॉस्ट और वर्क्स एकाउंटेंट्स एक्ट, 1959 और कंपनी सचिव एक्ट, 1980 में संशोधन करने का प्रयास करता है। ये तीनों एक्ट्स क्रमशः चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट और वर्क्स एकाउंटेंट्स तथा कंपनी सचिव के पेशों के रेगुलेशन का प्रावधान करते हैं। एक्ट भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान (आईसीएआई), भारतीय कॉस्ट एकाउंटेंट्स संस्थान तथा भारतीय कंपनी सचिव संस्थान की स्थापना भी करता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • कोऑर्डिनेशन कमिटीबिल में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में कोऑर्डिनेशन कमिटी के गठन का प्रावधान है। इस कमिटी में तीनों संस्थानों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव भी शामिल होंगे। कमिटी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एकैडमिक्स की क्वालिटी में सुधार करना, (ii) प्रोफेशंस के बीच समन्वय और सहयोग कायम करना, और (iii) प्रोफेशंस के रेगुलेशन से संबंधित नीतियों पर सुझाव देना।स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया कि उद्योग, बिजनेस या फाइनांस से जुड़े किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को कोऑर्डिनेशन कमिटी का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। तीनों संस्थानों की संबंधित परिषदों द्वारा तैयार पैनल में से केंद्र सरकार को उस व्यक्ति को नामित करना चाहिए। वह व्यक्ति तीनों संस्थानों में से किसी का सदस्य नहीं होना चाहिए। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का सचिव कमिटी का सदस्य हो सकता है। स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया कि कोऑर्डिनेशन कमिटी का नाम बदलकर गवर्नेंस कमिटी किया जाए। इसके अतिरिक्त इसके कार्यों में व्यवस्थित तरीके से रेगुलेशन करना, प्रभावी विकास और अनुशासनात्मक निगरानी करना शामिल किया जाना चाहिए।
     
  • रेगुलेशन के लिए कई निकायकमिटी ने कहा कि यूएस, यूके और कनाडा में एकाउंटेंट्स के क्वालिफिकेशन और लाइसेंसिंग का काम कई निकाय करते हैं। भारत में पूरे प्रोफेशन पर आईसीएआई का वैधानिक एकाधिकार कायम है। इसलिए इस प्रोफेशन की क्वालिटी और क्षमता में सुधार करने की गुंजाइश कम है। कमिटी ने कहा कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और फाइनांशियल रिपोर्टिंग की विश्वसनीयता में सुधार करने के लिए विकसित देशों की तर्ज पर एक से अधिक निकाय बनाना जरूरी है। उसने एकाउंटिंग के लिए एकैडमिक संस्थान बनाने का भी सुझाव दिया ताकि एकाउंटिंग और फाइनांस के प्रोफेशन को अधिक विकसित किया जा सके।
     
  • अनुशासनात्मक प्रणालीतीनों कानूनों के अंतर्गत परिषदें अनुशासन बोर्ड्स और अनुशासनात्मक कमिटियों का गठन करती हैं जोकि संस्थान के सदस्यों के दुर्व्यवहार के मामलों से निपटते हैं।  बिल इन निकायों के संयोजन में परिवर्तन करता है और प्रावधान करता है कि संबंधित संस्थानों के सदस्य उनकी अध्यक्षता नहीं करेंगे। कमिटी ने कहा, जबकि किसी प्रोफेशनल संस्थान की स्वायत्तता और स्वतंत्रता में कोई अनावश्यक दखल नहीं होनी चाहिए, फाइनांशियल रिपोर्टिंग भी पूरी ईमानदारी से होनी चाहिए। उसने कहा कि प्रस्तावित संशोधन संस्थानों की पेशेवर स्वायत्तता को नहीं छीनते। कमिटी ने सुझाव दिया कि अनुशासनात्मक निकायों के सदस्यों को वैसे ही नियुक्त किया जाना चाहिए जैसा बिल में प्रस्तावित है।
     
  • अनुशासनात्मक प्रक्रियाओं के लिए समय सीमाबिल में संबंधित प्रोफेशंस के सदस्यों के दुर्व्यवहार के मामलों से जुड़ी अनुशासनात्मक प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए विभिन्न समय सीमाएं निर्दिष्ट की गई हैं। आईसीएआई द्वारा जमा किए गए डेटा के अनुसार, 1997 लंबित मामलों में 57 मामले विचाराधीन हैं। कमिटी ने कहा कि अनुशासनात्मक प्रक्रियाओं के पूरा होने के लिए समय सीमा लागू करना उचित और तर्कसंगत है। उसने बिल में प्रस्तावित समय सीमा को बरकरार रखने का सुझाव दिया।
     
  • भारतीय कॉस्ट एकाउंटेंट्स संस्थानबिल में कॉस्ट एकाउंटेंट्स एक्ट के नाम को बदलकर कॉस्ट एंड वर्क्स एकाउंटेंट्स एक्ट रखने का प्रस्ताव दिया गया है। भारतीय कॉस्ट एकाउंटेंट्स संस्थान ने कमिटी को सुझाव दिया था कि इसका नाम बदलकर भारतीय कॉस्ट और मैनेजमेंट एकाउंटेंट्स संस्थान कर दिया जाए। यह अंतरराष्ट्रीय पद्धति के मुताबिक होगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार, संस्थान के नाम में बदलाव करने पर विचार कर सकता है।

 

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