स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन बिल, 2021 

  • विज्ञान एवं तकनीक, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: जयराम रमेश) ने 21 अप्रैल, 2022 को वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन बिल पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। बिल को दिसंबर 2021 में लोकसभा में पेश किया गया था। बिल वन्य जीव (संरक्षण) एक्ट, 1972 में संशोधन का प्रयास करता है। एक्ट में वन्य प्राणियों, पक्षियों और पौधों के संरक्षण का प्रावधान है। बिल निम्नलिखित का प्रयास करता है: (i) वन्य जीवों तथा वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर केंद्रित कन्वेंशन (साइट्स) को लागू करना, (ii) भारत की देशी प्रजातियों का संरक्षण, और (iii) कानून के प्रवर्तन में सुधार। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • साइट्स को लागू करना: साइट्स सरकारों के बीच एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो यह सुनिश्चित करती है कि वन्य प्राणियों और पौधों के नमूनों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार से उन प्रजातियों के अस्तित्व पर कोई खतरा नहीं होगा। कमिटी ने गौर किया कि साइट्स को लागू करने का सबसे उपयुक्त तरीका यह है कि जैव विविधता एक्ट, 2002 में संशोधन किया जाए, चूंकि साइट्स को लागू करना, जैव विविधता के सतत उपयोग से संबंधित है। यह भी गौर किया गया कि बिल के दृष्टिकोण से मूल एक्ट जटिल होगा और इससे विरोधाभास पैदा हो सकते हैं। इस चिंता को दूर करने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) 2021 के बिल में प्रस्तावित वृहद अध्याय को पेश करने की बजाय 1972 के एक्ट के संबंधित सेक्शंस में संशोधन किए जाएं, (ii) 2021 के बिल की अनुसूची IV को खत्म कर दिया जाए और पूरे बिल में साइट्स की अनुसूची IV के संदर्भों को साइट्स के परिशिष्टों से बदला जाए। अनुसूची IV साइट्स परिशिष्टों में दर्ज नमूनों की सूची है। साइट्स के अंतर्गत पौधों और पशुओं के नमूने परिशिष्टों में वर्गीकृत हैं जोकि उनके लुप्तप्राय होने के जोखिम पर आधारित है
     
  • भारत के देशी जीन पूल का संरक्षण: बिल केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह इनवेज़िव एलियन प्रजातियों के आयात, व्यापार, उन्हें कब्जे में लेने या उनकी वृद्धि को रेगुलेट कर सकती है। इसमें इनवेज़िव एलियन प्रजातियों की व्याख्या ऐसे पौधे या पशुओं की प्रजातियां के रूप में की गई है: (i) जो भारत की मूल निवासी नहीं हैं, और (ii) जिनके आने से वन्य जीव या उनके निवास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। कमिटी ने गौर किया कि देश के विशेष इकोसिस्टम में इनवेज़िव एलियन प्रजातियां रह सकती हैं। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) इनवेज़िव एलियन प्रजातियों को सूचीबद्ध और असूचीबद्ध करने के लिए वैज्ञानिक और पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए, (ii) प्रबंधन के लिए विशिष्ट उपाय करने से संबंधित प्रावधान किए जाने चाहिए, और (iii) यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि साइट्स के विशिष्ट प्रावधान देशी भारतीय प्रजातियों के प्रजनन और व्यापार को सुविधाजनक नहीं बनाते हैं।
     
  • अनुसूचियों का पुनर्गठनबिल 1972 के एक्ट में अनुसूचियों की संख्या को छह से घटाकर चार करता है। ये हैं: (i) विशेष संरक्षित पशुओं के लिए दो अनुसूचियां (अनुसूची I और II, जिसमें अनुसूची II कम संरक्षित प्रजातियों के लिए है), (ii) विशेष संरक्षित पौधों के लिए एक अनुसूची (अनुसूची III), और (iii) अनुसूची IV। कमिटी ने निम्नलिखित पर गौर किया: (i) कई प्रजातियां अनुसूची I, II और III में शामिल नहीं हैं, और (ii) अनुसूची और II के बीच प्रजातियों का गलत वर्गीकरण है। उसने निम्नलिखित का सुझाव दिया: (i) जो प्रजातियां अनुसूची और II में शामिल नहीं हैं, उनके लिए अलग से अनुसूची जोड़ी जाए, और (ii) अनुसूची III को व्यापक बनाने के लिए भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बॉटोनिकल सर्वे ऑफ इंडिया) से सलाह ली जाए।
     
  • राज्य वन्य जीव बोर्ड: 2021 का बिल राज्य वन्य जीव बोर्ड को यह अधिकार देता है कि वह कुछ डेलिगेटेड शक्तियों और कर्तव्यों को निभाने के लिए स्थायी समिति का गठन कर सकता है। समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे: (i) बोर्ड का उपाध्यक्ष, (ii) सदस्य-सचिव, और (iii) उपाध्यक्ष द्वारा बोर्ड के सदस्यों में से नामित अधिकतम 10 सदस्य। समिति ने कहा कि स्थायी समिति में आधिकारिक सदस्य हैं और यह परियोजनाओं की त्वरित मंजूरियों के लिए रबर स्टैंप बनकर रह जाएगी। उसने सुझाव दिया कि स्थायी समिति में निम्नलिखित सदस्य होने चाहिए: (i) एसबीडब्ल्यूएल के गैर आधिकारिक सदस्यों का कम से कम एक तिहाई, (ii) कम से कम तीन संस्थागत सदस्य (जैसे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण), और (iii) भारतीय वन्य जीव संस्थान का निदेशक या उसका कोई नॉमिनी।
     
  • जीवित हाथियों का परिवहन: 1972 का एक्ट चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन की पूर्व अनुमति के बिना किसी संरक्षित वन्य जीव की बिक्री और स्थानांतरण पर प्रतिबंध लगाता है। बिल कुछ जीवित हाथियों के स्थानांतरण को अनुमति की शर्त से छूट देता है। यह उन जीवित हाथियों पर लागू होता है जिनके लिए किसी के पास स्वामित्व का सर्टिफिकेट है और उसने राज्य सरकार की अनुमति ली हुई है। कमिटी ने सुझाव दिया कि हाथियों के निजी स्वामित्व और व्यापार को हतोत्साहित करने के लिए इस छूट को हटा दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने केंद्र सरकार को जीवित हाथियों के परिवहन की शर्तों को निर्धारित करने का अधिकार देने का भी सुझाव दिया। इससे धार्मिक संस्थानों द्वारा हाथियों के अधिग्रहण की अनुमति मिल सकती है। इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि अगर शर्तें पूरी नहीं की जातीं, तो नियमों में इस संबंध में उपाय करने के स्पष्ट प्रावधान होने चाहिए।
     
  • सजाएक्ट के अंतर्गत सभी अपराधों के लिए जुर्माना, कैद या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। कमिटी ने कहा कि आपराधिक कृत्य और कानून के संभावित उल्लंघन, विशेष रूप से शिक्षा, विज्ञान और अनुसंधान के लिए दी जाने वाली अनुमति से संबंधित, के बीच अंतर होना चाहिए। ऐसे उल्लंघनों के लिए कैद नहीं, जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

 

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