स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (संशोधन) बिल, 2015

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्र ने 20 अप्रैल, 2015 को लोकसभा में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) (संशोधन) बिल, 2015 पेश किया। यह बिल एमएसएमई एक्ट, 2006 में संशोधन करता है। यह एक्ट उद्यमों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम की श्रेणी में रखकर उन्हें रेगुलेट करता है।
     
  • बिल निम्नलिखित का प्रयास करता हैः (i) एमएसएमई में निवेश के लिए अलाउंस बढ़ाना, और (ii) केंद्र को टर्नओवर और रोजगार के आधार पर सूक्ष्म, अति सूक्ष्म या ग्रामीण उद्यमों को लघु या मध्यम दर्जे के उद्यम के रूप में वर्गीकृत करने की अनुमति देना।
     
  • उद्योग संबंधी स्टैडिंग कमिटी (चेयरः के.सी.त्यागी) ने 5 अगस्त, 2015 को बिल पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी ने बिल को बिना किसी परिवर्तन के मंजूर कर दिया। किंतु उसने कुछ व्यापक सुझाव दिएः
     
  • ग्रामीण उद्योगों की परिभाषाः बिल केंद्र सरकार को ग्रामीण उद्योगों को मध्यम दर्जे के उद्यम के रूप में वर्गीकृत करने की अनुमति देता है। एमएसएमई एक्ट के तहत उद्यमों को निवेश के आधार पर पारिभाषित किया गया है, जबकि 1988 का खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) एक्ट उन्हें भूमि और भवन में निवेश के आधार पर पारिभाषित करता है। इसलिए यह सुझाव दिया गया है कि ग्रामीण उद्योगों की परिभाषा को एक्ट में शामिल किया जाना चाहिए ताकि उसकी विवेचना में किसी प्रकार की भ्रांति न हो। वर्तमान में एक्ट में ऐसी कोई परिभाषा शामिल नहीं है।
     
  • विविधः कमिटी ने सुझाव दिया कि सूक्ष्म उद्यमों को और अधिक सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए, विशेष रूप से अपंजीकृत सूक्ष्म क्षेत्र को। कमिटी ने यह भी कहा कि अगर सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए पंजीकरण की आवश्यकता है तो यह सुविधाजनक तरीके से और बिना किसी बाधा के पूरा होना चाहिए।
     
  • कमिटी ने अपनी एक पूर्व रिपोर्ट (245 वीं) में इस बात पर विचार किया था कि एक्ट किस प्रकार अमल में लाया जा रहा है और इस संबंध में कुछ विषयों को चिन्हित किया था। कमिटी ने कहा था कि भविष्य में अगर एक्ट में कोई संशोधन किया जाता है तो उसके सुझावों को उसमें शामिल किया जाए। 245 वीं रिपोर्ट में कमिटी के सुझावों का सारांश यहां उपलब्ध है

 

यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।