स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) बिल, 2015

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सतीश चंद्र मिश्रा) ने 30 जुलाई, 2015 को होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) बिल, 2015 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस बिल को राज्यसभा में 6 मई, 2015 को पेश किया गया था। बिल होम्योपैथी केंद्रीय परिषद एक्ट, 1973 को संशोधित करता है।
     
  • यह एक्ट देश में होम्योपैथी कॉलेजों और होम्योपैथी चिकित्सकों से संबंधित मानदंडों को रेगुलेट और लागू करने के लिए होम्योपैथी केंद्रीय परिषद के गठन का प्रावधान करता है। बिल होम्योपैथी मेडिकल कॉलेजों में उन दाखिलों को नामंजूर करता है जो निर्धारित शैक्षणिक मानदंडों को पूरा नहीं करते।

बिल पर कमिटी की मुख्य टिप्पणियां और सुझाव निम्नलिखित हैं:

  • पूर्व अनुमति: बिल होम्योपैथी मेडिकल कॉलेजों के किसी पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों के नए बैच को दाखिला देने से पूर्व केंद्र सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य बनाता है। स्टैंडिंग कमिटी ने इस प्रावधान पर सहमति जताई। उसने यह सुझाव भी दिया कि होम्योपैथी संस्थानों की शिकायतों को निबटाने के लिए अपीलीय व्यवस्था की जानी चाहिए।
     
  • क्वालिफिकेशन संबंधी मान्यता रद्द: बिल कहता है कि अगर कोई मेडिकल संस्थान पूर्व अनुमति के बिना किसी बैच को दाखिला देता है तो संस्थान के किसी भी विद्यार्थी की मेडिकल क्वालिफिकेशन को मान्यता प्राप्त नहीं माना जाएगा। स्टैंडिंग कमिटी ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन से मेडिकल संस्थान के किसी भी विद्यार्थी की मान्यता रद्द होने की आशंका हो सकती है। इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि यह प्रावधान सिर्फ उन्हीं विद्यार्थियों पर लागू होना चाहिए जिनके बैच को पूर्व अनुमति के बिना दाखिला दिया गया है।
     
  • स्टैंडिंग कमिटी ने यह भी कहा कि विद्यार्थियों से ज्यादा संस्थानों की जिम्मेदारी बनती है इसलिए डीफॉल्ट करने वाले मेडिकल संस्थानों को दंड देने के प्रावधान बिल में शामिल किए जाने चाहिए। इस प्रकार के प्रावधान मेडिकल संस्थानों को डीफॉल्ट होने से रोकने का काम करेंगे। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे को उपयुक्त संशोधनों के माध्यम से संबोधित करना चाहिए।
     
  • वैधता की सीमा: बिल कहता है कि विद्यार्थियों के नए बैच को दाखिला देने की पूर्व अनुमति पांच वर्ष की अवधि के लिए वैध होनी चाहिए। कमिटी ने प्रस्तावित संशोधन पर सहमति जताई। इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि प्रस्तावित संशोधनों को अधिसूचित किए जाने के बाद संबंधित रेगुलेशनों को संशोधित किया जाना चाहिए जिससे केंद्रीय परिषद को पांच वर्षों के दौरान होम्योपैथी मेडिकल संस्थानों की जांच करने का अधिकार प्राप्त हो सके।
     
  • परिषद का कार्य संचालन: 2005 में राज्यसभा में होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) बिल, 2005 पेश किया गया था। यह राज्यसभा में अब भी लंबित पड़ा है। बिल में केंद्रीय परिषद के अध्यक्ष को हटाए जाने से संबंधित प्रावधान भी हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को 2005 के बिल को जल्दी लाना चाहिए जिससे होम्योपैथी केंद्रीय परिषद के कार्य संचालन को सरल बनाया जा सके।

 

यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।