स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

बाल श्रम (निषेध और रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2012

  • श्रम और रोजगार संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयरमैन- दारा सिंह चौहान) ने 13 दिसंबर, 2013 को बाल श्रम (निषेध और रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2012 पर अपनी 40 वीं रिपोर्ट सौंपी। इस बिल को श्रम और रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खडगे ने 4 दिसंबर, 2012 को राज्यसभा में पेश किया था। 12 दिसंबर, 2012 को इसे स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजा गया।
     
  • बिल सभी व्यवसायों में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाने, कुछ अपवादों को छोड़कर, के माध्यम से बाल श्रम (निषेध और रेगुलेशन) एक्ट, 1986 को संशोधित करने का प्रयास करता है। यह बिल एक नई श्रेणी “किशोर” को प्रस्तावित करता है और जोखिमपरक कार्यों में उनके रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है।
     
  • कमिटी ने यह पाया कि हालांकि बिल का एक उद्देश्य किशोरों की सेवा शर्तों को रेगुलेट करना है, इसमें इस उद्देश्य के लिए कोई प्रावधान मौजूद नहीं है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इस बिल में किशोरों के वेतन और उनकी आयु से संबंधित विवादों को निपटाने के अतिरिक्त उनके कार्य की स्थितियों को रेगुलेट करना भी शामिल किया जाना चाहिए।
     
  • कमिटी का यह विचार है कि किशोरों को किसी रोजगार में कार्यरत होने की अनुमति देने से पूर्व अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करनी चाहिए।
     
  • कमिटी ने इस बात पर चिंता जताई कि अलग-अलग एक्ट्स में ‘बच्चे’ की जो परिभाषाएं दी गई हैं, उनमें अलग-अलग आयु का उल्लेख है। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि बच्चों द्वारा स्कूल के घंटों के बाद अपने परिवार की मदद करने का प्रावधान बिल से हटाया जाना चाहिए।
     
  • कमिटी ने सुझाव दिया कि जोखिमपरक कार्यों की परिभाषा को व्यापक बनाया जाना चाहिए जिससे उसमें वे सभी कार्य शामिल किए जा सकें जोकि किशोरों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और नैतिकता को नुकसान पहुंचाते हैं।
     
  • बिल में बच्चों को रोजगार पर रखने से संबंधित दंड को बढ़ाया गया है लेकिन बिल कहता है कि ऐसे बच्चे के माता-पिता/अभिभावक को तब तक दंड का भागी नहीं माना जाना चाहिए जब तक वे बच्चे से कमर्शियल उद्देश्य के लिए काम नहीं करवाते। किसी जोखिमपरक व्यवसाय में किसी किशोर को काम पर रखने का दंड भी बढ़ाने का प्रस्ताव है। ऐसे किशोरों के माता-पिता और अभिभावक को दंडित किया जाएगा, अगर वे उनसे जोखिमपरक व्यवसायों में काम करवाते हैं।
     
  • माता-पिता की बच्चों से काम करवाने की मजबूरी को कम करने के सरकारी प्रयासों का संज्ञान लेते हुए कमिटी ने कहा कि ऐसे प्रयासों को पर्याप्त रूप से प्रसारित नहीं किया गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल को गरीब तथा सरकारी योजनाओं के लाभों से वंचित माता-पिता के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाने के लिए संशोधित किया जाना चाहिए।
     
  • कमिटी ने सुझाव दिया कि जिला मेजिस्ट्रेट के बजाय स्थानीय सांसदों के नेतृत्व वाली सतर्कता और निरीक्षण कमिटियों को बाल श्रम (निषेध और रेगुलेशन) एक्ट के कार्यान्वयन की समीक्षा का कार्य सौंपा जाना चाहिए। बिल में यह दायित्व जिला मेजिस्ट्रेट को दिया गया है।
     
  • बिल में प्रस्ताव दिया गया है कि सरकार को उन स्थानों का समय-समय पर निरीक्षण करना चाहिए जहां बच्चों द्वारा रोजगार पर प्रतिबंध लगाया गया है और जहां जोखिमपरक कार्य संचालित किए जाते हैं। कमिटी ने यह विचार प्रकट किया कि इस प्रावधान में हर वह जगह शामिल की जानी चाहिए जहां इस बात का संदेह है कि बच्चे वहां काम करते हैं और जहां किशोरों द्वारा कार्य किया जाना प्रतिबंधित है।
     
  • कमिटी ने बाल तस्करी और फुटपाथी बच्चों के मुद्दे पर श्रम और रोजगार मंत्रालय के लापरवाही भरे उत्तर की निंदा की। उसने सुझाव दिया कि इस समस्या को सुलझाने के लिए सभी संबंधित मंत्रालयों को एक व्यापक रणनीति तैयार करनी चाहिए।
     
  • कमिटी ने कहा कि बिल में बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराने और उनके पुनर्वास से संबंधित प्रावधान नहीं हैं। उसने सुझाव दिया कि इस कार्य को विभिन्न मंत्रालयों को सौंपने के बजाय, सरकार को नई बाल श्रम नीति बनानी चाहिए जिसके तहत कानून, नीतियों और योजनाओं के प्रवर्तन तंत्र का गठन करना चाहिए।

 

यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।