इस अंक की झलकियां
आरबीआई ने रेपो रेट 4.4% से बढ़ाकर 4.9% की
स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी रेट को 4.15% से बढ़ाकर 4.65% कर दिया गया है। मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 5.7% से संशोधित करके 6.7% किया गया है।
2021-22 की चौथी तिमाही में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 1.5% रहा
भारत ने 2021-22 की चौथी तिमाही में 13.4 बिलियन USD (जीडीपी का 1.5%) का चालू खाता घाटा दर्ज किया, जबकि 2020-21 की चौथी तिमाही में 8.2 बिलियन USD (जीडीपी का 1%) का घाटा हुआ था।
कैबिनेट ने सशस्त्र बलों में भर्तियों के लिए अग्निपथ योजना को मंजूरी दी
इस योजना के तहत 17.5 से 21 वर्ष की आयु के बीच के उम्मीदवारों को चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती किया जाएगा।
कैबिनेट ने 5जी स्पेक्ट्रम को मंजूरी दी
स्पेक्ट्रम 20 साल की अवधि के लिए आबंटित किया जाएगा, और शेष किश्तों के लिए भविष्य की कोई देनदारी के बिना उसे 10 वर्षों के बाद सरेंडर किया जा सकता है।
mRNA कोविड-19 वैक्सीन, जेमकोवैक को इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन मिला
डीसीजीआई ने जेमकोवैक को इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन दे दिया है। जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स द्वारा विकसित जेमकोवैक, भारत की पहली स्वदेशी mRNA कोविड-19 वैक्सीन है।
आरबीआई ने क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक करने को मंजूरी दी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भुगतान करने के लिए क्रेडिट कार्ड को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से लिंक करने को अनुमति दे दी है। शुरुआत में सिर्फ रूपे क्रेडिट कार्ड पर ही यह सुविधा उपलब्ध होगी।
आईटी नियम, 2021 के ड्राफ्ट संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित
ड्राफ्ट नियम इंटरमीडियरीज़ की बाध्यताओं में विस्तार करते हैं। उन्हें इन नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा और यूजर्स को प्रतिबंधित कंटेंट को क्रिएट, अपलोड या शेयर न करने को प्रेरित करना होगा।
सेरोगेसी और असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी को रेगुलेट करने वाले नियम अधिसूचित
सेरोगेसी नियमों में जरूरी मेडिकल स्थितियों, प्रक्रियाओं और सेरोगेसी करने के लिए अपेक्षित बीमा को निर्दिष्ट किया गया है। एआरटी नियम बैंक्स और क्लिनिक्स की जिम्मेदारियों को निर्दिष्ट करते हैं।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति के मानदंड में परिवर्तन
सरकार किसी भी सेवारत या सेवानिवृत्त वायुसेना के एयर मार्शल या एयर चीफ मार्शल, नौसेना के वाइस एडमिरल या एडमिरल और सेना के लेफ्टिनेंट जनरल या जनरल को सीडीएस के रूप में नियुक्त कर सकती है।
राष्ट्रीय एयर स्पोर्ट्स नीति जारी
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हवाई खेलों, जैसे पैराशूटिंग और हैंड ग्लाइडिंग को रेगुलेट करने के लिए एक नीति जारी की है। इस नीति का उद्देश्य विश्वव्यापी हवाई खेल आयोजनों में भारतीयों को आगे बढ़ाना और चार स्तरीय सरकारी संरचना तैयार करना है।
कारों की क्रैश सुरक्षा का आकलन करने के लिए भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम जारी
परिवहन मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त टेस्टिंग एजेंसियों को कारों का आकलन करने और उन्हें स्टार रेटिंग प्रदान करने के लिए अधिकृत किया जाएगा। कार्यक्रम स्वैच्छिक होगा और बीएनसीएपी अथॉरिटी द्वारा उसकी निगरानी की जाएगी।
भारत में ई-कॉमर्स के संवर्धन और रेगुलेशन पर रिपोर्ट सौंपी गई
कमिटी ने उद्योग में प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं जैसे प्लेटफॉर्म न्यूट्रिलिटी की कमी, डीप डिस्काउंटिंग और पर्सनल डेटा के दुरुपयोग के निवारण के उपायों का सुझाव दिया।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
रेपो रेट और स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट्स बढ़कर क्रमशः 4.9% और 4.65% हुए
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पॉलिसी रेपो रेट (जिस दर पर आरबीआई बैंकों को ऋण देता है) को 4.4% से बढ़ाकर 4.9% करने का फैसला किया है।[1] समिति के अन्य निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:
स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी रेट (जिस दर पर आरबीआई कोलेट्रल दिए बिना बैंकों से उधार लेता है) को 4.15% से बढ़ाकर 4.65% कर दिया गया है।
मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट (जिस दर पर बैंक अतिरिक्त धन उधार ले सकते हैं) और बैंक रेट (जिस दर पर आरबीआई बिल्स ऑफ एक्सचेंज को खरीदता है) 4.65% से बढ़कर 5.15% हो गए हैं।
समिति ने समायोजन को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया ताकि यह सुनिश्चित हो कि मुद्रास्फीति लक्ष्य के भीतर बरकरार रहे।
कमिटी ने 2022-23 में मुद्रास्फीति के लिए अपने पूर्वानुमान को 5.7% से संशोधित करके 6.7% कर दिया।[2]
2021-22 की चौथी तिमाही में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 1.5% रहा
भारत ने 2021-22 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 13.4 बिलियन USD (जीडीपी का 1.5%) का चालू खाता घाटा दर्ज किया, जबकि 2020-21 की चौथी तिमाही में 8.2 बिलियन USD (जीडीपी का 1%) का घाटा हुआ था।[3],[4] 2021-22 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में चालू खाता घाटा अधिक था (22.2 बिलियन USD, जो सकल घरेलू उत्पाद का 2.6% था)।
2021-22 की चौथी तिमाही में पूंजी खाते ने 1.7 बिलियन USD का शुद्ध बहिर्वाह (आउटफ्लो) दर्ज किया, जबकि 2020-21 में इसी तिमाही में 12.3 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह (इनफ्लो) हुआ था। यह 2021-22 की चौथी तिमाही में 15.2 बिलियन USD के विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के बहिर्वाह के कारण था, जबकि 2020-21 की चौथी तिमाही में 7.2 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह हुआ था।
2020-21 की चौथी तिमाही में 3.4 बिलियन USD की वृद्धि की तुलना में 2021-22 की चौथी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 16 बिलियन USD की कमी आई।
तालिका 1: भुगतान संतुलन, तिमाही 4 2021-22 (बिलियन USD)
|
ति4 |
ति3 |
ति4 |
चालू खाता |
-8.2 |
-22.2 |
-13.4 |
पूंजी खाता |
12.3 |
22.5 |
-1.7 |
भूलचूक लेनीदेनी |
-0.7 |
0.1 |
-0.9 |
भंडार में परिवर्तन |
3.4 |
0.4 |
-16.0 |
स्रोत: भारतीय रिजर्व बैंक; पीआरएस।
रक्षा
कैबिनेट ने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को मंजूरी दी
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
केंद्रीय कैबिनेट ने सशस्त्र सेनाओं में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को मंजूरी दे दी है।[5] योजना के अंतर्गत भर्ती किए गए उम्मीदवार चार वर्ष के लिए सेवारत रहेंगे और उन्हें अग्निवीर कहा जाएगा। सशस्त्र बलों के अंतर्गत अग्निवीर एक अलग रैंक होगी। योजना की मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल है:
पात्रता: 17.5 से 21 वर्ष की आयु के बीच के उम्मीदवार आवेदन के लिए पात्र होंगे। योजना के तहत तीनों सेवाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) के लिए भर्तियां एक ऑनलाइन केंद्रीकृत प्रणाली के माध्यम से होंगी। भर्ती के लिए मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थानों से विशेष रैली और कैंपस इंटरव्यू आयोजित किए जाएंगे। 2022 में भर्तियों के लिए 17.5-23 वर्ष की आयु के बीच के उम्मीदवार आवेदन करने के पात्र होंगे।[6]
स्थायी भर्ती: चार साल की सेवा पूरी करने के बाद अग्निवीर सशस्त्र बलों में स्थायी भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। अग्निवीरों के प्रत्येक बैच से अधिकतम 25% कर्मियों को सशस्त्र बलों के नियमित संवर्ग में भर्ती किया जाएगा। नियमित संवर्ग में भर्ती के लिए चुने गए व्यक्तियों को न्यूनतम 15 वर्ष की सेवा करनी होगी।
लाभ: अग्निवीरों को मासिक पैकेज दिया जाएगा (विवरण के लिए तालिका 2 देखें)। चार साल की सेवा पूरी करने के बाद, उन्हें 11.7 लाख रुपए के एकमुश्त 'सेवा निधि' पैकेज का भुगतान किया जाएगा। रंगरूट और केंद्र सरकार इस निधि में समान रूप से अंशदान देंगे। पैकेज को आयकर से छूट दी जाएगी। इसके अतिरिक्त अग्निवीरों को उनके कार्यकाल के दौरान 48 लाख रुपए का गैर-अंशदायी जीवन बीमा कवर प्रदान किया जाएगा। ग्रैच्युटी और पेंशन संबंधी लाभ नहीं दिए जाएंगे।
आरक्षण: रक्षा मंत्रालय में 10% रिक्तियां अग्निवीरों के लिए आरक्षित होंगी।[7] आरक्षण डिफेंस सिविलियन पदों, भारतीय तटरक्षक बल और रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स और मुनिशंस इंडिया लिमिटेड में लागू किया जाएगा।
तालिका 2: अग्निपथ के अंतर्गत लाभ (रुपए में)
वर्ष |
मासिक पैकेज |
इन हैंड (मासिक वेतन का 70%) |
कॉरपस फंड में अंशदान |
कॉरपस फंड में केंद्र सरकार का अंशदान |
1 |
30,000 |
21,000 |
9,000 |
9,000 |
2 |
33,000 |
23,100 |
9,900 |
9,900 |
3 |
36,500 |
25,580 |
10,950 |
10,950 |
4 |
40,000 |
28,000 |
12,000 |
12,000 |
स्रोत: प्रेस सूचना ब्यूरो; पीआरएस।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति के मानदंड में परिवर्तन
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
केंद्र सरकार ने वायुसेना रेगुलेशन, 1964, नैवल सेरेमोनियल, सेवा शर्त और विविध रेगुलेशंस, 1963 और सेना नियम, 1954 में संशोधन करके चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति के मानदंडों को बदल दिया है।[8],[9],[10] इससे पहले केवल तीन सशस्त्र सेवाओं के प्रमुखों को सीडीएस के रूप में नियुक्त किया जा सकता था।[11] संशोधित रेगुलेशंस के अनुसार, सरकार किसी भी सेवारत या सेवानिवृत्त वायुसेना के एयर मार्शल या एयर चीफ मार्शल, नौसेना के वाइस एडमिरल या एडमिरल और सेना के लेफ्टिनेंट जनरल या जनरल को सीडीएस के रूप में नियुक्त कर सकती है। सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति के लिए संबंधित व्यक्तियों की आयु 62 वर्ष से कम होनी चाहिए। सीडीएस का कार्यकाल 65 वर्ष की आयु तक बढ़ाया जा सकता है।
वित्त
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
आरबीआई ने क्रेडिट कार्ड्स को यूपीआई से लिंक करने को मंजूरी दी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भुगतान के लिए क्रेडिट कार्ड को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से जोड़ने की अनुमति दी है।[12] शुरुआत में सिर्फ रूपपे क्रेडिट कार्ड पर ही यह सुविधा उपलब्ध होगी। वर्तमान में यूपीआई के तहत यूजर के बचत/चालू खातों को डेबिट कार्ड से लिंक करके, ट्रांजैक्शन किया जाता है। जरूरी सिस्टम डेवलपमेंट के पूरा होने के बाद नई सुविधा उपलब्ध होगी।
आरबीआई ने सहकारी बैंकों के लिए लोन की सीमा बढ़ाई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबीज़), राज्य सहकारी बैंकों (एससीबीज़) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबीज़) द्वारा दिए जाने वाले व्यक्तिगत आवास ऋणों की सीमा बढ़ा दी है।[13],[14] 2011 के बाद यह पहली बार है कि इन सीमाओं में संशोधन किया गया है, चूंकि घरों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है।
तालिका 3: प्रति व्यक्तिगत उधारकर्ता के लिए आवास ऋण की संशोधित सीमा (रुपए में)
बैंक की श्रेणी |
मौजूदा सीमा |
संशोधित सीमा |
टियर-I यूसीबी (100 करोड़ रुपए से कम की जमा वाले बैंक) |
30 लाख |
60 लाख |
टियर-II यूसीबी (100 करोड़ रुपए से अधिक की जमा वाले बैंक) |
70 लाख |
140 लाख |
एससीबी/डीसीसीबी (100 करोड़ रुपए से कम की नेटवर्थ) |
20 लाख |
50 लाख |
एससीबी/डीसीसीबी (100 करोड़ रुपए और उससे अधिक की नेटवर्थ) |
30 लाख |
75 लाख |
स्रोत: भारतीय रिजर्व बैंक; पीआरएस।
राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को कमर्शियल रियल एस्टेट में रेज़िडेंशियल हाउसिंग के लिए वित्त प्रदान करने की अनुमति दी गई है। इसमें रेज़िडेंशियल हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स के लिए बिल्डरों/डेवलपर्स को ऋण देना शामिल हैं। ये ऋण कुल एसेट्स की 5% की मौजूदा हाउसिंग फाइनांस सीमा के भीतर होने चाहिए।
आरबीआई ने रेगुलेटरी एंटिटीज़ पर अनुपालन का बोझ कम करने पर रिपोर्ट जारी की
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेगुलेशन रिव्यू अथॉरिटी की अंतिम रिपोर्ट जारी की है।[15] आरबीआई ने रेगुलेटेड एंटिटीज़ पर अनुपालन के दबाव को कम करने के उपाय सुझाने के लिए इसका गठन किया था। अथॉरिटी ने चार चरणों में 714 सर्कुलर्स को वापस लेने का सुझाव दिया था। अथॉरिटी ने रेगुलेटरी दबाव को कम करने, रिपोर्टिंग तंत्र को कारगर बनाने और रेगुलेटरी निर्देशों तक पहुंच को आसान बनाने के सुझाव भी दिए हैं।[16] मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
रेगुलेटरी निर्देश जारी करना: अथॉरिटी ने सुझाव दिया है कि आरबीआई के सर्कुलर्स को मानकीकृत किया जाना चाहिए और उनका एक जैसा टेम्पलेट होना चाहिए। इससे समझने और अनुपालन में आसानी होगी। मास्टर सर्कुलर्स को समयबद्ध तरीके से अपडेट किया जाना चाहिए और अंततः जहां भी संभव हो, मास्टर डायरेक्शंस में परिवर्तित किया जाना चाहिए।
रेगुलेशन की जरूरत: अथॉरिटी ने सुझाव दिया था कि रेगुलेटरी निर्देशों में कार्य का उद्देश्य उल्लिखित होना चाहिए। इससे पाठकों को रेगुलेशन की जरूरत को समझने में मदद मिलेगी। उसने रेगुलेटरी रिपोर्टिंग के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर एक अलग पेज बनाने का भी सुझाव दिया। यह रेगुलेटरी सुपरविजन और रेगुलेटरी, सुपवाइजरी और वैधानिक रिटर्न से संबंधित सभी सूचनाओं को समेकित करेगा।
रिपोर्टिंग तंत्र को सुव्यवस्थित करना: रिपोर्ट में कागज-आधारित रिटर्न को समाप्त करने का सुझाव दिया गया है। उसने तीन वर्ष में कम से कम एक बार रेगुलेटरी या सुपरवाइजरी रिटर्न की आवर्ती समीक्षा का भी सुझाव दिया है।
संचार
कैबिनेट ने 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को मंजूरी दी
Saket Surya (saket@prsindia.org)
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।[17] नीलामी के लिए निम्नलिखित फ्रीक्वेंसी बैंड में कुल 72,098 मेगाहर्ट्ज़ (MHz) स्पेक्ट्रम प्रस्तावित हैं: (i) कम आवृत्ति - 600 MHz, 700 MHz, 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, और 2300 MHz, (ii) मध्य-आवृत्ति - 3300 MHz, और (iii) उच्च-आवृत्ति- 26 GHz। आबंटन के लिए प्रमुख नियम और शर्तें हैं: (i) आबंटन अवधि 20 वर्ष होगी, (ii) बोली राशि का अग्रिम भुगतान आवश्यक नहीं है, भुगतान 20 समान वार्षिक किश्तों में किया जा सकता है, (iii) आवर्ती स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क लागू नहीं होगा, और (iv) शेष किश्तों के लिए भविष्य की कोई देयता न होने के साथ 10 वर्षों के बाद स्पेक्ट्रम को सरेंडर किया जा सकता है।
डिज़ाइन आधारित मैन्यूफैक्चरिंग को भी टेलीकॉम पीएलआई मिलेगी
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
दूरसंचार विभाग (डॉट) ने डिज़ाइन-आधारित मैन्यूफैक्चरिंग के लिए टेलीकॉम और नेटवर्किंग प्रॉडक्ट्स में एक कंपोनेंट जोड़ने हेतु प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में संशोधन किए हैं।[18],[19] पीएलआई योजना फरवरी 2021 में शुरू की गई थी। यह चुनिंदा कंपनियों को घरेलू स्तर पर निर्मित दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों की वृद्धिशील बिक्री पर प्रोत्साहन प्रदान करती है। डिज़ाइन आधारित मैन्यूफैक्चरिंग कंपोनेंट से भारत में टेलीकॉम उत्पादनों में डिज़ाइनिंग, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा। डिज़ाइन आधारित मैन्यूफैक्चरिंग में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भारत में सिस्टम (सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर) डिज़ाइन करना, और (ii) हार्डवेयर डिज़ाइन, सोर्स कोड और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) भारत में होना चाहिए। योजना के तहत कंपनियों को प्रोत्साहन का पात्र होने के लिए योजना अवधि के दौरान भारत में कुछ न्यूनतम निवेश करने की भी आवश्यकता होती है। डिज़ाइन-आधारित कंपोनेंट का पात्र होने के लिए न्यूनतम निवेश निम्नलिखित है: (i) एमएसएमई के लिए 10 करोड़ रुपए, और (ii) अन्य कंपनियों के लिए 100 करोड़ रुपए।
इसके अतिरिक्त पूरी योजना को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। पहले यह योजना 2021-22 तक पांच साल के लिए उपलब्ध थी। लाभार्थी अब योजना के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने के पहले वर्ष के रूप में 2021-22 या 2022-23 का चयन कर सकते हैं।
वाणिज्य
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
ई-कॉमर्स के संवर्धन और रेगुलेशन पर रिपोर्ट सौंपी गई
वाणिज्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी.वी. रेड्डी) ने “भारत में ई-कॉमर्स का संवर्धन और रेगुलेशन” पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है।[20] कमिटी के निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
ई-कॉमर्स एंटिटीज़ के बीच प्रतिस्पर्धा का मुद्दा: ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस में प्रतिस्पर्धा विरोधी कार्य पद्धतियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्लेटफॉर्म न्यूट्रिलिटी की कमी, यानी पसंदीदा विक्रेताओं को वरीयता दी जाती है, (ii) डीप डिस्काउंटिंग, यानी पसंदीदा विक्रेताओं को प्लेटफॉर्म द्वारा चुनींदा रूप से वित्त पोषित किया जाता है, (iii) सर्च रैंकिंग में पारदर्शिता की कमी, और (iv) डेटा का दुरुपयोग। कमिटी ने ऐसी नीति बनाने का सुझाव दिया जो मार्केटप्लेस और ई-कॉमर्स के इनवेंटरी आधारित मॉडल्स की स्पष्ट व्याख्या करे। उसने सुझाव दिया कि मार्केटप्लेस-कॉमर्स एंटिटीज़ को निम्नलिखित करना चाहिए: (i) उसे ऐसी वस्तुएं नहीं बेचनी चाहिए जिन पर उनका स्वामित्व हो या जो उनके नियंत्रण में हो, (ii) प्लेटफॉर्म पर अपनी वस्तुएं बचने वाले विक्रेताओं के साथ कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं होना चाहिए, और (iii) प्लेटफॉर्म पर तीसरे पक्ष के विक्रेताओं को अपने ब्रांड की लाइसेंसिंग से रोका जाना चाहिए।
कमिटी ने चुनींदा छूट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खरीदारों और विक्रेताओं के मनमाने वर्गीकरण पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया। डेटा हैंडलिंग और सर्च रैकिंग्स की पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को प्लेटफॉर्म पर डेटा कलेक्शन, उसके इस्तेमाल और तीसरे पक्ष के साथ उसकी शेयरिंग को रेगुलेट करने के लिए स्पष्ट नीति बनानी चाहिए। इसके अलावा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को रैंकिंग तय करने के मानदंड और प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने के लिए जरूरी नियमों और शर्तों को प्रकाशित करना चाहिए, जैसे प्लेटफॉर्म फीस, कमीशन और शुल्क। इन नियमों और शर्तों का एकतरफा संशोधन जो किसी भी स्टेकहोल्डर के लिए हानिकारक हो सकता है, को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
एफडीआई नीति: ई-कॉमर्स पर एफडीआई नीति में एफडीआई-समर्थित ई-कॉमर्स एंटिटीज़ को केवल एक मार्केटप्लेस के रूप में काम करने की अनुमति है। कमिटी ने गौर किया कि यह नीति ई-मार्केटप्लेस में प्रतिस्पर्धा विरोधी कार्य पद्धतियों को रोकने में पूरी तरह सफल नहीं हुई है। कमिटी ने कहा कि विदेशी और घरेलू स्तर पर वित्त पोषित मार्केटप्लेस, दोनों में इन समस्याओं को दूर करने के लिए एक फ्रेमवर्क होना चाहिए। कमिटी ने राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति में ऐसे किसी फ्रेमवर्क को शामिल करने का सुझाव दिया।
पीआरएस रिपोर्ट के सारांश के लिए कृपया देखें।
जिले के रूप में निर्यात हब पहल के कार्यान्वयन पर रिपोर्ट सौंपी गई
वाणिज्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी.वी. रेड्डी) ने ‘एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) सहित जिले के रूप में निर्यात हब (डीईएच) पहल का कार्यान्वयन’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[21] जिले के रूप में निर्यात हब (डीईएच) और एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल का उद्देश्य ग्रामीण और सुदूर जिलों के स्थानीय उत्पादकों को विश्वव्यापी सप्लाई चेन्स के साथ जोड़ना और उन्हें अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाना है। ओडीओपी पहल का डीईएच के साथ ऑपरेशनल रूप से विलय कर दिया गया है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
जिला निर्यात कार्य योजना का कार्यान्वयन: डीईएच पहल के अंतर्गत जिला निर्यात कार्य योजना को तैयार करने के लिए जिला निर्यात संवर्धन समिति (डीईपीसी) का गठन किया जाता है। योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए कमिटी ने संबंधित मंत्रालयों/विभागों, जैसे कृषि, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और एमएसएमई के सचिवों के एम्पावर्ड ग्रुप के गठन का सुझाव दिया। कमिटी ने यह भी कहा कि स्थानीय सरकारी निकायों को योजना के कार्यान्वयन में संलग्न किया जाना चाहिए।
वित्तीय संस्थानों की भूमिका: कमिटी ने चिन्हित डीईएच में किसानों और मैन्यूफैक्चरर्स की वित्तीय साक्षरता में सुधार के महत्व का उल्लेख किया। उसने दो मुख्य समस्याओं पर गौर किया: (i) उधार की निम्न स्तरीय पात्रता, जिसके कारण स्थानीय मैन्यूफैक्चरर्स को उच्च ब्याज पर बाजार से उधार लेना पड़ता है, और (ii) कारोबारी रूप से लाभप्रद सरकारी योजनाओं के संबंध में पर्याप्त जानकारी का अभाव। उसने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) जैसे वित्तीय संस्थानों के साथ एक पोर्टल बनाने का सुझाव दिया ताकि व्यापारियों और मैन्यूफैक्चरर्स को आसानी से ऋण मिल सके।
ई-कॉमर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की भूमिका: कमिटी ने कहा कि ई-कॉमर्स से टियर-II और टियर–III मैन्यूफैक्चरर्स को विश्वव्यापी मार्केटिंग प्लेटफॉर्म्स का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए डिजिटल ज्ञान वाली निर्यात नीति अपनाई जानी चाहिए। कमिटी ने अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ साझेदारी की संभावना तलाशने का सुझाव दिया क्योंकि ये कंपनियां डीईएच पहल को एक विश्वव्यापी डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान कर सकती हैं।
पीआरएस रिपोर्ट के सारांश के लिए कृपया देखें।
उपभोक्ता मामले
Rakshita Goyal (rakshita@prsindia.org)
भ्रामक विज्ञापनों के निवारण के लिए दिशानिर्देश जारी
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी ने भ्रामक विज्ञापनों और भ्रामक विज्ञापनों को समर्थन, दिशानिर्देश 2022 को जारी किया।[22] इन दिशानिर्देशों को उपभोक्ता संरक्षण एक्ट, 2019 के तहत जारी किया गया है।[23] एक्ट निम्नलिखित को भ्रामक विज्ञापन परिभाषित करता है: (i) जो उत्पादों या सेवाओं का झूठा वर्णन करते हैं, (ii) जिनके उत्पादों की प्रकृति, मात्रा या गुणवत्ता के बारे में गुमराह करने की आशंका है, (iii) जो अनुचित व्यापारिक कार्य पद्धतियां अपनाते हैं, और (iv) जो जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाते हैं।23 2022 के दिशानिर्देशों की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:22
वैध विज्ञापन: दिशानिर्देशों के अनुसार, वैध होने के लिए एक विज्ञापन में: (i) सच्चा और ईमानदार प्रतिनिधित्व होना चाहिए, (ii) उत्पाद की सटीकता, वैज्ञानिक वैधता या प्रदर्शन को बढ़ा-चढ़ा कर उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं करना चाहिए, (iii) विज्ञापन में वह दावा मौजूद नहीं होना चाहिए क्योंकि ऐसा सार्वभौमिक रूप से माना जाता, अगर सूचित या वैज्ञानिक राय अलग-अलग होती है, और (iv) अगर उपभोक्ता उत्पाद न खरीदें तो उनकी सुरक्षा के जोखिम के बारे में गुमराह नहीं किया जाता है।
सरोगेट विज्ञापन पर प्रतिबंध: दिशानिर्देश सरोगेट विज्ञापन पर रोक लगाते हैं। ये ऐसे उत्पादों के विज्ञापन होते हैं जोकि कानून द्वारा प्रतिबंधित हैं। इन प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए विज्ञापनों को अन्य उत्पादों के विज्ञापन के रूप में चित्रित किया जाता है।
लुभावने (बेट) विज्ञापनों के लिए शर्तें: इनमें ऐसे विज्ञापन शामिल होते हैं जो उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए कम कीमतों पर बिक्री के लिए उत्पादों की पेशकश करते हैं। ऐसे विज्ञापनों के लिए निम्नलिखित होना चाहिए: (i) विज्ञापित मूल्य पर उत्पाद को बेचने की एक उचित संभावना मौजूद है, (ii) विज्ञापन द्वारा उत्पन्न अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए उत्पाद की पर्याप्त आपूर्ति होनी चाहिए, और (iii) उपभोक्ताओं को उत्पाद की बाजार स्थितियों के बारे में गुमराह नहीं किया जाना चाहिए।
निशुल्क दावा करने वाले विज्ञापनों के लिए शर्तें: किसी विज्ञापन में किसी भी वस्तु या सेवा को निशुल्क नहीं बताया जाना चाहिए, अगर: (i) देय लागत में विज्ञापन या डिलीवरी की लागत के अतिरिक्त कोई भी लागत शामिल हो, और (ii) अगर गुणवत्ता या मात्रा से संबंधित शर्तें प्रस्ताव से डिलिवरी के चरण में बदल जाती हैं।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस
Shashank Srivastava (shashank@prsindia.org)
घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री के डीरेगुलेशन को मंजूरी
आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले कच्चे तेल की बिक्री के डीरेगुलेशन को मंजूरी दे दी है।[24] यह सभी एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन ऑपरेटर्स को मार्केटिंग की आजादी देने की कोशिश करता है। उत्पादन साझेदारी अनुबंधों में इस शर्त को हटा दिया जाएगा कि सरकार, या उसके नॉमिनी या सरकारी कंपनियों को ही कच्चा तेल बेचा जाए। इसके अतिरिक्त सभी एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन ऑपरेटर घरेलू बाजार में अपने फील्ड्स से कच्चा तेल बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे।
इलेक्ट्रॉनिक और आईटी
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
आईटी नियम, 2021 में ड्राफ्ट संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित
इलेक्ट्रॉनिक और इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरीज़ के लिए दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया की आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम, 2021) के ड्राफ्ट संशोधनों पर सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[25] 2021 के नियम निर्दिष्ट करते हैं कि थर्ड पार्टी कंटेंट की लायबिलिटी से छूट के लिए इंटरमीडियरीज़ को किन ड्यू डेलिजेंस का इस्तेमाल करना होगा।[26] इंटरमीडियरीज़ ऐसी एंटिटीज़ होती हैं जोकि दूसरे लोगों की तरफ से डेटा को स्टोर या ट्रांसमिट करती हैं। इनमें सोशल मीडिया साइट्स, ई-कॉमर्स कंपनियां और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स शामिल होते हैं। प्रस्तावित संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
इंटरमीडियरीज़ की बाध्यताएं: 2021 के नियमों में यह अपेक्षित है कि इंटरमीडियरी अपनी सर्विस के एक्सेस या यूसेज के लिए नियमों और रेगुलेशंस, प्राइवेसी पॉलिसी और यूज़र एग्रीमेंट को “पब्लिश” करे। यूज़र्स किस प्रकार के कंटेंट को क्रिएट, अपलोड या शेयर कर सकते हैं, नियमों में उनकी सीमाएं भी निर्दिष्ट की गई हैं। नियमों के तहत इंटरमीडियरीज़ के लिए यह जरूरी है कि वे अपने यूज़र्स को इन सीमाओं के बारे में “सूचित करें”। प्रस्तावित संशोधनों में इंटरमीडियरीज़ की बाध्यताओं को व्यापक बनाने का प्रयास किया गया है। इसमें निम्नलिखित शामिल है: (i) नियमों और रेगुलेशंस, प्राइवेसी पॉलिसी और यूज़र एग्रीमेंट के साथ "अनुपालन सुनिश्चित करना", और (ii) "यूज़र्स” को प्रतिबंधित कंटेंट को क्रिएट, अपलोड या शेयर न करने के लिए “प्रेरित करना"।
शिकायत अधिकारियों के फैसलों के खिलाफ अपील की व्यवस्था: 2021 के नियमों में इंटरमीडियरीज़ से यह अपेक्षित है कि वे नियमों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों को दूर करने के लिए शिकायत अधिकारी को निर्दिष्ट करें। ड्राफ्ट संशोधनों में अपील के लिए एक व्यवस्था का प्रस्ताव रखा गया है। शिकायत अधिकारियों के फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार एक शिकायत अपीलीय कमिटी बनाएगी। इस कमिटी में एक चेयरपर्सन और अन्य सदस्य होंगे जिन्हें केंद्र सरकार एक अधिसूचना के जरिए नियुक्त करेगी। अपील की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर कमिटी को उसका निस्तारण करना होगा।
प्रतिबंधित कंटेट को तुरंत हटाना: 2021 के नियमों में इंटरमीडियरीज़ से यह अपेक्षा की गई है कि वे नियमों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों को 24 घंटे के भीतर स्वीकार करेंगे और 15 दिनों के भीतर उनका निस्तारण करेंगे। प्रस्तावित संशोधनों में कहा गया है कि प्रतिबंधित कंटेंट को हटाने से संबंधित शिकायत को 72 घंटे में दूर किया जाना चाहिए।
टिप्पणियां 6 जुलाई, 2022 तक आमं त्रित हैं।
अंतरिक्ष
Saket Surya (saket@prsindia.org)
कैबिनेट ने एनएसआईएल को सेटेलाइट्स के हस्तांतरण और उसकी अधिकृत शेयर पूंजी में वृद्धि को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) से संबंधित निम्नलिखित प्रस्तावों को मंजूरी दी: (i) सरकार से कंपनी को 10 इन-ऑरबिट कम्यूनिकेशन सेटेलाइट्स के स्वामित्व का हस्तांतरण, (ii) इसकी अधिकृत शेयर पूंजी को 1,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7,500 करोड़ रुपए करना।[27] एनएसआईएल मार्च 2019 में स्थापित अंतरिक्ष विभाग के तहत एक पूर्ण स्वामित्व वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। एनएसआईएल के कार्यों में एंड-टू-एंड कमर्शियल अंतरिक्ष गतिविधियां और एक पूर्ण सेटेलाइट ऑपरेटर के रूप में कार्य करना शामिल है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग
कारों की क्रैश सुरक्षा का आकलन करने के लिए भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम जारी किया गया
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ड्राफ्ट केंद्रीय मोटर वाहन (संशोधन) नियम, 2022 जारी किया।[28] ड्राफ्ट नियम मोटर वाहन एक्ट, 1988 के तहत प्रकाशित किए गए हैं और केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन करने का प्रयास करते हैं।[29] ड्राफ्ट नियम कारों के क्रैश सेफ्टी परफॉर्मेंस का आकलन करने के लिए भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (बीएनसीएपी) की शुरुआत करने का प्रयास करते हैं।[30]
इस योजना के तहत 3.5 टन तक वजन और अधिकतम आठ यात्रियों (चालक को छोड़कर) वाली कारों का आकलन किया जाएगा। कारों का निर्माण देश में किया जा सकता है या उन्हें आयात किया जा सकता है।
मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त टेस्टिंग एजेंसियां, जिनके पास टेस्टिंग का बुनियादी ढांचा, कुशल कार्यबल और सिद्ध टेस्टिंग रिकॉर्ड हैं, उन्हें कारों का आकलन करने और स्टार रेटिंग प्रदान करने के लिए अधिकृत किया जाएगा।29 तीन क्षेत्रों में कार के प्रदर्शन के आधार पर स्टार रेटिंग प्रदान की जाएगी: (i) वयस्क सवार की सुरक्षा, (ii) बाल सवार की सुरक्षा, और (iii) सुरक्षा सहायता तकनीक। बीएनसीएपी एक स्वैच्छिक कार्यक्रम होगा जिसकी निगरानी बीएनसीएपी अथॉरिटी द्वारा की जाएगी। ड्राफ्ट नियमों को 1 अप्रैल, 2023 से लागू करने का प्रस्ताव है। ड्राफ्ट नियमों के अनुसार, कार मैन्यूफैक्चरर स्टार रेटिंग के लिए बीएनसीएपी अथॉरिटी को आवेदन भेज सकता है। टेस्टिंग एजेंसी तब टेस्ट करेगी, और बीएनसीएपी अथॉरिटी एक निर्दिष्ट पोर्टल पर उसका परिणाम प्रकाशित करेगी।
ड्राफ्ट नियमों पर टिप्पणियां 23 अगस्त, 2022 तक आमंत्रित हैं।
सड़क क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर स्टैंडिंग कमिटी ने रिपोर्ट सौंपी
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री. टी. जी. व्यंकटेश) ने ‘सड़क क्षेत्र से संबंधित मुद्दे’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[31] कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
चालू परियोजनाओं में विलंब: कमिटी ने कहा कि आंध्र प्रदेश, बिहार, तेलंगाना और महाराष्ट्र में चालू राा पोर्ट सौंपीै। ूरी दी मंडूष्ट्रीय राजमार्ग प्रॉजेक्ट्स में कई कारणों से विलंब हुआ है। इनमें निर्माण-पूर्व गतिविधियों को पूरा करना, जलवायु की स्थिति और ठेकेदारों के एकजुट होने की क्षमता शामिल है। कमिटी ने परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने का सुझाव दिया। एक बार परियोजना पूरी हो जाने के बाद, कैमरों का उपयोग यातायात की आवाजाही पर नजर रखने के लिए किया जा सकता है।
सड़कों का रखरखाव और क्वालिटी: कमिटी ने गौर किया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क निर्माण की क्वालिटी खराब है। उसने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव और मरम्मत को अधिक प्राथमिकता देने के साथ-साथ उसके लिए उच्च बजटीय आबंटन सुनिश्चित करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि सड़क की क्वालिटी के लिए निर्धारित विनिर्देशों और मानकों की लापरवाही के मामलों में व्यक्तियों पर गंभीर वित्तीय दंड लगाया जाए।
सड़क सुरक्षा: विश्व बैंक (2021) के अनुसार भारत सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर है। कमिटी ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सभी घातक दुर्घटनाओं से संबंधित विवरण वाला एक डेटाबेस बनाया जाए। सड़क और वाहन इंजीनियरिंग में संभावित दोषों के पैटर्न की पहचान के लिए विवरण का विश्लेषण किया जा सकता है। मंत्रालय सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों के समन्वय से रणनीति तैयार कर सकता है। इसके अतिरिक्त कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह कमर्शियल ड्राइवर्स के लिए प्रतिदिन ड्राइविंग घंटे को सीमित करने हेतु दिशानिर्देश जारी करे।
राष्ट्रीय राजमार्गों के इस्तेमाल पर फीस जमा करने के नियमों में संशोधन
Shubham Dutt (shubham@prsindia.org)
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 में संशोधन किया है।[32] नियम केंद्र सरकार को राष्ट्रीय राजमार्गों, स्थायी पुलों, बाईपास और सुरंगों के उपयोग के लिए शुल्क एकत्र करने का अधिकार देते हैं।[33] भारत में आम तौर पर ओपन सिस्टम के तहत टोल लगाया जाता है। ओपन सिस्टम में किसी प्रॉजेक्ट के तहत आने वाली सड़क की लंबाई (आमतौर पर 60 किमी) के आधार पर उपयोगकर्ता शुल्क लगाया जाता है।[34] संशोधन में उन सिस्टम्स को शुरू करने का प्रावधान है जिसके तहत राष्ट्रीय राजमार्ग या एक्सप्रेसवे पर वाहन द्वारा तय की गई वास्तविक दूरी के आधार पर उपयोगकर्ता शुल्क लगाया जाता है (जिसे क्लोस्ड यूजर फी कलेक्शन सिस्टम कहा जाता है)।
रेलवे
रेलवे टेक्नोलॉजी में स्टार्टअप को बढ़ावा देने की नीति की घोषणा
Saket Surya (saket@prsindia.org)
रेलवे मंत्रालय ने भारतीय रेलवे इनोवेशन नीति की घोषणा की है।[35] यह नीति रेलवे तकनीक में इनोवेशन और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने का प्रयास करती है। 11 निर्दिष्ट समस्याग्रस्त क्षेत्रों में चुनींदा स्टार्टअप्स को 1.5 करोड़ रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) रेल डिटेक्शन सिस्टम का खराब होना, (ii) ट्रैक इंस्पेक्शन की गतिविधियों का ऑटोमेशन, (iii) हल्के वजन वाले वैगन का विकास, (iv) पैसेंजर सेवाओं में सुधार के लिए एनालिटिकल टूल्स और (v) ब्रिज इंस्पेक्शन के लिए जियोग्राफिकल डेटा का इस्तेमाल। सफल प्रोटोटाइप की तैनाती बढ़ाने के लिए अधिक धनराशि प्रदान की जाएगी। स्टार्टअप के पास बौद्धिक संपदा अधिकार रहेगा।
रेलवे सुरक्षा आयोग पर स्टैंडिंग कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी
Shashank Srivastava (shashank@prsindia.org)
परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री. टी. जी. व्यंकटेश) ने “रेलवे सुरक्षा आयोग” पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[36] रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। यह रेल यात्रा और ट्रेन संचालन की सुरक्षा से संबंधित मामलों पर काम करता है और रेलवे एक्ट, 1989 में निर्धारित कुछ वैधानिक कार्यों के लिए जिम्मेदार है। इन कार्यों में यह सुनिश्चित करना शामिल है कि कोई भी नई रेलवे लाइन रेल मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानक और विनिर्देशों के अनुरूप है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
विभिन्न मंत्रालयों की भूमिका: कमिटी ने पाया कि जहां सीआरएस नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है, वहीं रेलवे सुरक्षा आयुक्तों की भर्ती रेल मंत्रालय द्वारा की जाती है। कमिटी ने कहा कि इन दोनों मंत्रालयों के शामिल होने से सीआरएस के कमांड स्ट्रक्चर में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। कमिटी ने सीआरएस को दोनों मंत्रालयों के अनुचित प्रभाव से मुक्त करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि आयोग को एक स्वायत्त वैधानिक निकाय बनाया जाना चाहिए और प्रशासनिक, इस्टैबलिशमेंट और वित्तीय मुद्दों के संबंध में उसकी स्वतंत्र टेक्निकल मैनपावर और स्वायत्तता होनी चाहिए।
नियमों और रेगुलेशंस में बदलाव: कमिटी ने कहा कि रेल मंत्रालय सीआरएस से परामर्श किए बिना नियमों, कोड और मैनुअल में एकतरफा बदलाव ला सकता है। उसने सुझाव दिया कि रेल मंत्रालय कोई भी बदलाव करने से पहले नागरिक उड्डयन मंत्रालय और सीआरएस की सहमति ले। उसने सुझाव दिया कि रेलवे एक्ट, 1989 के प्रावधानों में संशोधन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया की पूरी समीक्षा की जाए।
डेप्युटी सीआरएस: कमिटी ने कहा कि सीआरएस के डिप्टी कमीश्नर रेल मंत्रालय से डेप्युटेशन के आधार पर आते हैं। डेप्युटी कमीश्नर आयोग में सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक है। कमिटी ने सुझाव दिया कि पूर्ण स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए डिप्टी सीआरएस को एब्जॉर्बशन के आधार पर नियुक्त किया जाना चाहिए।
शिपिंग
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
बंदरगाहों पर कनेक्टिविटी और टूरिस्ट टर्मिनल फेसिलिटीज़ पर रिपोर्ट सौंपी गई
परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री. टी. जी. व्यंकटेश) ने “बंदरगाहों पर कनेक्टिविटी और टूरिस्ट टर्मिनल फेसिलिटी” पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[37] कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सागरमाला के तहत परियोजनाएं: सागरमाला कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के तटीय जलमार्गों का लाभ उठाकर आर्थिक विकास में तेजी लाना है। यह लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने और निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार करने का प्रयास करता है। कमिटी ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत अब तक केवल 25% परियोजनाओं को ही पूरा किया जा सका है। उसने कार्यक्रम में तेजी लाने का सुझाव दिया और परियोजना में देरी के कारणों के बारे में विवरण मांगा।
कनेक्टिविटी प्रॉजेक्ट्स: कमिटी ने कहा कि बंदरगाह, रेल और सड़क कनेक्टिविटी प्रॉजेक्ट्स के तहत काम की गति धीमी रही है। कमिटी ने कहा कि सड़कों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और रेलवे की इंटरकनेक्टिविटी को शुरुआत से ही इंफ्रास्ट्रक्चर योजना प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए। कमिटी ने कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में इन घटकों को जोड़ने का सुझाव दिया।
क्रूज पर्यटन: कमिटी ने कहा कि भारत में क्रूज टूरिज्म अपने शुरुआती चरण में है और इसकी पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय के ठोस प्रयासों की जरूरत है। उसने सुझाव दिया कि दोनों मंत्रालयों को गंगा और ब्रह्मपुत्र के अतिरिक्त दूसरी नदियों पर नदी पर्यटन को बढ़ावा देने की व्यावहारिकता की जांच करनी चाहिए।
कमिटी ने कहा कि कोविड-19 के कारण क्रूज पर्यटन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। उसने सुझाव दिया कि बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय को इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के उपाय करने चाहिए।
बिजली
Saket Surya (saket@prsindia.org)
डिस्कॉम्स द्वारा भुगतान में देरी को रेगुलेट करने के लिए नियम अधिसूचित
ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली (विलंब भुगतान अधिभार और संबंधित मामले) नियम, 2022 को अधिसूचित किया है।[38] नियम वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) द्वारा उत्पादन कंपनियों, अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन लाइसेंसधारियों और ट्रेडिंग लाइसेंसधारियों को भुगतान पर लागू होंगे। नियमों को बिजली एक्ट, 2003 के तहत अधिसूचित किया गया है। एक्ट भारत में बिजली क्षेत्र को नियंत्रित करता है। नियमों की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
विलंबित भुगतान अधिभार (सरचार्ज): ओवरड्यू भुगतानों पर विलंबित भुगतान अधिभार के रूप में अतिरिक्त शुल्क लगेगा। डिफॉल्ट के पहले महीने के लिए सरचार्ज की दर एक साल के कार्यकाल के लिए भारतीय स्टेट बैंक की एमसीएलआर दर से 5% अधिक होगी। एमसीएलआर दर वह न्यूनतम ब्याज दर है जिस पर बैंक उधार देता है। विलंब जारी रहने पर हर महीने सरचार्ज की दर 0.5% बढ़ जाएगी जोकि पहले महीने के डिफॉल्ट की दर से सिर्फ 3% अधिक ही हो सकती है। डिस्कॉम द्वारा किए गए सभी भुगतानों को पहले विलंबित भुगतान अधिभार और उसके बाद अन्य बकाया राशि में समायोजित किया जाएगा।
बकाये को मासिक किश्तों में परिवर्तित किया जाएगा: नियमों की अधिसूचना की तारीख तक बकाया देय राशि के लिए नियत तारीख फिर से निर्धारित की जाएगी। डिस्कॉम को मासिक किश्तों में बकाया भुगतान करने की अनुमति होगी। इस विकल्प का लाभ उठाने के लिए, डिस्कॉम को नियमों की अधिसूचना के 30 दिनों के भीतर उन संस्थाओं को सूचित करना होगा, जिन पर उसका बकाया है। किश्तों की अधिकतम संख्या 48 होगी (बकाया राशि के अधीन)।
भुगतान सुरक्षा तंत्र: डिस्कॉम को एक पर्याप्त भुगतान सुरक्षा तंत्र (साख पत्र के माध्यम से) बनाए रखने की आवश्यकता होती है। साख पत्र के तहत, एक बैंक गारंटी देता है कि भुगतान एक पक्ष को किया जाएगा। किसी डिस्कॉम को बिजली की आपूर्ति तभी की जाएगी जब भुगतान सुरक्षा प्रदान की जाती है या अग्रिम भुगतान किया जाता है। बकाया का भुगतान जारी न रखने की स्थिति में, नियमों के तहत निर्दिष्ट तंत्र के अनुसार वितरण कंपनियों को आपूर्ति धीरे-धीरे कम कर दी जाएगी।
अक्षय ऊर्जा के ओपन एक्सेस को रेगुलेट करने हेतु नियम अधिसूचित
ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली (हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस के माध्यम से अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा) नियम, 2022 को अधिसूचित किया है।[39] नियम अक्षय ऊर्जा (सौर, पवन, जल और अपशिष्ट-से-ऊर्जा सहित स्रोतों से) के ओपन एक्सेस हेतु एक फ्रेमवर्क का प्रस्ताव करते हैं। ओपन एक्सेस का अर्थ है उपभोक्ता को अपनी पसंद की वितरण कंपनी से बिजली खरीदने की अनुमति देना। इस फ्रेमवर्क के तहत केवल 100 किलोवाट और उससे अधिक की मांग या स्वीकृत भार वाले उपभोक्ता ही पात्र होंगे। नियमों को बिजली एक्ट, 2003 के तहत अधिसूचित किया गया है, जो देश में बिजली क्षेत्र को रेगुलेट करता है। नियमों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
ओपन एक्सेस प्रदान करने की प्रक्रिया: एक केंद्रीय एजेंसी की स्थापना की जाएगी, जो अक्षय ऊर्जा के ओपन एक्सेस के लिए आवेदनों की प्रोसेसिंग का सिंगल-विंडो सिस्टम चलाएगी। राज्य रेगुलेटरी आयोग अपने-अपने क्षेत्राधिकार में इन आवेदनों की प्रोसेसिंग के लिए नोडल एजेंसियों को सूचित करेंगे। आवेदन पर 15 दिनों के भीतर कार्रवाई की जाएगी। प्रवेश के लिए न्यूनतम अवधि एक वर्ष होगी।
शुल्क: संबंधित राज्य रेगुलेटरी आयोग ओपन एक्सेस के लिए अलग टैरिफ निर्धारित करेंगे, जिसमें क्रॉस-सब्सिडी सरचार्ज शामिल हो सकता है। वितरण कंपनी की आपूर्ति के क्षेत्र में क्रॉस-सब्सिडी के मौजूदा स्तर के संरक्षण के लिए क्रॉस-सब्सिडी सरचार्ज लगाया जाता है। क्रॉस-सब्सिडी उस टैरिफ संरचना को कहते हैं जहां उपभोक्ताओं का एक समूह उपभोक्ताओं के दूसरे समूह की आपूर्ति की लागत को कवर करने के लिए अपेक्षाकृत अधिक शुल्क का भुगतान करता है। यह सरचार्ज केंद्र सरकार की टैरिफ नीति के अनुसार होगा। यह निम्नलिखित मामलों में लागू नहीं होगा: (i) अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्रों तक ओपन एक्सेस, और (ii) हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के उत्पादन के लिए ओपन एक्सेस। नियमों में यह भी निर्दिष्ट किया गया है कि एक निश्चित अवधि में क्रॉस-सब्सिडी सरचार्ज में किस हद तक वृद्धि की जा सकती है। इस संबंध में कुछ सीमाएं भी निर्दिष्ट की गई हैं।
मांग का प्रबंधन: नियम कुछ प्रतिबंध लगाने की अनुमति देते हैं जैसे कि न्यूनतम समय के ब्लॉक्स जिसके लिए खपत की मात्रा को बदला नहीं जा सकता है। यह वितरण कंपनी की मांग में बहुत अधिक भिन्नता से बचने के लिए है।
स्वास्थ्य
mRNA कोविड-19 वैक्सीन, जेमकोवैक को इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन मिला
Shashank Srivastava (shashank@prsindia.org)
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने वयस्कों में प्रतिबंधित उपयोग के लिए जेमकोवैक को इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन दे दिया है।[40] जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स द्वारा विकसित जेमकोवैक, भारत की पहली स्वदेशी mRNA कोविड-19 वैक्सीन है।
इसके अतिरिक्त, नौ कोविड-19 वैक्सीन्स को भारत में इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन दिया गया है। ये हैं: (i) कोविशील्ड, (ii) कोवैक्सीन, (iii) स्पुतनिक-V, (iv) mRNA-1273 (मॉडर्ना वैक्सीन), (v) जेनसेन, (vi) जायकोवि-ड, (vii) कोवोवैक्स, (viii) कोरबेवैक्स, और (ix) स्पुतनिक लाइट।[41],[42],[43],[44],[45],[46] ये वैक्सीन्स 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को दी जा सकती हैं। कोवैक्सीन और कोरबेवैक्स 12-18 वर्ष की आयु के बच्चों को भी दी जा सकती हैं।[47]
असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी नियम अधिसूचित
Rakshita Goyal (rakshita@prsindia.org)
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी नियम, 2022 को अधिसूचित किया है।[48] नियमों को असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) एक्ट, 2021 के तहत अधिसूचित किया गया है।[49] 2021 का एक्ट देश में असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी सेवाओं के रेगुलेशन का प्रावधान करने का प्रयास करता है। एक्ट के अनुसार, एआरटी में ऐसी सभी तकनीक शामिल हैं जिनमें मानव शरीर के बाहर स्पर्म या ओसाइट (अपरिपक्व एग सेल) को रखकर किसी महिला की प्रजनन प्रणाली में गैमेट या भ्रूण को प्रत्यारोपित करके गर्भावस्था हासिल की जाती है। इसके उदाहरणों में गैमेट डोनेशन, इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन और जेस्टेशनल सेरोगेसी शामिल हैं। एआरटी सेवाएं एआरटी क्लिनिक और एआरटी के जरिए प्रदान की जाती हैं। एआरटी क्लिनिक एआरटी संबंधी इलाज और प्रक्रियाएं करते हैं।49 एआरटी बैंक गैमेट्स को स्टोर और सप्लाई करते हैं।49 एक्ट के अंतर्गत हर एआरटी क्लिनिक औऱ बैंक को राष्ट्रीय असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी और सरोगेसी रजिस्ट्री में पंजीकृत होना चाहिए।49
2022 के नियमों की मुख्य विशेषताएं हैं:
क्लिनिक्स के दो स्तर: (i) स्तर 1 एआरटी क्लिनिक, जहां शुरुआती जांच और इन्ट्रयूटरिन इन्सेमनैशन प्रक्रियाएं (जिसमें फर्टिलाइजेशन के लिए स्पर्म सीधा यूट्रेस में रखा जाता है) की जा सकती हैं, और (ii) स्तर 2 एआरटी क्लिनिक, जहां सभी प्रकार की जांच और डायग्नॉस्टिक और थेराप्यूटिक प्रक्रिया की जा सकती हैं। इसमें इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन जैसी उन्नत प्रक्रियाएं शामिल हैं जिसमें मानव शरीर के बाहर ओसाइट को स्पर्म के साथ कंबाइन किया जाता है।
एआरटी बैंक्स और क्लिनिक्स की जिम्मेदारियां: नियमों में एआरटी बैंक्स और क्लिनिक्स की जिम्मेदारियों को निर्दिष्ट किया गया है। एआरटी बैंक्स की जिम्मेदारियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सीमन डोनर्स और ओसाइट डोनर्स की स्क्रीनिंग, कलेक्शन और पंजीकरण, (ii) स्पर्म का क्रायोप्रिजर्वेशन, और (iii) सभी डोनर्स के रिकॉर्ड्स को मेनटेन करना। उन्हें राष्ट्रीय रजिस्ट्री में इन सूचनाओं को नियमित रूप से अपडेट करना चाहिए।
एआरटी क्लिनिक्स की जिम्मेदारियों में निम्नलिखित सुनिश्चित करना शामिल है: (i) उपयोग न होने वाले सभी गैमेट्स या एंब्रेयो को संरक्षित रखा जाए और उसी प्राप्तकर्ता के लिए इस्तेमाल किया जाए, न कि किसी अन्य कपल के लिए, (ii) उन एंब्रेयोज़ को इंप्लांट करने से पहले उनकी जेनेटिक टेस्टिंग की गई है जिन्हें पहले से कोई हेरिटेबल या जेनेटिक बीमारी है या जब उसका मेडिकल संकेत मिल गया हो, (iii) इंप्लांटेशन से पहले सेक्स सिलेक्शन के उद्देश्य से या भावी माता-पिता की व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के चलते विशेष लक्षणों के चयन के लिए कोई जेनेटिक टेस्टिंग नहीं की गई है, (iv) नियमों के अनुसार भावी माता-पिता से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करा लिए गए हैं, और (v) कमीशनिंग कपल/महिला ने ओसाइट डोनर के लिए 12 महीने की अवधि हेतु बीमा कवरेज खरीदा है।
सेरोगेसी को रेगुलेट करने के लिए नियम अधिसूचित
Rakshita Goyal (rakshita@prsindia.org)
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सेरोगेसी (रेगुलेशन) नियम, 2022 को अधिसूचित किया है।[50] नियमों को सेरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 के तहत अधिसूचित किया गया है।[51] एक्ट सेरोगेसी को ऐसी पद्धति के रूप परिभाषित करता है जिसमें एक महिला किसी इच्छुक कपल/महिला के लिए बच्चे को जन्म देती है और उसके बाद बच्चे को उन्हें सौंपने को राजी होती है।49 इच्छुक कपल वह होता है जिसके पास सेरोगेसी की जरूरत का मेडिकल इंडिकेशन (संकेत) होता है।49 इच्छुक महिला (उसे भारतीय, और विधवा या तलाकशुदा होना चाहिए और उसकी आयु 35 से 45 वर्ष के बीच होनी चाहिए) भी सेरोगेसी को कमीशन करा सकती है।49
2022 के नियमों की मुख्य विशेषताएं हैं:
सेरोगेसी की जरूरत बताने वाला मेडिकल इंडिकेशन: एक महिला सेरोगेसी का विकल्प चुन सकती है, अगर: (i) उसका यूट्रेस नहीं है, उसका यूट्रेस मिसिंग है, उसका यूट्रेस असामान्य है या अगर मेडिकल स्थिति की वजह से उसका यूट्रेस सर्जिकली निकाला जा चुका है, (ii) अगर कपल/महिला इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन या इंट्रासाइटोप्लाजमिक स्पर्म इंजेक्शन (जब स्पर्म को सीधे एग में इंजेक्ट किया जाता है) के लिए कई बार कोशिश करने के बावजूद गर्भधारण नहीं कर पाए हैं, (iii) महिला को अस्पष्ट मेडिकल कारण या इम्यून रिस्पांस के चलते अस्पष्ट ग्राफ्ट रिजेक्शन के परिणामस्वरूप कई बार प्रेग्नेंसी का नुकसान हो चुका है, (iv) जब प्रेग्नेंसी से जान को जोखिम हो, या (v) महिला को कोई ऐसी बीमारी हो कि प्रेग्नेंसी को व्य़ावहारिकता तक ले जाना संभव न हो।
सेरोगेसी प्रक्रिया के तौर-तरीके: नियमों के अनुसार, सरोगेट माता पर सेरोगेसी प्रक्रिया की कोशिश तीन बार से अधिक नहीं की जाएगी। इसके अतिरिक्त गायनाकोलॉजिस्ट विशेषज्ञ उपचार चक्र के दौरान सरोगेट माता के यूट्रेस में सिर्फ एक एंब्रेयो को ट्रांसफर करेगा। विशेष परिस्थितियों में गायनाकोलॉजिस्ट तीन एंब्रेयो को ट्रांसफर कर सकता है।
कर्मचारी: हर सेरोगेसी क्लिनिक में कम से कम गायनाकोलॉजिस्ट, एक एनाथीसिस्ट, एक एंब्रेयोलॉजिस्ट और एक काउंसिलर होगा। गायनाकोलॉजिस्ट को गायनाकोलॉजी और अब्स्टेट्रीक्स में मेडिकल पोस्ट-ग्रैजुएट होना चाहिए और (i) उसका 50 ओवम (मैच्योर एग) रीट्रिवल प्रोसेस करने का रिकॉर्ड होना चाहिए, और (ii) उसे असिस्टेंट रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी क्लिनिक में तीन साल काम करने का अनुभव होना चाहिए।
बीमा: इच्छुक महिला या कपल को सेरोगेट माता के लिए 36 महीने की अवधि के लिए जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज खरीदना होगा। इस बीमा कवर में प्रेग्नेंसी और प्रसव बाद की समस्याओं का खर्चा पर्याप्त रूप से कवर होना चाहिए।
कृषि
Shashank Srivastava (shashank@prsindia.org)
कैबिनेट ने 2022-23 की खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों को मंजूरी दी
आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने 2022-23 के मार्केटिंग सीजन में खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) को मंजूरी दे दी है।[52] धान के लिए एमएसपी 2,040 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है जिसमें पिछले वर्ष की एमएसपी (1,940 रुपए प्रति क्विंटल) की तुलना में 5.2% की वृद्धि है। तालिका 4 में 2021-22 की एमएसपी की तुलना में 2022-23 के मार्केटिंग सीजन के लिए अधिसूचित एमएसपी को प्रदर्शित किया गया है।
तालिका 4: 2022-23 मौसम की खरीफ फसलों के लिए मंजूर एमएसपी (रुपए प्रति क्विंटल)
फसल |
2021-22 |
2022-23 |
परिवर्तन (%) |
|
|
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धान (सामान्य) |
1,940 |
2,040 |
5.2% |
|
धान (ग्रेड ए) |
1,960 |
2,060 |
5.1% |
|
ज्वार (संकर) |
2,738 |
2,970 |
8.5% |
|
ज्वार (मालदंडी) |
2,758 |
2,990 |
8.4% |
|
बाजरा |
2,250 |
2,350 |
4.4% |
|
रागी |
3,377 |
3,578 |
6.0% |
|
मक्का |
1,870 |
1,962 |
4.9% |
|
तूर (अरहर) |
6,300 |
6,600 |
4.8% |
|
मूंग |
7,275 |
7,755 |
6.6% |
|
उड़द |
6,300 |
6,600 |
4.8% |
|
मूंगफली |
5,550 |
5,850 |
5.4% |
|
सूरजमुखी के बीज |
6,015 |
6,400 |
6.4% |
|
सोयाबीन (पीला) |
3,950 |
4,300 |
8.9% |
|
तिल |
7,307 |
7,830 |
7.2% |
|
नाइजर सीड |
6,930 |
7,287 |
5.2% |
|
कपास (मध्यम रेशा) |
5,726 |
6,080 |
6.2% |
|
कपास (लंबा रेशा) |
6,025 |
6,380 |
5.9% |
|
स्रोत: प्रेस सूचना ब्यूरो; पीआरएस।
नागरिक उड्डयन
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
राष्ट्रीय एयर स्पोर्ट्स नीति जारी
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने राष्ट्रीय एयर स्पोर्ट्स नीति, 2022 जारी की है।[53] ड्राफ्ट नीति जनवरी 2022 में जारी की गई थी।[54] एयर स्पोर्ट्स यानी हवाई खेलों में हवा में खेले जाने वाले कई खेल आते हैं, जैसे पैराशूटिंग और हैंड ग्लाइडिंग। इस नीति में 11 एयर स्पोर्ट्स शामिल हैं।
इस नीति का लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत को शीर्ष एयर स्पोर्ट्स देशों में से एक बनाना है। इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं: (i) एयर स्पोर्ट्स के सभी पक्षों (सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, परिचालन, रखरखाव और प्रशिक्षण) में सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय पद्धतियों को अपनाना, (ii) विश्वव्यापी वायु खेल आयोजनों में भारतीय खिलाड़ियों की भागीदारिता बढ़ाना और उन्हें सफल बनाना, और (iii) भारत में एयर स्पोर्ट्स के उपकरणों के डिजाइन, विकास और मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना। नीति की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
गवर्नेंस का ढांचा: इस नीति में भारत में गवर्नेंस के चार स्तरीय ढांचे का प्रस्ताव है: (i) भारतीय एयर स्पोर्ट्स परिसंघ (एएसएफआई) (एपेक्स गवर्निंग बॉडी), (ii) एक हवाई खेल या कई हवाई खेलों के लिए राष्ट्रीय संगठन, (iii) क्षेत्रीय या राज्य स्तरीय हवाई खेल संगठन, और (iv) जिला स्तरीय हवाई खेल संगठन।
एएसएफआई नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत एपेक्स गवर्निंग बॉडी होगी और यह एयर स्पोर्ट्स के सभी पहलुओं का प्रबंधन करेगी, जैसे रेगुलेशन, सर्टिफिकेशन और सजा। इसकी अध्यक्षता नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव द्वारा की जाएगी।
राष्ट्रीय हवाई खेल संघ रेगुलेटरी निरीक्षण तथा अपने संबंधित खेलों के सुरक्षित, किफायती और टिकाऊ संचालन के लिए एएसएफआई के प्रति जवाबदेह होंगे। हर एयर स्पोर्ट्स संगठन अपना अध्यक्ष, सचिव और ट्रेजरार चुनेगा। हर एयर स्पोर्ट्स संगठन को निम्नलिखित करना होगा: (i) विश्वस्तरीय सर्वोत्तम पद्धतियों के अनुसार उपकरणों, इंफ्रास्ट्रक्चर, कार्मिक और प्रशिक्षण आदि के सुरक्षात्मक मानकों को निर्धारित करना, (ii) प्रतिकूल परिस्थितियों में बीमा और क्षतिपूर्ति के लिए नियम निर्धारित करना, और (iii) ऐच्छिक गैर अनुपालन के मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई निर्दिष्ट करना।
सुरक्षा: ड्राफ्ट नियम में कहा गया है कि एयर स्पोर्ट्स से जुड़ा कोई व्यक्ति या एंटिटी मानवयुक्त हवाई जहाज के रास्ते में अवरोध पैदा नहीं करेगा। इसके अतिरिक्त किसी हवाई खेल दुर्घटना की स्थिति में, उस संबंधित खेल से जुड़े संगठन और एएसएफआई को लिखित में उस घटना की जानकारी 48 घंटे के भीतर देनी होगी। अगर दुर्घटना से जुड़े व्यक्ति या एंटिटी ऐसा नहीं करते, तो उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
[1] Monetary Policy Statement, 2022-23 Resolution of the Monetary Policy Committee (MPC) June 6-8, 2022, Reserve Bank of India, June 8, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR3336416D60D22514022BC8C197A992D837C.PDF.
[2] Monetary Policy Statement 2022-23, Resolution of the Monetary Policy Committee (MPC) April 6-8, 2022, Reserve Bank of India, April 8, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR3863D6040CE9CF4DE0AC9F6AF94F522C03.PDF.
[3] Developments in India’s Balance of Payments during the Fourth Quarter (January-March) of 2021-22, Reserve Bank of India, June 22, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR408BOPB28AF96F2F5C44DFBEE0D855A06DAEC4.PDF.
[4] Developments in India’s Balance of Payments during the Fourth Quarter (January-March) of 2020-21, Reserve Bank of India, June 30, 2021, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR4547652C1896054431A94C73B0DF2637EC8.PDF.
[5] “In a transformative reform, Cabinet clears ‘AGNIPATH’ scheme for recruitment of youth in the Armed Forces”, Press Information Bureau, Union Cabinet, June 14, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1833765.
[6] “Extension of Entry Age: Agnipath Scheme”, Press Information Bureau, Ministry of Defence, June 17, 2022, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1834658.
[7] “Agnipath - Raksha Mantri Shri Rajnath Singh approves 10% reservation of jobs for Agniveers in Indian Coast Guard, Defence Civilian posts & 16 DPSUs, Press Information Bureau, Ministry of Defence, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1835048.
[8] CG-DL-E-06062022-236355, Ministry of Defence, June 6, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236355.pdf.
[9] CG-DL-E-06062022-236354, Ministry of Defence, June 6, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236354.pdf.
[10] CG-DL-E-06062022-236353, Ministry of Defence, June 6, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236353.pdf.
[11] REGD. NO. D. L.-33004/99, Ministry of Defence, December 28, 2019, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2019/214956.pdf.
[12] Statement on Developmental and Regulatory Policies, Reserve Bank of India, June 8, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR334FA21FB99132C4AD0BF67B8F3933BCEC3.PDF.
[13] Individual Housing loans – Enhancement in limits, Reserve Bank of India, June 8, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/68UCBHOUSINGLOANDE90654D2B0844A58C0C638E70B9008A.PDF.
[14] Enhancement in Individual Housing Loan limits and credit to Commercial Real Estate - Residential Housing (CRE-RH), Reserve Bank of India, June 8, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/67RCBCRERH6CC4B8D3644744EA8773889B8AA67615.PDF.
[15] Report of the Regulations Review Authority (RRA 2.0), Reserve Bank of India, June 13, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR360RRA5163A77799924D18A962B0648D42C64B.PDF.
[16] Report of the Regulations Review Authority 2.0, Reserve Bank of India, June 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs//PublicationReport/Pdfs/RRA20REPORT47A9026067B741129B2148CF0FC0D3C1.PDF.
[17] “Cabinet approves Auction of IMT/5G Spectrum”, Press Information Bureau, Union Cabinet, June 15, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1834126.
[18] “Design-led manufacturing under Production Linked Incentive (PLI) Scheme for Promoting Telecom and Networking Products Manufacturing in India”, Press Information Bureau, Ministry of Communications, June 20, 2022,
[19] “Amendments in Guidelines for Production Linked Incentive (PLI) Scheme for Promoting Telecom & Networking Products Manufacturing in India”, Ministry of Communications, June 20, 2022, https://www.pli-telecom.udyamimitra.in/Default/ViewFile/?id=Amendment_file.pdf&path=MiscFiles.
[20] Report no. 172, Standing Committee on Commerce: ‘Promotion and Regulation of e-commerce in India’, Rajya Sabha, June 15, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/13/159/172_2022_6_14.pdf.
[21] Report no. 117, Standing Committee on Commerce: ‘Implementation of Districts as Export Hubs (DEHs) including One District One Product (ODOP) Initiatives’, Rajya Sabha, June 15, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/13/159/170_2022_6_14.pdf.
[22] F. No. J-25/4/2020- CCPA, Central Consumer Protection Authority, June 9, 2022, https://consumeraffairs.nic.in/sites/default/files/file-uploads/latestnews/CCPA%20Notification.pdf.
[23] The Consumer Protection Act, 2019, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2019/210422.pdf.
[24] Cabinet approves Deregulation of Sale of Domestically Produced Crude Oil, Ministry of Petroleum and Natural Gas, Press Information Bureau, June 29, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1837895.
[25] Press Note dated June 6, 2022, Ministry of Electronics and Information Technology, June 6, 2022, https://www.meity.gov.in/writereaddata/files/Press%20Note%20dated%206%20June%2022%20and%20Proposed%20draft%20amendment%20to%20IT%20Rules%202021.pdf.
[26] The Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021 under the Information Technology Act, 2000, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2021/Intermediary_Guidelines_and_Digital_Media_Ethics_Code_Rules-2021.pdf.
[27] “Cabinet approves Transfer of 10 In-orbit Communication Satellites from Government of India to M/s. New Space India Ltd. (NSIL)”, Press Information Bureau, Union Cabinet, June 8, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1832160.
[28] “CG-DL-E-24062022-236795”, Gazette of India, Ministry of Road Transport and Highways, June 24, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236795.pdf
[29] Central Motor Vehicles Rules, 1989, https://morth.nic.in/central-motor-vehicles-rules-1989-1.
[30] AIS-197: Bharat New Car Assessment Program, Ministry of Road Transport and Highways, June 26, 2022, https://morth.nic.in/sites/default/files/ASI/Draft%20AIS%20197%20.pdf.
[31] Report No. 325: ‘Issues relating to Road Sector’, Standing Committee Transport, Tourism and Culture, June 15, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/166/325_2022_6_17.pdf.
[32] The National Highways Fee (Determination of Rates and Collection) Amendment Rules, 2022, Ministry of Road Transport and Highways, June 24, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236789.pdf.
[33] The National Highways Fee (Determination of Rates and Collection) Rules, 2008, Ministry of Shipping, Road Transport and Highways, December 5, 2008, https://tis.nhai.gov.in/Admin/MiscellaneousPdf/0303201757PM35_44073.pdf.
[34] NH User Fee (Toll), Gazette Notifications, Ministry of Road Transport and Highways, last accessed on June 30, 2022, https://morth.nic.in/toll.
[35] “Shri Ashwini Vaishnaw launches Indian Railway Innovation Policy - “Startups for Railways”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, June 13, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1833561.
[36] Report no 323 on the Commission of Railway Safety, Rajya Sabha, June 15, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/166/323_2022_6_17.pdf.
[37] Report No. 327, Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, ‘Connectivity and Tourist Terminal Facilities at Ports’, Rajya Sabha, June 15, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/166/327_2022_6_17.pdf.
[38] G.S.R. 416 (E), The Gazette of India, Ministry of Power, June 3, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236266.pdf.
[39] G.S.R. 418 (E), The Gazette of India, Ministry of New and Renewable Energy, June 3, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236345.pdf.
[40] mRNA Vaccines, Gennova Biopharmaceuticals, Last accessed on June 30, 2022, https://gennova.bio/mrna-vaccines/.
[41] “Press Statement by the Drugs Controller General of India (DCGI) on Restricted Emergency approval of COVID-19 virus vaccine”, Press Information Bureau, Ministry of Health and Family Welfare, January 3, 2021.
[42] “Russia’s Sputnik V has been approved for emergency use in India, Govt. authorises foreign-produced COVID vaccines with emergency approval of WHO-listed agencies”, Press Information Bureau, Ministry of Health and Family Welfare, April 13, 2021.
[43] Twitter handle of Press Information Bureau, June 29, 2021, https://twitter.com/PIB_India/status/1409843877482098688.
[44] Twitter handle of the Minister of Health and Family Welfare, Government of India, August 7, 2021, https://twitter.com/mansukhmandviya/status/1423915409791610886?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1423915409791610886%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fpib.gov.in%2FPressReleaseIframePage.aspx%3FPRID%3D1743567.
[45] “DBT-BIRAC supported ZyCoV-D developed by Zydus Cadila Receives Emergency Use Authorization”, Press Information Bureau, Ministry of Science and Technology, August 20, 2021.
[46] Corbevax receives EUA for 12-18 age group, Biological E Limited, February 21, 2022, https://www.biologicale.com/news.html.
[47] Twitter, Bharat Biotech, December 25, 2021, https://twitter.com/BharatBiotech/status/1474786762039828480.
[48] G.S.R. 419(E), Ministry of Health and Family Welfare, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236395.pdf.
[49] The Assisted Reproductive Technology Act, 2021, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2021/232025.pdf.
[50] G.S.R. 460(E), Ministry of Health and Family Welfare, June 21, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236719.pdf.
[51] The Surrogacy (Regulation) Act, 2021, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2021/232118.pdf.
[52] “CCEA approves Minimum Support Prices (MSP) for Kharif Crops for Marketing Season 2022-23”, Ministry of Agriculture and Farmers welfare, Press Information Bureau, June 8, 2022, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1832174.
[53] National Air Sports Policy, 2022, Ministry of Civil Aviation, June 7, 2022, civilaviation.gov.in/sites/default/files/NASP%202022_7%20June%202022.pdf.
[54] Draft National Air Sports Policy 2022, Ministry of Civil Aviation, January 1, 2022, https://www.civilaviation.gov.in/sites/default/files/Draft-NASP-2022.pdf.
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