The following is a comparison of the rules regarding the transparency of MPs' private interests in India and South Africa. In India, conflict of interest amongst MPs has been debated extensively in the recent past. The primary check on preventing potential conflicts is that all MPs must declare their assets and liabilities to the concerned Speaker (Lok Sabha) or Chairman (Rajya Sabha). The Rajya Sabha Ethics Committee maintains a register of these interests (no such register exists for Lok Sabha MPs).  Details in the Register of Members' Interests include: remunerative directorship, regular remunerated activity, shareholding of controlling nature, paid consultancy, and professional engagement. This material, however, is not put in the public domain. An interesting comparison is the Parliament of South Africa, where the Register of Members Interests' (consisting of  MPs from both upper and lower house) is made public. Financial interests of MPs, remuneration from employment outside of Parliament, directorships, consultancies, property details, pensions, etc., are all made public (see latest register here).

17 मई, 2022 को कर्नाटक के राज्यपाल ने कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण अध्यादेश, 2022 जारी किया। अध्यादेश जबरन धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाता है। दिसंबर 2021 में कर्नाटक विधानसभा ने एक बिल पारित किया था जिसके प्रावधान अध्यादेश जैसे ही थे। यह बिल विधान परिषद में पेश होने के लिए लंबित है।  

इससे पहले हरियाणा (2022), मध्य प्रदेश (2021), और उत्तर प्रदेश (2021) धर्म परिवर्तन को रेगुलेट करने वाले कानून पारित कर चुके हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम कर्नाटक के अध्यादेश के मुख्य प्रावधानों पर चर्चा कर रहे हैं और अन्य राज्यों के मौजूदा कानूनों से उसकी तुलना कर रहे हैं (तालिका 2)। 

कर्नाटक का अध्यादेश किन धर्म परिवर्तनों पर प्रतिबंध लगाता है?

अध्यादेश गलत बयानी, जबरदस्तीलालचधोखाधड़ी या शादी के वादे के जरिए जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाता है। अगर कोई भी व्यक्ति, किसी अन्य व्यक्ति का गैर कानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन करता हैतो उसे दंडित किया जाएगातथा सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे। जबरन धर्म परिवर्तन करने की कोशिश पर क्या दंड दिए जा सकते हैं, उसका विवरण तालिका 1 में दिया गया है। अगर कोई संस्था (जैसे अनाथालय, वृद्धाश्रम या एनजीओ) अध्यादेश के प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो संस्था के प्रभारी व्यक्तियों को तालिका 1 में दर्ज प्रावधानों के अनुसार दंडित किया जाएगा।

तालिका 1जबरन धर्म परिवर्तन पर दंड

धर्म परिवर्तन

कैद

जुर्माना (रुपए में)

निर्दिष्ट तरीके से किसी व्यक्ति का

3-5 वर्ष

25,000

नाबालिग, महिला, एससी/एसटी, या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति का

3-10 वर्ष

50,000

दो या उससे अधिक व्यक्तियों का (सामूहिक धर्म परिवर्तन)

3-10 वर्ष

1,00,000

स्रोत: कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण अध्यादेश, 2022; पीआरएस।

व्यक्ति के पूर्व धर्म में दोबारा धर्मांतरण अध्यादेश के अंतर्गत धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। इसके अतिरिक्त सिर्फ गैर कानूनी रूप से धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से शादी करना प्रतिबंधित होगा, जब तक कि धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता। 

धर्म परिवर्तन कैसे किया जा सकता है?

अध्यादेश के अनुसार, अपने धर्म को बदलने के इच्छुक व्यक्ति से यह अपेक्षित है कि वह धर्म परिवर्तन के कार्यक्रम से पहले और उसके बाद में जिला मेजिस्ट्रेट (डीएम) को एक डेक्लरेशन भेजे। धर्म परिवर्तन से पहले का डेक्लरेशन (प्रि कन्वर्जन) दोनों पक्षों (धर्म परिवर्तन करने वाला तथा धर्म परिवर्तन कराने वाला व्यक्ति) द्वारा कम से कम 30 दिन पहले सौंपा जाना चाहिए। अध्यादेश में इस प्रक्रिया का पालन न करने पर दोनों पक्षों के लिए दंड निर्दिष्ट किया गया है।

धर्म परिवर्तन से पहले का डेक्लरेशन मिलने पर डीएम सार्वजनिक रूप से प्रस्तावित धर्म परिवर्तन को अधिसूचित करेगा और 30 दिनों की अवधि के लिए उस पर आपत्तियों को निमंत्रित करेगा। अगर सार्वजनिक आपत्ति दर्ज होती है तो डीएम धर्म परिवर्तन के कारण, उद्देश्य और वास्तविक इरादे को साबित करने के लिए जांच का आदेश देगा। अगर जांच में पता चलता है कि अपराध किया गया है तो डीएम धर्म परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति के खिलाफ क्रिमिनल कार्रवाई कर सकता है। धर्म परिवर्तन के बाद के डेक्लरेशन (धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति द्वारा) के लिए ऐसी ही प्रक्रिया निर्दिष्ट है।

उल्लेखनीय है कि विभिन्न राज्यों में से सिर्फ उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन से पहले और बाद में डेक्लरेशन की जरूरत है।

धर्म परिवर्तन के बाद भी व्यक्ति को 30 दिनों के अंदर डीएम को डेक्लरेशन (पोस्ट कन्वर्जन) देना होगा। इसके अतिरिक्त धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को डीएम के सामने अपनी पहचान और डेक्लरेशन की विषयवस्तु की पुष्टि करने के लिए हाजिर होना होगा। अगर इस दौरान कोई शिकायत प्राप्त नहीं होती तो डीएम धर्म परिवर्तन को अधिसूचित करेगा और संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना देगा (नियोक्ता, विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी, स्थानीय सरकार के निकाय और शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुख)। 

शिकायत कौन दर्ज करा सकता है?

अन्य राज्यों के कानूनों के समान, जिस व्यक्ति का धर्म परिवर्तन गैर कानूनी रूप से किया गया है, वह या उससे रक्त, विवाह या एडॉप्शन से संबंधित व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सकते हैं। हरियाणा और मध्य प्रदेश के कानूनों के तहत कुछ लोग (धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति से रक्त, एडॉप्शन, कस्टोडियनशिप या विवाह से संबंधित) अदालत की अनुमति लेने के बाद शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक का अध्यादेश सहकर्मियों (या संबंधित व्यक्तियों) को गैरकानूनी धर्म परिवर्तन के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की अनुमति देता है।  

तालिका 2धर्म परिवर्तन विरोधी कानूनों के बीच अंतरराज्यीय तुलना

*चिराग सिंघवी बनाम राजस्थान राज्य मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य में धर्म परिवर्तनों को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश दिए थे।