
अरुणाचल प्रदेश न्यायालय शुल्क बिल, 2023 को 4 सितंबर, 2023 को अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में पेश किया गया। बिल अरुणाचल प्रदेश में उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालयों को देय शुल्क को रेगुलेट करने का प्रयास करता है। वर्तमान में ये शुल्क न्यायालय शुल्क एक्ट, 1870 के तहत रेगुलेटेड हैं जो एक केंद्रीय कानून है। केंद्र सरकार ने 1870 के एक्ट को निरस्त करने का प्रस्ताव दिया है और राज्यों को निर्देश दिया है कि वे न्यायालय शुल्क पर अपने खुद के कानून बनाएं। संविधान के तहत न्यायालय शुल्क राज्य का विषय है।
न्यायालयों में दायर दस्तावेजों पर देय शुल्क: बिल उच्च न्यायालय या अधीनस्थ न्यायालयों में कुछ दस्तावेज जमा करने, या उनसे कुछ दस्तावेजों का अनुरोध करने पर भुगतान किए जाने वाले शुल्क को निर्दिष्ट करता है। इनमें निम्न शामिल हैं: (i) आवेदन या याचिकाएं, (ii) अपील, और (iii) अदालती आदेशों और कार्यवाहियों की प्रतियों के लिए अनुरोध। राज्य सरकार अधिसूचना के जरिए बिल की अनुसूची में निर्दिष्ट शुल्क को संशोधित कर सकती है।
कुछ दस्तावेजों पर शुल्क नहीं देना होगा। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पहली सुनवाई के बाद न्यायालय द्वारा मांगे गए लिखित बयान, (ii) कुछ मामलों में आवेदन या याचिकाएं जैसे कि भू-राजस्व का निपटान, सिंचाई के लिए पानी की सप्लाई, जमीन छोड़ना, किराया बढ़ाना, और शादी करना या उसका पंजीकरण करना, (iii) कैदियों के जमानत बांड और याचिकाएं, (iv) लोक सेवकों द्वारा शिकायतें, (v) म्युनिसिपल टैक्स के निर्धारण के खिलाफ अपील, और (vi) सार्वजनिक उद्देश्य हेतु संपत्ति अधिग्रहण के लिए मुआवजे के दावे।
कुछ मुकदमों में देय शुल्क की गणना: बिल विभिन्न श्रेणियों के मुकदमों के शुल्क की गणना के लिए अलग-अलग तरीके निर्दिष्ट करता है। उदाहरण के लिए शुल्क निम्नलिखित पर आधारित होगा: (i) धन से संबंधित मामलों में दावे की राशि, जैसे मुआवजे और रखरखाव की बकाया राशि, (ii) चल संपत्ति से जुड़े मामलों में बाजार मूल्य (धन के अलावा), (iii) अधिसूचित टाउनशिप में भूमि या घर के कब्जे से जुड़े मामलों में देय बाजार मूल्य या भूमि राजस्व, और (iv) मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच विवाद के मामलों में, अनुबंध की शर्तें।
मुकदमों का वैल्यूएशन: न्यायालय वैल्यू को निर्धारित या उसमें संशोधित कर सकता है, जहां उसकी राय हो कि मुकदमे का गलत वैल्यूएशन किया गया है। वह जांच करने और वैल्यूएशन का पता लगाने के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है। वह मुकदमे में शामिल पक्ष को जांच की लागत का भुगतान करने का निर्देश दे सकता है। लागत का भुगतान न करने की स्थिति में, न्यायालय मुकदमे को खारिज कर सकता है।
विवाद निवारण: उच्च न्यायालय में, अदालत के अधिकारियों और वादियों के बीच शुल्क की राशि पर विवादों को पहले कर अधिकारी (मुख्य न्यायाधीश द्वारा नियुक्त) के पास भेजा जाएगा। कर अधिकारी का निर्णय अंतिम होगा। सामान्य महत्व के मामलों में, कर अधिकारी अंतिम निर्णय के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश या मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित किसी अन्य न्यायाधीश के पास भेज देगा। अधीनस्थ न्यायालय में, इसी तरह के विवादों का निर्णय न्यायालय के क्लर्क द्वारा किया जाएगा। सामान्य महत्व के मामलों को अंतिम निर्णय के लिए न्यायाधीश के पास भेजा जाएगा।
शुल्क जमा करने का तरीका: सभी शुल्क स्टांप, इलेक्ट्रॉनिक भुगतान या निर्धारित तरीके से एकत्र किए जाएंगे। अगर किसी दस्तावेज़ पर ठीक से मुहर नहीं लगी है तो उसे अमान्य माना जाएगा।
नियम बनाने की शक्तियां: उच्च न्यायालय निम्नलिखित द्वारा किए जाने वाले कार्यों और प्रक्रियाओं के लिए शुल्क निर्धारित करेगा: (i) उच्च न्यायालय, (ii) सिविल अदालत, (iii) राजस्व अदालत, और (iv) क्रिमिनल अदालत।
राज्य सरकार नियमों के माध्यम से निम्नलिखित को निर्धारित करेगी: (i) स्टांप की सप्लाई का रेगुलेशन, (ii) इलेक्ट्रॉनिक भुगतान का तरीका, (iii) क्षतिग्रस्त स्टांप का नवीनीकरण, और (iv) सभी स्टांप के रिकॉर्ड का रखरखाव। उच्च न्यायालय में शुल्क के भुगतान की जरूरत वाले दस्तावेजों के लिए, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से स्टांप-संबंधित नियम बनाए जाने चाहिए।
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