• असम मवेशी संरक्षण बिल, 2021 को असम विधानसभा में 12 जुलाई, 2021 को पेश किया गया। बिल असम मवेशी संरक्षण एक्ट, 1950 को निरस्त करने का प्रयास करता है। एक्ट में मवेशियों के वध (स्लॉटर) को नियंत्रित करके उनके संरक्षण का प्रावधान है। बिल निम्नलिखित को रेगुलेट करने का प्रयास करता है: (iमवेशियों का वध और उन्हें लाना-ले जाना, और (ii) बीफ का इस्तेमाल।
     
  • मवेशियों को मारने पर प्रतिबंधएक्ट हर तरह के मवेशी को मारने पर प्रतिबंध लगाता है, जब तक फिट-फॉर-स्लॉटर (मारने के लिए उपयुक्त) का सर्टिफिकेट न दिया गया हो। बिल निम्नलिखित को मारने पर प्रतिबंध लगाता है: (iसभी उम्र की गाय, और (iiदूसरे मवेशी (जब तक फिट-फॉर-स्लॉटर सर्टिफिकेट न जारी हो जाए)। दूसरे मवेशियों में सांड, बैल, बछड़े, नर और मादा भैंस, भैंस के बछड़े और जवान बछिया (जो ब्याई न गई हो या उसके सिर्फ एक बछड़ा हो) शामिल हैं। हालांकि बिल में मवेशियों के दुर्घटनावश वध को छूट दी गई है।
     
  • वध को मंजूरी देने की प्रक्रिया: बिल के अंतर्गत वेटेरनरी ऑफिसर फिट-फॉर-स्लॉटर सर्टिफिकेट जारी करेगा, अगर मवेशी: (i) गाय को छोड़कर, 14 वर्ष से अधिक आयु का है, या (ii) गाय, जवान बछिया, या बछड़े को छोड़कर, आकस्मिक चोट या विकृति की वजह से स्थायी रूप से अक्षम हो गया है।
     
  • सर्टिफाइड मवेशियों के वध की अनुमति सिर्फ लाइसेंस प्राप्त या मान्यता प्राप्त बूचड़ खानों (स्लॉटर हाउस) में होगी। राज्य सरकार कुछ पूजा स्थलों या धार्मिक अवसरों को मवेशियों के वध की छूट दे सकती है (गाय, जवान बछिया, या बछड़े को छोड़कर)।  
     
  • मवेशियों को लाने-जाने पर प्रतिबंधबिल असम राज्य में, वहां से बाहर, राज्य से होकर और राज्य के भीतर मवेशियों को लाने-जाने पर प्रतिबंध लगाता है। हालांकि एक अधिकृत अथॉरिटी (जिसे राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाएगा) कृषि या पशुपालन के उद्देश्य, जैसा कि निर्दिष्ट किया जाए, के लिए मवेशियों को लाने-ले जाने का परमिट जारी कर सकती है। यह परमिट एक महीने के लिए वैध हो सकता है और अगर अधिकृत अथॉरिटी संतुष्ट हो तो इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
     
  • जिले के भीतर मवेशियों को लाने-ले जाने के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं, अगर ऐसा: (i) कृषि या पशुपालन उद्देश्य के लिए चराई के मैदान आने-जाने, और (ii) मवेशी की बिक्री और खरीद के लिए पंजीकृत पशु मंडी आने-जाने के लिए किया जा रहा हो। पशु मंडी एक लाइसेंस प्राप्त या मान्यता प्राप्त मार्केट प्लेस होता है जहां पशुओं को दूसरे स्थानों से लाया जाता है और उनकी बिक्री या नीलामी की जाती है। इसमें पशु मेले और पशु बाड़े शामिल हैं।
     
  • बीफ और बीफ उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंधबिल अनुमति वाले स्थानों को छोड़कर किसी भी रूप में बीफ या बीफ उत्पादों को बेचने या बेचने या खरीदने की पेशकश करने पर प्रतिबंध लगाता है। हालांकि ऐसी अनुमति निम्नलिखित जगहों पर नहीं दी जाएगी: (i) मुख्य रूप से हिंदू, सिख, जैन या बीफ न खाने वाले दूसरे समुदायों की बसाहटों वाले इलाके, (ii) हिंदू धर्म से जुड़े धार्मिक संस्थानों, या किसी अन्य अधिसूचित क्षेत्र या संस्थान के आस-पास पांच किलोमीटर तक के दायरे में। 
     
  • तलाशी और जब्ती: बिल अधिकारियों को इस बात का अधिकार देता है कि वे किसी परिसर में घुस सकते हैं या उसका निरीक्षण ले सकते हैं, अगर उन्हें इस बात का विश्वास है कि यहां कोई अपराध हुआ है, या अपराध होने की आशंका है। बिल निम्नलिखित की भी अनुमति देता है: (i) इस तरह मिलने वाले सामान या लाश या मवेशी को कब्जे में लेना, और (ii) आरोपी व्यक्ति को हिरासत में लेना। इस तरह जब्त होने वाले मवेशी को किसी संस्था या गौशाला को दिया जा सकता है और उसके रखरखाव का खर्चा आरोपी से वसूला जाएगा। किसी राज्य या केंद्रीय कानून के अंतर्गत गौशाला एक पंजीकृत शेल्टर होता है जिसे मवेशियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए बनाया जाता है।
     
  • सजा: एक्ट के अंतर्गत प्रावधानों का उल्लंघन करने या उल्लंघन के लिए उकसाने पर 1,000 रुपए के जुर्माने और छह महीने के कारावास की सजा है। बिल कारावास की सजा को बढ़ाकर तीन से आठ वर्ष के बीच करता है और जुर्माने को बढ़ाकर तीन से पांच लाख रुपए के बीच करता है। कुछ विशेष स्थितियों के तहत ट्रायल कोर्ट भी न्यूनतम जुर्माने को कम करने का फैसला कर सकता है। दोबारा अपराध करने पर निर्दिष्ट सजा दोगुनी हो जाएगी। बिल के अंतर्गत सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती हैं। 
     
  • दूसरी छूट: बिल के प्रावधान मवेशियों के वध पर लागू नहीं होंगे, अगर: (i) प्रयोग या रिसर्च के लिए मवेशी को ऑपरेट किया गया है, (ii) अगर ऐसा करना जन स्वास्थ्य के हित में है या अगर मवेशी को कोई लाइलाज या संक्रामक या खतरनाक बीमारी है, और (iii) राज्य के चिड़ियाघर या ऐसे ही किसी सेटअप में रहने वाले जानवरों को खिलाने के लिए मांस (गाय, जवान बछिया, या बछड़े को छोड़कर) की सप्लाई की जानी है। 

 

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