• बिहार नौकाघाट बंदोबस्ती और प्रबंधन बिल, 2023 को 28 मार्च, 2023 को बिहार विधानसभा में पेश किया गया था। यह बिल राज्य में लागू बंगाल फेरी एक्ट, 1885 को निरस्त करता है। बिल सार्वजनिक नौकाघाटों के बंदोबस्त और प्रबंधन तथा ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों को कुछ शक्तियों के हस्तांतरण का प्रावधान करता है।
  • सार्वजनिक नौकाघाट: नौकाघाट ऐसी सीढ़ी को कहा जाता है जिससे किसी जलाशय में उतरा जा सकता है, और इसमें उस जलाशय से सटा तट भी शामिल है। ये सीढ़ियां विभिन्न प्रकार के सामान से बनी होती है। नौकाघाट को आम तौर पर निम्नलिखित गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है: (i) धार्मिक अनुष्ठान, (ii) स्नान, (iii) नाव/नौका द्वारा सामान और सामग्री को लोड और अनलोड करना। बिल जिला कलेक्टर को सार्वजनिक नौकाघाटों को घोषित करने, उन्हें स्थापित, परिभाषित और बंद करने का अधिकार देता है। इनमें निम्नलिखित शक्तियां शामिल हैं: (i) इसे पंजीकृत और घोषित करे कि कौन सा नौकाघाट एक सार्वजनिक नौकाघाट होगा, (ii) एक निजी नौकाघाट का कब्जा लेना और इसे एक सार्वजनिक नौकाघाट घोषित करना, (iii) एक सार्वजनिक नौकाघाट की सीमा निर्धारित करना, और (iv) अस्थायी नौकाघाट घोषित करना। इन कार्यों को राज्य सरकार द्वारा नामित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति के साथ किया जाना चाहिए। सार्वजनिक नौकाघाट के लिए एक नई साइट का चयन और साइट पर कोई भी निर्माण जल संसाधन विभाग से मंजूरी के अधीन होगा।
  • टोल कलेक्शन: किसी जलाशय को पार करने के लिए व्यक्तियों, पशुओं और मवेशियों, वाहनों, सामानों और सामग्री पर टोल लगाया जाएगा। जिला कलेक्टर राज्य सरकार द्वारा नामित अधिकारी के पूर्व अनुमोदन से टोल दर निर्धारित कर सकते हैं। सार्वजनिक उद्देश्य के लिए नियुक्त और परिवहन करने वालोँ से टोल नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा, सरकार किसी भी व्यक्ति, पशु और मवेशी, वाहन, सामान और सामग्री को टोल चुकाने से छूट दे सकती है। हिंदी में लिखित या मुद्रित टोल तालिका सार्वजनिक नौकाघाटों के पास प्रदर्शित की जानी चाहिए।
  • सार्वजनिक नौकाघाटों का प्रबंधन: सार्वजनिक नौकाघाटों का बंदोबस्त, नियंत्रण और प्रबंधन राज्य सरकार द्वारा निर्धारित जिला कलेक्टर, अपर कलेक्टर, या शहरी या ग्रामीण स्थानीय निकाय में निहित होगा। अन्तर्राज्यीय एवं अंतरजिला सार्वजनिक नौकाघाटों के बंदोबस्त, नियंत्रण एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी जिले के कलेक्टर/अपर कलेक्टर की होगी। नावों का संचालन उनके पंजीकरण, भार क्षमता और समय के संबंध में परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित तरीके से रेगुलेट किया जाएगा। नौकाघाट/नाव के संचालन और नियंत्रण का निरीक्षण राजस्व अधिकारी रैंक या उससे ऊपर के अधिकारी द्वारा किया जाएगा।
  • बंदोबस्ती से संबंधित अपील: सार्वजनिक नौकाघाट की बंदोबस्ती से जुड़े पट्टे से पीड़ित कोई व्यक्ति या पट्टाधारी निम्नलिखित के न्यायालय में अपील कर सकता है: (i) संभाग के आयुक्त जहां संबंधित प्राधिकारी कलेक्टर/अपर कलेक्टर है, या (ii) अन्य मामलें में अनुविभागीय अधिकारी।
  • निजी घाट: राज्य सरकार निजी घाटों के संचालन और नियंत्रण के लिए नियम बना सकती है, ताकि यात्रियों और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित हो और व्यवस्था बनी रहे।
  • बंदोबस्ती की राशि से छूट: प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य कारण से होने वाले नुकसान के संबंध में, राज्य सरकार लागू अवधि के लिए बंदोबस्त राशि की छूट के संबंध में नियम निर्धारित कर सकती है।
  • सजा: अगर कोई भी बंदोबस्त धारी या व्यक्ति, बंदोबस्ती के नियमों और शर्तों का उल्लंघन करता है या उन्हें नजरंदाज करता है तो वह निम्नलिखित दंड का भागी होगा: (i) तीन महीने का साधारण कारावास, (ii) 50,000 रुपए तक का जुर्माना, या (iii) बंदोबस्ती निरस्त होना, या इनमें से तीनों। इसके अतिरिक्त अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक घाट को पार करते समय, सार्वजनिक घाट के प्रबंधन और संचालन के नियमों का उल्लंघन करता है या उन्हें नजरंदाज करता है तो उसे एक महीने का साधारण कारावास हो सकता है, या 5,000 रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है, या दोनों सजाएं हो सकती हैं।
  • कलेक्टर को जुर्माने के खिलाफ अपील 30 दिनों के भीतर दायर की जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति कलेक्टर के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो वह आदेश के 30 दिनों के भीतर संभाग आयुक्त के सामने अपील दायर कर सकता है।

 

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