• हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय (राज्य के बच्चों की देखभाल, संरक्षण और आत्मनिर्भरता) बिल, 2023 को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 5 अप्रैल, 2023 को पेश किया गया। बिल बच्चों की देखभाल, सुरक्षा और विकास के लिए बाल देखभाल संस्थानों की स्थापना करता है। मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • आफ्टर केयर संस्थान: बिल राज्य सरकार को आफ्टर केयर संस्थानों की स्थापना का आदेश देता है। ये संस्थान 18 से 27 वर्ष के बीच के अविवाहित अनाथों, जिनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है और वे बेरोजगार हैं, को भोजन, आश्रय, कपड़े, उच्च शिक्षा और कौशल विकास प्रदान करेंगे।
  • आफ्टर केयर संस्थानों में दाखिला: राज्य सरकार प्रत्येक जिले में एक बाल कल्याण समिति का गठन करेगी। समिति में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होंगे। इसमें कम से कम एक महिला सदस्य और एक अन्य सदस्य बच्चों से संबंधित मामलों का विशेषज्ञ होगा। समिति के कार्य हैं: (i) अनाथों को आफ्टर केयर संस्थानों में दाखिले का आदेश देना, (ii) आफ्टर केयर संस्थानों के निवासियों को रिलीज ऑर्डर जारी करना, और (iii) अनाथों की पहचान के लिए फैमिली सर्वे करवाना। समिति के आदेशों के विरुद्ध जिलाधिकारी के समक्ष अपील की जा सकेगी।
  • लाभ: बाल देखभाल संस्थानों और आफ्टर केयर संस्थानों के निवासी कुछ लाभों के लिए पात्र होंगे, जैसे: (i) कपड़ा भत्ता, (ii) त्योहार भत्ता, (iii) साल में एक बार राज्य के भीतर या बाहर एक्सपोजर विजिट, और (iv) आवर्ती जमा खाता जिसमें राज्य सरकार द्वारा अंशदान किया जाएगा। कानून के साथ संघर्षरत बच्चे इन लाभों के पात्र नहीं होंगे। देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों के लिए बाल देखभाल संस्थान स्थापित किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) एक्ट, 2015 के तहत राज्य सरकारें बाल देखभाल संस्थान चला सकती हैं।
  • उच्च शिक्षा: राज्य सरकार बाल देखभाल संस्थानों के पूर्व निवासियों को 21 वर्ष की आयु तक (या असाधारण मामलों में 23 वर्ष) और अनाथों (27 वर्ष की आयु तक) को शिक्षा प्रदान करेगी। उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास, या कोचिंग के लिए आवेदनों का निस्तारण जिला कार्यक्रम अधिकारी या जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर किया जाना चाहिए। एक राज्य स्तरीय समिति संबंधित कार्यालय द्वारा अनुमोदित आवेदनों की पुष्टि करेगी। यह आवश्यक धन को भी मंजूरी देगी। समिति की अध्यक्षता सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री करेंगे और इसमें छह अन्य सदस्य शामिल होंगे।
  • उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, या कौशल विकास की अवधि के दौरान, नामांकित व्यक्ति को व्यक्तिगत खर्चों को पूरा करने के लिए वजीफा प्राप्त होगा।
  • स्टार्टअप के लिए धनराशि: स्टार्ट-अप शुरू करने के इच्छुक अनाथों, जिनकी उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए, को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। राज्य स्तरीय समिति आवेदन एवं धनराशि स्वीकृत करेगी।
  • आवास के लिए अनुदान: भूमिहीन अनाथों को उनके जीवन काल में तीन बिस्वा शासकीय भूमि एवं आवास निर्माण हेतु अनुदान प्रदान किया जाएगा। बिस्वा भूमि क्षेत्र के माप की एक पारंपरिक इकाई है और हिमाचल प्रदेश में लगभग 37.6 वर्ग मीटर के बराबर है।
  • जिला स्तरीय समिति: बाल देखभाल संस्थानों और आफ्टर केयर संस्थानों की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में एक जिला स्तरीय समिति गठित की जाएगी। यह इन संस्थानों में देखभाल, शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के मानकों की समीक्षा करेगी ताकि उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित हो। इसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे और इसमें पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला श्रम अधिकारी और जिला कल्याण अधिकारी सहित 15 सदस्य होंगे। तीन महीने में कम से कम एक बार समिति की बैठक होनी चाहिए।
  • सुखाश्रय कोष: राज्य सरकार 101 करोड़ रुपए के प्रारंभिक कोष के साथ एक सुखाश्रय कोष बना सकती है। इसकी जमा पर अर्जित ब्याज का उपयोग बच्चों और अनाथों के कल्याण और पुनर्वास के लिए किया जाएगा। सरकार, लोगों या संगठनों द्वारा इस कोष में अनुदान, दान, योगदान, या सबस्क्रिप्शन दिया जा सकता है। राज्य स्तरीय समिति सुखाश्रय कोष की निगरानी एवं संचालन करेगी।

 

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