स्टेट लेजिसलेटिव ब्रीफ

हरियाणा

हरियाणा म्युनिसिपल कानूनों में संशोधन, 2022

 

मुख्य विशेषताएं

  • हरियाणा म्युनिसिपल एक्ट, 1973 और हरियाणा म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट, 1994 के तहत म्युनिसिपल क्षेत्रों में कुछ गतिविधियों (कारखाने या खाने पीने की दुकानें, रेस्त्रां (ईटरीज़ या आहार गृह) स्थापित करना) के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है। इन गतिविधियों और उनके लाइसेंस शुल्क को म्युनिसिपल निकायों द्वारा निर्धारित किया जाएगा। 2022 के बिल्स उन गतिविधियों के लिए लाइसेंस की जरूरत को खत्म करते हैं जो किसी दूसरी रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ के दायरे में आती हैं। ये राज्य सरकार को यह अधिकार देते हैं कि वह म्युनिसिपल निकायों में कुछ गतिविधियों के लिए लाइसेंस शुल्क, और खतरनाक गतिविधियों के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता को निर्धारित कर सकती है। 

प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण

  • म्युनिसिपल निकायों से व्यापार लाइसेंस शुल्क निर्धारित करने की शक्ति छीनना, स्थानीय निकायों को अधिक शक्तियां देने के विचार के विपरीत हो सकता है, जैसा कि संविधान के 74वें संशोधन में नियत है।
  • 2022 के बिल्स समान प्रकार की गतिविधियों के लाइसेंस के लिए एक्ट्स में संशोधन करते हैं। हालांकि एक्ट्स के अंतर्गत लाइसेंसिंग के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर सजा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसलिए एक ही अपराध के लिए एक म्युनिसिपल कमिटी या काउंसिल में एक व्यक्ति को कैद किया जा सकता है, जबकि म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में वह जुर्माने के अधीन हो सकता है।     

भाग क : बिल की मुख्य विशेषताएं

संदर्भ

संविधान राज्य विधानमंडलों को शक्ति देता है कि वे म्युनिसिपल निकायों को शहरी शासन के विभिन्न पहलुओं (जैसे शहरी योजना और सार्वजनिक स्वास्थ्य) से संबंधित शक्तियां और कार्य सौंपे।[1]  हरियाणा में हरियाणा म्युनिसिपल एक्ट, 1973 और हरियाणा म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट, 1994 के तहत म्युनिसिपल निकायों की स्थापना की गई है। 1973 का एक्ट म्युनिसिपल कमिटीज़ (50,000 से कम की आबादी) और म्युनिसिपल काउंसिल्स (50,000 से ज्यादा और तीन लाख से कम की आबादी) पर लागू होता है। 1994 का एक्ट म्युनिसिपल कॉरपोरेशंस (तीन लाख से ज्यादा की आबादी) पर लागू होता है। दोनों एक्ट्स संबंधित म्युनिसिपल निकायों के गठन, उनकी शक्तियों और कार्यों का प्रावधान करते हैं जिनमें शुल्क और टैक्स निर्धारित करने और उनकी वसूली (इसमें कुछ व्यापारिक गतिविधियों के लिए लाइसेंस शुल्क शामिल है) की शक्तियां शामिल हैं। 

14 मार्च, 2022 को हरियाणा विधानसभा में हरियाणा म्युनिसिपल (संशोधन) बिल, 2022 (2022 म्युनिसिपल बिल) और हरियाणा म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (संशोधन) बिल, 2022 (2022 म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बिल) को पेश किया गया। बिल्स के उद्देश्यों और कारणों के कथन के अनुसार, ये म्युनिसिपल निकाय उन व्यापारिक गतिविधियों पर लाइसेंसिंग शुल्क लगाते हैं जहां ऐसे लाइसेंस की जरूरत नहीं है। इसके अतिरिक्त विभिन्न म्युनिसिपल क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न शुल्क लगाया जाता है। ये बिल्स लाइसेंस शुल्क संरचना में एकरूपता लाने का प्रयास करते हैं। ये ऐसी गतिविधियों को म्युनिसिपल निकायों के दायरे से बाहर करने का प्रयास भी करते हैं जो अप्रचलित हैं और जिन्हें अन्य वैधानिक अथॉरिटीज़ द्वारा रेगुलेट किया जाता है। उदाहरण के लिए कारखानों या औद्योगिक संयंत्रों की स्थापना को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा रेगुलेट किया जाता है और खाने-पीने के व्यापार को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक अथॉरिटी रेगुलेट करती है। 

मुख्य विशेषताएं

  • म्युनिसिपल क्षेत्रों में गतिविधियों की लाइसेंसिंग: 1973 का एक्ट कुछ गतिविधियों (जैसे हड्डियां उबालना, डाइंग, टैनिंग) के लिए लाइसेंस को अनिवार्य करता है। 2022 का म्युनिसिपल बिल निम्नलिखित हेतु लाइसेंस देने के लिए इस प्रावधान में संशोधन करता है: (i) घोड़ों, मवेशियों, पक्षियों या दूसरे चौपाया जानवरों को परिवहन, बिक्री, किराए पर देने या उनके उत्पादों की बिक्री के लिए रखना, और (ii) राज्य सरकार द्वारा निर्धारित ऐसी कोई भी गतिविधि जो जीवन, स्वास्थ्य या संपत्ति के लिए खतरनाक है या जो उपद्रव का कारण बन सकती है। 1973 का एक्ट निम्नलिखित को भी रेगुलेट करता है: (i) नए कारखानों या वर्कशॉप्स की स्थापना, और (ii) पिक्चर्स की प्रदर्शनी या नाटकीय प्रदर्शन। 2022 का म्युनिसिपल बिल इन प्रावधानें को हटाता है।
     
  • 1994 का एक्ट निम्नलिखित के लिए लाइसेंस को अनिवार्य करता है: (i) ऐसी कोई भी गतिविधि जो खतरनाक है (जीवन, स्वास्थ्य या संपत्ति के लिए) या आयुक्त की राय में उपद्रव का कारण बन सकती है, और (ii)  कोई अन्य उद्देश्य (जैसे डाइंग, ग्लास कटिंग), जोकि एक्ट की दूसरी अनुसूची में उल्लिखित है। 2022 का म्युनिसिपल बिल दूसरी अनुसूची में निर्दिष्टि उद्देश्यों के लिए लाइसेंस की जरूरत को हटाता है और दूसरी अनुसूची को डिलीट करता है। इसके अतिरिक्त वह राज्य सरकार (आयुक्त के स्थान पर) को उन विशिष्ट गतिविधियों को निर्दिष्ट करने की शक्ति देता है जो खतरनाक हो सकती हैं।
     
  • 1994 के एक्ट में यह प्रावधान है कि निम्नलिखित के लिए आयुक्त से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा: (i) कारखानों या वर्कशॉप्स की स्थापना और परिवर्तन, (ii) ऐसी स्थिति जहां उपभोक्ता खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थों का उपभोग करते हैं, और (iii) थियेटर और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थान। 2022 का म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बिल इन प्रावधानों को डिलीट करता है।
     
  • लाइसेंस शुल्क: 1973 के एक्ट के अंतर्गत म्युनिसिपल कमिटी और म्युनिसिल काउंसिल द्वारा दिए गए किसी भी लाइसेंस के लिए लाइसेंस शुल्क उपायुक्त द्वारा मंजूर किए गए स्तर के बराबर होगा। 1994 के एक्ट के तहत आयुक्त द्वारा दिए गए किसी भी लाइसेंस के लिए लाइसेंस शुल्क, म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की मंजूरी के साथ आयुक्त द्वारा ही निर्धारित की जाएगी। 2022 के बिल्स, 1973 और 1994 के एक्ट्स में संशोधन करता है ताकि राज्य सरकार को लाइसेंस शुल्क निर्धारित करने की शक्ति दी जा सके।

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

म्युनिसिपल निकायों से शक्ति छीनना, हस्तांतरण के विचार के खिलाफ जाता है

उद्देश्यों और कारणों के कथन के अनुसार, 2022 का बिल व्यापार लाइसेंस के संबंध में एकरूपता लाने का प्रयास करता है। स्वास्थ्य, जीवन या संपत्ति के लिए हानिकारक समझी जाने वाली गतिविधियों को म्युनिसिपल निकायों के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा। लाइसेंस शुल्क म्युनिसिपल निकायों की जगह राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा। संविधान के अनुसार, राज्य सरकार को यह निर्धारित करने की शक्ति है कि स्थानीय निकायों को कौन सी शक्तियां हस्तांतरित की जाएं।1 हालांकि प्रस्तावित संशोधन स्थानीय सरकारों को अधिक शक्तियां सौंपने के विचार के खिलाफ जा सकते हैं जोकि संविधान का 74वां संशोधन हासिल करने की कोशिश करता है।[2]  बिल म्युनिसिपल निकायों को व्यापार लाइसेंस शुल्क (जोकि उनके राजस्व का स्रोत है) निर्धारित करने की अनुमति न देकर, उनकी स्वायत्तता छीनता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि म्युनिसिपल निकायों में स्वतंत्रता और स्वायत्तता का अभाव शहरी क्षेत्रों में सेवाओं के वितरण में रुकावट पैदा करता है और उनके काम करने की क्षमता को प्रभावित करता है।[3],[4]

इसके अतिरिक्त विभिन्न म्युनिसिपल क्षेत्र अपनी स्थानीय स्थितियों के आधार पर अलग-अलग लाइसेंस शुल्क वसूलना चाह सकते हैं। उदाहऱण के लिए गुड़गांव में रेस्त्रां खोलने का लाइसेंस शुल्क रोहतक में रेस्त्रां के लाइसेंस शुल्क से अलग हो सकता है। इसलिए अगर राज्य सरकार हरियाणा की सभी म्युनिसिपल कमिटीज़ (और काउंसिल्स) और कॉरपोरेशंस में रेस्त्रां खोलने के लिए एक जैसा लाइसेंस शुल्क निर्धारित करती है तो म्युनिसिपल निकायों की अपनी जरूरतों के हिसाब से राजस्व के स्रोत को निर्धारित करने की स्वायत्तता खत्म हो सकती है। 

केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में म्युनिसिपल निकाय कुछ गतिविधियों के लिए लाइसेंस शुल्क निर्धारित करते हैं जैसे म्युनिसिपल क्षेत्रों में चौपाया जानवरों को किराए पर देने, उनकी बिक्री और परिवहन।[5],[6],[7],[8]  कर्नाटक की म्युनिसिपैलिटीज़ और पंजाब के म्युनिसिपल कॉरपोरेशंस के मामलों में, संबंधित कानून लाइसेंस शुल्क की अधिकतम सीमा तय करते हैं जिन्हें म्युनिसिपल निकाय वसूल सकते हैं।[9],[10]

एक अपराध के लिए अलग-अलग सजा 

2022 का बिल विभिन्न प्रकार की गतिविधियों की लाइसेंसिंग के लिए दोनों एक्ट्स में संशोधन करता है। हालांकि एक्ट्स के तहत लाइसेसिंग के प्रावधान का उल्लंघन करने पर सजा में बदलाव नहीं किया गया है। एक्ट्स (बिल्स द्वारा संशोधित) में प्रावधान है कि एक से अपराध करने पर एक तरफ म्युनिसिपल कमिटी या काउंसिल में एक व्यक्ति को कैद किया जा सकता है, जबकि म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में वह जुर्माने के अधीन हो सकता है।

जैसे, अगर किसी म्युनिसिपल कमिटी के किसी परिसर में कोई व्यक्ति लाइसेंस के बिना पक्षी रखता है तो उसे कैद हो सकती है। लेकिन अगर किसी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में ऐसा ही उल्लंघन किया जाता है तो व्यक्ति पर जुर्माना लग सकता है। ऐसे ही अगर कोई व्यक्ति किसी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में कोई खतरनाक गतिविधि (राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट) करता है तो वह सिर्फ जुर्माना के अधीन होगा, कैद के नहीं। 

 

[1]Article 243W, The Constitution of India.

[3]. Chapter 14: “From Competitive Federalism to Competitive Sub-Federalism: Cities as Dynamos”, Economic Survey (2016-17)

[4]. Report on Indian Urban Infrastructure and Services, High Powered Expert Committee for Estimating the Investment Requirement for Urban Infrastructure Services, March 2011. 

[10]. Section 343, Punjab Municipal Corporation Act, 1976.

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