बिल का सारांश
झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम और निवारण के उपाय), बिल, 2023
झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम और निवारण के उपाय) बिल, 2023, को 3 अगस्त, 2023 को झारखंड विधानसभा में पेश किया गया। बिल प्रतियोगी परीक्षाओं, विशेष रूप से राज्य के सरकारी पदों की भर्ती परीक्षाओं में धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने का प्रयास करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
अनुचित साधनों का इस्तेमाल: बिल किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में अनुचित साधनों के उपयोग पर रोक लगाता है। अनुचित साधनों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) उम्मीदवार द्वारा लिखित सामग्री का अनाधिकृत उपयोग, (ii) परीक्षा हॉल में घड़ी, कैलकुलेटर या फोन जैसे किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को रखना, (iii) पर्यवेक्षकों को धमकी देना, और (iv) अनाधिकृत तरीके से प्रश्न पत्र प्राप्त करना या प्राप्त करने का प्रयास करना। अपराध पर एक साल की कैद और कम से कम पांच लाख रुपए का जुर्माना होगा। बार-बार अपराध करने वालों को कम से कम तीन साल की कैद और कम से कम 10 लाख रुपए का जुर्माना भुगतना होगा।
रोकना: कोई भी परीक्षार्थी, जिस पर बिल के तहत कोई मुकदमा चलाया जाता है, कुछ समयावधि के लिए राज्य परीक्षा नहीं दे पाएगा। बिल किसी भी परीक्षार्थी को आरोप पत्र दाखिल करने की तारीख से दो से पांच साल के लिए और अगर परीक्षार्थी को दोषी ठहराया जाता है तो 10 साल के लिए प्रतिबंधित करता है। इसके अलावा अगर परीक्षार्थी बार-बार अपराध करता है, तो उसे आरोप पत्र दाखिल करने की तारीख से पांच से 10 साल तक ऐसी परीक्षाएं देने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। अगर उसे बार-बार अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है, तो उसे जीवन भर के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
परीक्षा पत्र अपने पास होना और उसका लीक होना: बिल अधिकृत लोगों को निम्नलिखित कार्य करने से रोकता है: (i) प्रश्नपत्र खोलना, उसका खुलासा करना, उसे प्राप्त करना या अपने पास रखना, (ii) किसी भी व्यक्ति को प्रश्नपत्र से संबंधित गोपनीय जानकारी देना या देने का प्रयास करना, और (iii) अनाधिकृत व्यक्तियों को प्रश्नपत्र का विवरण देना।
परीक्षा केंद्र में प्रवेश: बिल किसी को भी परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने से रोकता है जब तक कि वह व्यक्ति: (i) प्रतियोगी परीक्षा से संबंधित कार्य में प्रतिनियुक्त न हो, (ii) परीक्षा आयोजित करने में संलग्न न हो, या (iii) उम्मीदवार न हो।
दंड: परीक्षा आयोजित करने में शामिल कोई भी व्यक्ति, प्रिंटिंग प्रेस, या सेवा प्रदाता प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित किसी भी अनुचित साधन में शामिल होता है या शामिल होने का प्रयास करता है तो उसे कम से कम 10 साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा जो 10 करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है।
बिल निम्नलिखित के लिए भी दंड देता है: (i) प्रश्नपत्र की चोरी, जबरन छीनना या लूटना, या (ii) उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़। जुर्माने में कम से कम सात साल से लेकर 10 साल तक की कैद और एक करोड़ रुपए से दो करोड़ रुपए तक का जुर्माना होगा।
जांच: एक अधिकृत पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है, अगर उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि वह व्यक्ति बिल के तहत अपराध का दोषी है। कारण उपलब्ध साक्ष्यों पर आधारित होने चाहिए और लिखित रूप में दर्ज किए जाने चाहिए। गिरफ्तारी के बाद अधिकारी को आदेश की एक प्रति और उनके पास मौजूद सामान को एक विशेष न्यायालय को भेजना होगा। पुलिस उपाधीक्षक स्तर से नीचे का कोई भी पुलिस अधिकारी बिल के तहत किसी भी अपराध की जांच नहीं करेगा। बिल विशेष अदालतें भी स्थापित करता है जो बिल के अंतर्गत आने वाले सभी अपराधों की सुनवाई करेंगी।
संपत्ति की जब्ती: जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास संपत्ति (चल या अचल) को जब्त करने की शक्ति होगी, अगर उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि यह संपत्ति बिल के तहत अपराध के जरिए अर्जित की गई थी। दावेदार ऐसे कब्जे के खिलाफ तीन महीने के भीतर अभ्यावेदन (रिप्रेजेंटेशन) प्रस्तुत कर सकते हैं। अगर कोई अभ्यावेदन नहीं किया जाता है या डीएम संपत्ति को मुक्त नहीं करता है, तो मामला एक विशेष अदालत में भेजा जाएगा। अगर संपत्ति वैध तरीके से अर्जित की गई पाई गई तो उसे मुक्त कर दिया जाएगा। हालांकि अगर आरोपी को दोषी ठहराया जाता है, तो उक्त संपत्ति झारखंड सरकार को हस्तांतरित कर दी जाएगी।
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